केंद्र सरकार ने राज्यों में NEP के अमल के लिए बुलाई बैठक, पुणे में जुटेंगे सभी राज्यों के शिक्षा सचिव
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की मंजूरी को तीन साल पूरे होने वाले है। ऐसे में शिक्षा मंत्रालय ने नीति की सिफारिशों के अमल की समीक्षा शुरू कर दी है। राज्यों में इस पर कितना अमल हो सका है, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। इसे लेकर मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुणे में एक अहम बैठक बुलाई है, जो 17 और 18 जून को होगी।
सभी राज्यों के शिक्षा सचिवों को नीति की अमल रिपोर्ट के साथ ही शिक्षा में सुधार से जुड़ी अपनी बेहतर पहल के साथ आने को कहा है। राज्यों के साथ ही केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की यह अमल बैठक शिक्षा और कौशल विकास से जुड़ी जी-20 की 19 से 22 जून के बीच प्रस्तावित बैठक से ठीक पहले आयोजित की गई है। माना जा रहा है कि इनमें राज्यों की शिक्षा से जुड़ी बेहतर पहलों को दुनिया के सामने रखा भी जा सकता है।
बैठक में नए पाठ्यक्रम की जांची जाएगी प्रगति
मंत्रालय के मुताबिक इस बैठक में राज्यों से नीति के अमल में अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी ली जाएगी। साथ ही एनईपी के तहत स्कूली शिक्षा के तैयार होने वाले नए पाठ्यक्रम की प्रगति भी जांची जाएगी। फिलहाल केंद्र ने स्कूली शिक्षा के पहले चरण का पाठ्यक्रम तैयार कर लिया है और अब किताबों की छपाई हो रही है।
बाकी चरणों के पाठ्यक्रम को भी तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है। इसे लेकर राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) और डायट( जिला शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण संस्थान) को प्रस्तावित फ्रेमवर्क के आधार पर नए पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए कहा गया है। मौजूदा समय में देश 60 से ज्यादा शिक्षा बोर्ड है। ऐसे में सभी बोर्डों का अपना-अपना अलग- अलग पाठ्यक्रम है।
जून 2020 में NEP को दिया गया था अंतिम रूप
मंत्रालय के मुताबिक राज्यों को फ्रेमवर्क के तहत ही पाठ्यक्रम तैयार करना होगा। इस दौरान वह स्थानीय या फिर राज्य से जुड़ी विषयवस्तु को एक निर्धारित सीमा में उनमें शामिल कर सकते है। गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे पर वैसे तो 2014 से ही काम चल रहा था, लेकिन इसे जून 2020 में अंतिम रूप दिया गया था।
वहीं केंद्रीय कैबिनेट ने इसे 29 जुलाई 2020 को मंजूरी दी थी। जिसके बाद इस पर अमल शुरू किया गया है। इस बीच नीति के अमल की जो समय सीमा तय की गई है, उसके तहत इसकी करीब 80 फीसद सिफारिशों पर 2025 तक अमल पूरा करना है।