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अनिल पांडेय
टिकैत टोला झारखंड के कोड़रमा जिले का एक सामान्य सा गांव है। भारत के अन्य पिछड़े गावों की तरह ही। विकास और सत्ता की हलचल से दूर। गांव में एक दिन अचानक सायरन बजाती हुई लाल बत्ती गाड़ियां दनदनाती हुई पहुंचती हैं। गांव में हड़कम मच जाता है। लोग हैरान-परेशान हक्के बक्के एक दूसरे को देखने लगते हैं। आजादी के बाद गांव में शायद पहली बार इतना बड़ा सरकारी अमला पहुंचा था। आखिर ऐसा क्या हो गया, जो पुलिस के साथ कलेक्टर साहब (जिलाधिकारी) यहां आए हैं? लोग एक-दूसरे से आंखों-आंखों में ही पूछने लगे। कलेक्टर साहब की गाड़ी राधा कुमारी के घर पहुंची। लेकिन, जैसे ही 16 वर्षीय राधा कुमारी को गले लगा कर कलेक्टर साहब ने बधाई तो तब लोगों को माजरा समझ में आ गया।
राधा 11वीं की छात्रा है और गांव की बाल सरंपच है। उसके माता पिता बहुत ही गरीब हैं। पंडिताई कर बड़ी मुश्किल से वह एक छोटे से कच्चे मकान में अपना गुजर बसर करते हैं। पिता ने इसी साल मई में नाबालिग राधा की शादी तय कर दी। राधा ने शादी से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह अभी नाबालिक है और 18 साल के बाद ही कानून उसकी शादी की जा सकती है। तमाम तरह के उत्पीड़न, अपमान और कष्टों के बाद आखिरकार वह कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन की मदद से अपनी शादी रुकवाने में सफल हुई। इतना ही नहीं, अपने गांव और आसपास की लड़कियों के लिए प्रेऱणा बनी राधा ने जागरुक कर कई और बाल विवाह रोकने में सफलता हासिल की। कलेक्टर साहब उसकी इसी उपलब्धि के लिए सम्मानित करने उसके गांव आए थे। जिलाधिकारी ने राधा कुमारी को अपना बाल विवाह रुकवाने के लिए सम्मानित करते हुए उसे जिले का ब्रांड अम्बेसडर भी घोषित किया है। बाल विवाह रोकने के उल्लेखनीय कार्य के लिए जिलाधिकारी ने गांव वालों के सामने ही राधा को 2000 रुपये प्रति माह वजीफा देने, पढ़ाई का खर्च प्रशासन द्वारा उठाने, परिवार के सदस्यों का नाम राशन कार्ड में जोड़ने और पिता को 1000 रुपये प्रति माह वृद्धा पेंशन देने की घोषणा की। राधा परिवार के नाम "गोल्डेन कार्ड" भी जारी किया गया है।
राधा कुमारी नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता श्री कैलाश सत्यार्थी को अपना आदर्श मानती है और उनके पदचिन्हों पर चलते हुए बच्चों के शोषण के खिलाफ अभियान चला रही है। वह अपने गांव टिकैत टोला की बाल सरपंच है। वह अपने गांव और आसपास के इलाके में बाल श्रम और बाल विवाह के खिलाफ लोगों को जागरुक करने के साथ-साथ सभी बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित भी कर रही है।
राधा का गांव टिकैत टोला बाल मित्र ग्राम है। बाल मित्र ग्राम (बीएमजी) नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी की एक अनूठी और अभिनव पहल है। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन इसे संचालित करता है। फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक (बीएमजी) मलाथी नागासायी कहती हैं, "बाल मित्र ग्राम का मतलब ऐसे गांवों से है जिनके सभी बच्चे बालश्रम से मुक्त हों और वे स्कूल जाते हों। हरेक बीएमजी में एक चुनी हुई बाल पंचायत होती है, जिन्हें ग्राम पंचायत मान्यता देती है। ऐसे गांवों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की जाती है। बाल पंचायत के माध्यम से बच्चों में नेतृत्व क्षमता के गुण विकसित करने का प्रयास किया जाता है। राधा इसी की एक मिसाल है।" बीएमजी के बच्चे पंचायत के सहयोग से गांव की समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष करते हैं और उसके विकास में अपना सहयोग भी देते हैं।
साधारण राधा की कहानी असाधारण है। जिस समाज में लड़कियों को मुंह खोलने की इजाजत नहीं, वहां राधा का अपनी तय शादी से न केवल इनकार करना बल्कि मां-बाप को पुलिस की धमकी देना, सामान्य बात नहीं है। राधा के पिता ने उसकी शादी पास के एक गांव पांडे बारा में तय कर दी। 23 मई, 2021 को तिलक समारोह होना था। चूंकि राधा बाल पंचायत की मुखिया है, इसलिए अपने अधिकारों को बखूबी जानती है। उसे पता है कि बाल विवाह कानूनन अपराध है। पहले तो राधा ने अपने परिजनों को खूब समझाने-बुझाने की कोशिश की, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हुए। बल्कि उल्टा उसे धमकाने लगे। राधा ने फौरन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के स्थानीय अधिकारियों से संपर्क किया। उन्होंने ने भी राधा के पिता को समझाने की कोशिश की लेकिन वे लोग अडिग रहे। अंत में राधा ने अपने और लड़के के परिवार वालों से यह साफ-साफ कह दिया कि अगर उसे शादी के लिए मजबूर किया जाता है या उस पर दबाव बनाया जाता है, तो उसके पास पुलिस में शिकायत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अंत में, कानून और पुलिस कार्रवाई से राधा का परिवार डर गया।
राधा कहती है, "शादी से इनकार करने पर मुझे घर से अलग करने और सामाजिक बहिष्कार की धमकी दी गई। आज भी मुझसे गांव और परिवार के बहुत से लोग बात नहीं करते और उपेक्षित व्यवहार करते हैं। कई गांव वालों और रिश्तेदारों ने अपने यहां बुलाना बंद कर दिया। लेकिन इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता और बाल विवाह के खिलाफ मेरा अभियान जारी रहेगा।" उल्लेखनीय है कि पिछले तीन महीनों के दौरान बाल पंचायत के बच्चों द्वारा जिला प्रशासन, चाइल्ड लाइन और ग्राम पंचायतों की मदद से कोडरमा में कुल 21 बच्चों का बाल विवाह रोका गया है। इस सिलसिले में राधा के अलावा बिहार के नवादा के रजौली के हरीदिया बाल मित्र ग्राम की बाल पंचायत की दीपिका और सरस्वती को भला कौन भूल सकता है, जिन्होंने अपना बाल विवाह रुकवाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शाबासी बटोरी थी। नीतिश ने भी दोनों का ब्रांड अंबेसडर नियुक्त किया था।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन की पहल और योगदान को देखते हुए जिलाधिकारी ने महिला एवं समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को फाउंडेशन के साथ मिलकर बाल विवाह के मामले में जागरुकता अभियान चलाने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने बच्ची के परिवार और गांव वालों को संबोधित करते हुए बताया कि पिछले दिनों नोबेल विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी ने मुझसे खुद राधा के बारे में जिक्र किया था और मुझसे कहा था कि मैं स्वयं जाकर राधा से मिलूं। इसके बाद मैंने राधा से मिलने और उसे सम्मानित करने का विचार बनाया। राधा का साहस वाकई काबिले तारीफ और दूसरी लड़कियों के लिए प्रेरणादायी है।