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बड़े पर्दे पर लोकसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी

Yusuf Ansari
2 Feb 2019 6:06 PM IST
बड़े पर्दे पर लोकसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी
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'पीएम नरेंद्र मोदी' नाम से बनने वाली इस फिल्म को 23 अलग-अलग भाषाओं में देशभर में रिलीज किया जाएगा। इस फिल्म में नरेंद्र मोदी का किरदार विवेक ओबराय ने निभाया है। यह फिल्म पूरी तरह नरेंद्र मोदी पर केंद्रित है।

यूसुफ़ अंसारी

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं सिनेमा के बड़े पर्दे पर राजनीतिक जंग तेज होती जा रही है। अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि चमकाने वाली एक के बाद एक कई फिल्में रिलीज हुईं हैं। अब मोदी को एक नाकाम प्रधानमंत्री साबित करने वाली फिल्म भी जल्द ही बड़े पर्दे पर दिखाई देगी। 'चौकीदार चोर है?' नाम से बन रही इस फिल्म के पोस्टर रिलीज के मौके पर शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी समर्थकों ने पोस्टर रिलीज कार्यक्रम के दौरान ही प्रेस क्लब में घुसकर फिल्म का पोस्टर फाड़ दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हक में जमकर नारे लगाए। इनके जवाब में फिल्म का पोस्टर रिलीज करने वाली टीम के साथ आए लोगों ने भी चौकीदार चोर है के नारे लगाए।

फिल्म के निर्देशक शादाब चौहान ने इस मौके पर कहा, 'देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। फिल्मकार होने के नाते देश में जो कुछ हो रहा है उसे बड़े पर्दे पर लाना हमारी जिम्मेदारी है। हमने यह जिम्मेदारी निभाई है। अगर कुछ लोगों को इस फिल्म पर एतराज है तो उन्हें विरोध करने का हक है। वो विरोध करते रहें हम सच्चाई सामने लाकर रहेंगे।' फिल्म का आधिकारिक टीजर 4 फरवरी को रिलीज होगा और पहला ट्रेलर 11 फरवरी को आएगा शादाब चौहान के मुताबिक यह फिल्म पिछले 6 महीने से बन रही है। उनकी योजना इस फिल्म को लोकसभा चुनाव से पहले रिलीज करने की है। चौहान के मुताबिक उनकी यह फिल्म मोदी सरकार के विकास के बड़े-बड़े दावों की पोल खुलेगी और देश की असली तस्वीर जनता के सामने लाएगी। तुमसे पूछा गया कि क्या इस फिल्म के बनाने के पीछे कांग्रेस का समर्थन मिला है तो उन्होंने इस से साफ इनकार किया। उन्होंने कहा, 'मैं एक आजाद ख्याल व्यक्ति हूं। किसी राजनीतिक दल से मेरा कोई ताल्लुक नहीं है। पूरी तरह तथ्यों के आधार पर इस फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी गई है। कोई भी राजनीतिक दल अगर इन मुद्दों को उठाता है तो यह उनकी राजनीति कग हिस्सा है। हमारी फिल्म का इस राजनीति से किसी दल से कोई लेना देना नहीं है।'

इस फिल्म में मुख्य तौर पर पांच बड़े मुद्दे उठाए गए हैं। जैसा कि नाम से ही जाहिर है इस फिल्म में राहुल के मुद्दे को मुख्य तौर पर उठाया गया है। इसके अलावा फिल्म में नोटबंदी के बाद देश में मध्यमवर्गीय परिवारों के सामने आए संकट, महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, किसानों की समस्याओं के साथ ही और बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार की बखिया उधेड़ दी गई हैंं। ज़ाहिर सी बात है कि फिल्म में इन मुद्दों को उठाकर मौजूदा सरकार की नाकामियों को बड़े पर्दे पर बेनकाब करने की कोशिश की गई है। फिल्म देश के राजनीतिक हालात पर कितना असर छोड़ेगी और लोकसभा चुनाव पर इस फिल्म का क्या असर होगा यह तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन इस मुद्दे पर फिल्म बना कर फिल्मकार ने कहीं ना कहीं बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि चमकाने वाली फिल्मों को चुनौती जरूरी दी है। यह फिल्म कांग्रेस के नारे पर आधारित जरूर है लेकिन इस फिल्म को बनाने में सीधे तौर पर उसका हाथ नहीं है।

