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तौबा ये अदा, आग लगी तो खोदने चले हैं कुआं!
- पिछले छह साल से मोदी सरकार को नहीं नजर आया देश का बदहाल हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर
- अब जब महामारी फैल चुकी तो जुटाने में लग गए जरूरी हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर
- जबकि सरकार की इस अक्षम्य गलती का सबसे पहले शिकार हो रहे देश के डॉक्टर, स्वास्थ्य विभाग व हस्पतालों के कर्मी, कोरोना से हो रहे पीड़ित
- यदि इस महामारी ने पकड़ा विकराल रूप तो क्या उसके साथ साथ तब तक बदहाल हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में भी आ पाएगा आमूलचूल बदलाव
आज के संबोधन में मोदी ने बहुत अरसे बाद या शायद छह साल में पहली बार वास्तविक मुद्दों पर एकालाप किया। हालांकि मोदी इतने जरूरी विषय पर भी इतना कम बोले कि देश को इससे स्पष्ट तौर पर यह पता ही नहीं चल पाया कि महामारी के और विकराल रूप धारण करने की दशा में सरकार कैसे देश को बचाएगी। क्या हमारी इतनी बड़ी आबादी में महामारी ने विकराल रूप धर लिया तो उसके अनुपात में सरकार तब तक हमारे बदहाल हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मुकाबला करने की स्थिति में ले आएगी?
अगर मोदी बजाय एकालाप करने के किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन सवालों का जवाब देते तो कम से कम और बहुत कुछ मीडिया के जरिए देश भी उनसे पूछ लेता , जो इस वक्त न जाने कितने लोग पूछना चाह रहे होंगे। मोदी ने जो बताया और मीडिया से जो खबरें आ रही हैं, वे इतनी उलट हैं कि इस पर सवाल जवाब तो बनता ही है।
उल्लेखनीय है कि मोदी ने अपने संबोधन में बहुत संक्षेप में बताया कि आज 220 से अधिक लैब्स में कोरोना की जांच हो रही है, 1 लाख से अधिक बेड्स हैं। साथ ही, 600 से अधिक अस्पताल सिर्फ कोरोना के इलाज के लिए काम कर रहे है।
बहरहाल, देश में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर अगर मोदी सरकार ने पिछले छह साल में जोर नहीं दिया तो इससे कितना बड़ा खतरा आज देश पर मंडरा रहा है , यह शायद कुछ भक्तों की तो समझ आ ही गया होगा। क्योंकि अब तो यह साफ ही दिख रहा है कि ज्यादा से ज्यादा हॉस्पिटल, बेहतरीन हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर. मेडिकल रिसर्च एवम शिक्षण संस्थान अगर देश में हों तो किसी भी महामारी, बीमारी या आपदा के समय देश की आबादी की जान बचाने के काम यही हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर ही आता है। लेकिन इसी हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान न दिए जाने के कारण मोदी सरकार की आलोचना देश में बराबर की जाती रही है....
.... और इसी आलोचना के जवाब में भक्त गाली गलौज या ऊल जुलुल तर्क दे कर मोदी सरकार का बचाव करने लगते हैं। ऐसा लगता है मानों इन भक्तों या उनके परिजनों को देश में बढ़िया हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर से कोई फायदा नहीं होना है.... या ऐसी किसी महामारी या बीमारी का असर इन भक्तों या इनके परिजनों पर नहीं होना है...
यही नहीं, बार- बार इन भक्तों को समझाया जाता है कि न सिर्फ हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बल्कि देश में शिक्षा, बिजली/पानी/ सड़क/ कृषि/ ऊर्जा/ एमएसएमई/ नौकरी आदि तमाम ऐसे क्षेत्र हैं, जिसमें मोदी सरकार ने पिछले छह साल में न तो कुछ खास किया है .... और न ही कभी इससे जुड़े सवालों पर कोई जवाब दिया है। दिक्कत तो तब होती है , जब कोई और भी इन मसलों पर सरकार से उसके काम काज की जानकारी मांगता है तो ये भक्त उसे देशद्रोही करार देकर सिर फुटौव्वल पर उतर आते हैं।
समझ नहीं आता कि आखिर किसी भी सरकार से इन मसलों पर जानकारी क्यों न मांगी जाए ? या क्यों उससे सवाल जवाब न किए जाएं? आखिर फिर सरकार का काम ही क्या है? सबसे बड़ी बात यह कि सरकार के पास जो जनता का अरबों खरबों का धन है , आखिर वह पिछले छह बरसों में सरकार ने कहां कहां किस मद में कितना खर्च किया , यह हमें पता कैसे चलेगा?