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भारत सरकार ने अब कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया को बेचने का भी किया एलान..
भारत सरकार कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (कॉनकोर) को बेचने का एलान कर चुकी है , सरकार का तर्क है कि कॉनकोर घाटे में चल रही है और अब इसे पालने से कोई फ़ायदा नहीं है । अड़ानी साहब के सुपुत्र पहले ही एक इंटरव्यू में बता चुके हैं कि कॉनकोर वो ख़रीद लेंगे , अब वो नीलामी से पहले ही इतने कॉन्फ़िडेन्स से कैसे इस कम्पनी को ख़रीदने की बात कह रहे हैं , यह तो सरकार या अड़ानी ही बता सकते हैं । कॉनकोर भारतीय रेलवे का ही औद्योगिक आर्म है।
कॉनकोर के 86 में से 41 ICDs (Inland Container Depot) रेलवे की जमीन पर बने हैं , रेलवे की यह ज़मीने आज लाखों करोड़ो रुपये की हैं । भारत सरकार ने कॉनकोर को इन जमीनों को खरीदने के लिए कहा है। अब सवाल यह है कि जो कम्पनी भारत सरकार बेच रही है उस कम्पनी को रेलवे की ज़मीन ख़रीदने का आदेश क्यों दे रही है ??
कॉनकोर इन अरबो की रेलवे की ज़मीन को कौड़ियों के दाम यानी 8,000 करोड़ में खरीदेगा । कॉनकोर के पास पैसे नहीं है तो यह पैसा उसे बैंक से लोन में मिलेगा और फिर घाटे की कम्पनी कॉनकोर को बेच दिया जाएगा ।
बाद में अड़ानी ने कॉनकोर को उसके ऐसेट समेत कोड़ियों के दाम में ख़रीदेंगे , पैसे अड़ानी को भी बैंक ही देगा । अड़ानी के पास पहले से पोर्ट और ऐयरपोर्ट हैं , कॉनकोर और उसके ड्राई पोर्ट्स भी उनके पास चले गए तो पूरे देश के निर्यात-आयात पर अडानी का एकछत्र राज होगा और आपकी रोजमर्रा की हर चीज की महंगाई सरकार की बजाय अडानी ही तय करेंगे ।