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
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है. यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में मेडिकल सीटों पर ओबीसी आरक्षण नहीं दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुए की. साथ ही याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की छूट दे दी.
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि हम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) के प्रावधानों का पालन करने के लिए कह रहे हैं और आरक्षण देने को अदालत से नहीं कह रहे. राज्य में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किया जा रहा है.
'मौलिक अधिकारों के हनन से जुड़ा मामला नहीं'
सुप्रीम कोर्ट ने वकील के इस तर्क पर कहा कि यह मौलिक अधिकारों के हनन से जुड़ा मामला नहीं है. अनुच्छेद 32 केवल मौलिक अधिकार के उल्लंघन के लिए उपलब्ध है. हम मानते हैं कि आप सभी तमिलनाडु के नागरिकों के मौलिक अधिकार में रुचि रखते हैं.
अदालत ने कहा कि आरक्षण का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है. आपको यहां से याचिका वापस लेना चाहिए और आपको तमिलनाडु हाईकोर्ट के समक्ष जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि हम रिट याचिका को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. हम आपको HC स्थानांतरित करने की स्वतंत्रता देते हैं.