- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
पांच राज्यों के चुनाव में लड़ाई भाजपा VS कारपोरेट VS जनता
पांच राज्यों के चुनाव में इस बार लड़ाई कारपोररेट समथ॔क नीतियों पर चलने वाली पाटी॔ भाजपा और जनता के बीच है, क्योंकि पिछले पांच सालों में खासकर 2019 मोदी सरकार 2.0 के आने के बाद जनता के खिलाफ मोदी सरकार ने अपनी नीतियों से हमला कर दिया. सरकार की नीतियों से जनता बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई से जनता त्राहि त्राहि कर रही है.
किसानों से जमीन छीनने की कोशिश के लिए तीन काले कानून लाकर मोदी सरकार ने अपनी कारपोरेट समथ॔क नीतियों को स्पष्ट कर दिया. किसानों ने सरकार की इन नीतियों की खिलाफत शुरू कर दी है. किसान आंदोलन की इस खिलाफत को भाजपा प्रवक्ताओं, मंत्रियों और यहां तक प्रधानमंत्री ने अपने ऊपर निजी हमला समझते हुए, किसान आंदोलन और किसानों पर अपमानजनक टिप्पणी करना शुरू कर दिया, जबकि किसानों का आंदोलन सरकार की नीतियों के खिलाफ था. इस लड़ाई में मोदी सरकार और भाजपा अपने कारपोरेट मित्रों खासकर अंबानी -अडानी के साथ खड़े दिखे.
इससे पता चलता है कि इस वत॔मान सरकार का संवाद, सहमति और संसदीय पद्धति में कोई विश्वास नहीं है, अन्यथा 13 महीनों तक चले किसान आंदोलन के साथ सरकार ने 11 महीनों तक कोई संवाद स्थापित नहीं किया एव लखीमपुर किसान जनसंहार के साजिशकता॔ अजय मिश्रा टेनी को अपने मंत्रीमंडल में रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को अपमानित करने का काम किया.
जिसकों किसानों ने अपने आन-बान-शान और अस्तित्व पर हमले के तौर पर लिया. बेरोजगारी के मुद्दे पर आंदोलित छात्रों और युवाओं के ऊपर योगी सरकार ने दमनकारी नीतियों से खूब उत्पीडन किया. युवाओं की बात सुनने की जगह पर मुख्यमंत्री योगी ने युवाओं की योग्यता पर सवाल खड़ा कर दिया, यहां तक अपने घोषणा पत्र मे इन बेरोज़गारों की बातों को भी स्थान नहीं दिया, जिससे पता चलता है कि कॉरपोरेट के दवाब में सरकारी भती॔ओं पर रोक लगा रखी है, जिससे कॉरपोरेट को सस्ता श्रम मिल सके.
कोरोना काल मे जिस तरीके से सरकारी कम॔चारियों और संविदा कमि॔यों ने अपनी जान पर खेल कर जनता के लिए काय॔ किया परंतु उत्तर प्रदेश सरकार ने इन सरकारी कम॔चारियों को प्रत्योसाहित करने की जगह पर इन कम॔चारियों का बोनस तक रोक दिया और संविदा कमि॔यों खासकर एंबुलेस कमि॔यों को नौकरी से निकाल दिया गया.
पहली बार किसान, युवा, छात्र , संविदा कमी॔, सरकारी कमी॔ को यह स्पष्ट हो गया है कि उनका दुश्मन कॉरपोरेट और उसकी समथ॔क भाजपा सरकार है. इसलिए पिछले 2020-21से जनता किसान आंदोलन और युवा आंदोलन के माध्यम से सड़क पर आंदोलित रही. इसलिए इस बार लड़ाई भाजपा+ कॉरपोरेट vs जनता होती जा रही, जिसका परिणाम आने वाले 10 माच॔ को देखनै को मिलेगा.