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Supreme Court : वैवाहिक रिश्तो की टूटने की खबरें आजकल आम बात हो गई है। वैवाहिक रिश्तो में कड़वाहट पैदा होने से बच्चों पर पड़ने दुष्प्रभाव से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि माता-पिता के बीच विवाद के कारण बच्चे को परेशानी नहीं होनी चाहिए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सेना के एक अधिकारी को उसके 13 साल के बेटे के व्यस्क होने तक उसकी देखभाल और भरण-पोषण करने का निर्देश दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य अधिकारी का विवाह विच्छेद करते हुए अपना फैसला सुनाया है। जस्टिस एमआर शाह और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने सेना अधिकारी को अपनी पत्नी को 50,000 रुपए बतौर बेटे के लिए भरण-पोषण भत्ता देने के निर्देश दिए हैं।
यह था मामला
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि 'इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि पति और पत्नी दोनों मई 2011 से साथ नहीं रह रहे हैं, इसलिए यह कहा जा सकता है कि उनके बीच विवाह टूट चुका है| जिसमें सुधार नहीं हो सकता है।' पीठ ने कहा कि 'यह भी बताया गया है कि पति ने पहले ही दूसरी शादी कर ली है।' साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का प्रयोग करके परिवार अदालत द्वारा पारित डिग्री में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है।'
संतान को नहीं होनी चाहिए परेशानी
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि 'हालांकि साथ ही पति को बेटे को वयस्क होने तक उसके दायित्व और जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया जा सकता है। पति पत्नी के बीच चाहे जो भी विवाद हो संतान को इससे कठिनाई नहीं होनी चाहिए।' आगे पीठ ने कहा कि 'बच्चे बेटे के वयस्क होने तक उसका दायित्व उसके पिता की जिम्मेदारी है।' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'इस मामले में मां कुछ भी नहीं कमा रही है और इसलिए बेटे की शिक्षा आदि सहित उसके भरण-पोषण के लिए उचित पर्याप्त राशि की आवश्यकता है। जिसका भुगतान पति को करना होगा।'
पत्नी ने पति के खिलाफ की थी शिकायत
बताया गया कि दोनों का विवाह 16 नवंबर 2005 को हुआ था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पत्नी ने सैन्य अधिकारियों के समक्ष पति के खिलाफ कई शिकायत दर्ज कराई थी| जिसमें विवाहेत्तर संबंध की शिकायत भी थी। सेना के अधिकारियों ने पति के खिलाफ एक जांच शुरू की थी लेकिन उस जांच में पति को दोषमुक्त करार दे दिया गया था|
50 हजार रुपए का करना होगा भुगतान
शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि 'विभिन्न बातों को ध्यान में रखते हुए और बताए गए कारणों के लिए, अपीलकर्ता-पत्नी और पति के बीच विवाह के विघटन के डिग्री की पुष्टि कर के वर्तमान अपील का निपटारा किया जाता है।' कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पति को दिसंबर से बेटे के भरण-पोषण के लिए हर महीने 50 हजार रुपए पत्नी को देना होगा।