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अयोध्या पर SC का बड़ा फैसला, रामलला का दावा सही, रामजन्मभूमि न्यास को विवादित ज़मीन, मुस्लिम पक्ष को मिले दूसरी जगह

Special Coverage News
9 Nov 2019 5:48 AM GMT
अयोध्या पर SC का बड़ा फैसला, रामलला का दावा सही, रामजन्मभूमि न्यास को विवादित ज़मीन, मुस्लिम पक्ष को मिले दूसरी जगह
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साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक जमीन दी जाए।

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जगह को रामलला का बताया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक जमीन दी जाए।

हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि विवादित भूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाए, 3 महीने की भीतर इसका नियम बनाए केंद्र सरकार।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक जमीन दी जाए। यानी कोर्ट ने मुस्लिमों को दूसरी जगह जमीन देने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने फैसले में कहा कि मुस्लिम पक्ष जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा है।

कोर्ट ने फैसले में कहा कि आस्था के आधार पर जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता। साथ ही कोर्ट ने साफ कहा कि फैसला कानून के आधार पर ही दिया जाएगा।

विवादित भूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाए, 3 महीने की भीतर इसका नियम बनाए केंद्र: सुप्रीम कोर्ट

इस बात के सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने के पहले से राम चबूतरा और सीता रसोई की हिंदू पूजा करते थे। रेकॉर्ड्स के सबूत बताते हैं कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से में हिंदुओं का कब्जा था: सुप्रीम कोर्ट

बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जगह पर हुआ था, जमीन के नीचे का ढांचा इस्लामिक नहीं था। ASI के निष्कर्षों से साबित हुआ कि नष्ट किए गए ढांचे के नीचे मंदिर था: सुप्रीम कोर्ट (PTI)

हिंदुओं की यह आस्था और उनका यह विश्वास की भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, यह निर्विवाद है: सुप्रीम कोर्ट

केस का फैसला महज ASI के नतीजों के आधार पर नहीं हो सकता। जमीन पर मालिकाना हक का फैसला कानून के हिसाब से होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) संदेह से परे है और इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज किया। उसने देरी से याचिका दायर की थी।

फैसला पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि बाबरी मस्जिद को मीर बकी ने बनाया था। कोर्ट धर्मशास्त्र में पड़े, यह उचित नहीं। प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट सभी धार्मिक समूहों के हितों की रक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता को बताता है।

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