ग़ौरतलब है कि रफ़ाल लड़ाकू विमानों की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 'चौकीदार चोर है' नारा गढ़ा था। कुछ महीने पहले हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी अपनी लगभग हर रैली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से यह नारा लगाते थे। राहुल गांधी के इस नारे ने मोदी सरकार और बीजेपी दोनों को बेचैन कर दिया है। इसके जवाब में हालांकि बीजेपी ने भी नारा दिया था 'अब यह श्योर है, चौकीदार प्योर है।' लेकिन कांग्रेस का नारा बीजेपी के नारों पर अभी भी भारी है। इसी को आधार बनाकर बनाई जा रही फिल्म इस नारे की लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश भी हो सकती है। इस फिल्म के जरिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नारा कांग्रेस की रैलियों से निकल कर अब सिनेमा के पदों पर लगता हुआ दिखाई देगा। इस फिल्म ने सिनेमा के पर्दे पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक नई जंग छेड़ दी है।

हाल ही में ही में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह पर बनी फिल्म 'एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' रिलीज हुई थी। यह फिल्म डॉ मनमोहन सिंह के पहले मीडिया एडवाइजर रहे संजय बारू की किताब पर आधारित हैं। बारू ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले इसी नाम से किताब लिखी थी। 2014 के चुनाव में बीजेपी ने इस किताब को राजनीतिक रूप से काफी भुनाया था। अब इस पर फिल्म बना कर बीजेपी ने कांग्रेस पर कटाक्ष किया है कि कांग्रेस की सरकार एक परिवार के रिमोट कंट्रोल से चलती है। हालांकि पर्दे पर फिल्म बहुत ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाई लेकिन चुनाव से पहले इस फिल्म को तमाम टीवी चैनलों पर दिखाया जाएगा। बीजेपी को उम्मीद है कि इससे उसे राजनीतिक फायदा हो सकता है। इस फिल्म में डॉक्टर मनमोहन सिंह का किरदार बीजेपी नेता और जाने-माने फिल्म कलाकार अनुपम खेर ने निभाया है। इसे लेकर वो आलोचना का शिकार भी रहे हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को चमकाने वाली एक और फिल्म 'उरी द सर्जिकल स्ट्राइक सिनेमाघरों में चल रही है। फिल्म को उत्तर प्रदेश में टैक्स फ्री किया गया है। बीजेपी शासित प्रदेशों पर भी इसे टैक्स फ्री के गाने की खबर है। इस फिल्म में नरेंद्र मोदी को एक कड़े फैसले लेने वाले बोल्ड प्रधानमंत्री के रूप में के रूप में दिखाया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि चमकाने वाली एक और फिल्म जल्दी रिलीज रिलीज होने वाली है। 'पीएम नरेंद्र मोदी' नाम से बनने वाली इस फिल्म को 23 अलग-अलग भाषाओं में देशभर में रिलीज किया जाएगा। इस फिल्म में नरेंद्र मोदी का किरदार विवेक ओबराय ने निभाया है। यह फिल्म पूरी तरह नरेंद्र मोदी पर केंद्रित है। एक तरह से यह नरेंद्र मोदी की बायोपिक है। इसके जरिए नरेंद्र मोदी सिनेमा के बड़े परदे से होते हुए टीवी की छोटी स्क्रीन और मोबाइल स्क्रीन के जरिए घर-घर में पहुंचेंगे। दरअसल इन फिल्मों के जरिए नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनाव में दिए 'हर हर मोदी, घर घर मोदी' के नारे को सार्थक कर रहे हैं। इसी लिए लोकसभा चुनाव से पहले एक के बाद एक उनकी छवि चमकाने वाली फिल्में रिलीज हो रही है। सिनेमाघरों से उतरने के बाद यह फिल्में अलग-अलग टीवी चैनलों के जरिए घर घर पहुंचेंगे और उसके बाद छोटी-छोटी क्लिप के जरिए मोबाइल पर।

जाहिर है कि अगले लोकसभा चुनाव में चुनावी रैलियों और राजनीतिक पार्टियों के जनसंपर्क अभियान के अलावा फिल्मी परदे और टीवी स्क्रीन भी एक अहम भूमिका होगी। यह पहली बार है कि जब कोई चुनाव सिनेमा के पर्दे से भी लड़ा जाएगा। लिखित सिनेमा के पर्दे पर मुकाबला बराबरी का नहीं है नरेंद्र मोदी की छवि चमकाने वाली कई फिल्में पदों पर है तो वहीं उनकी छवि को चुनौती देने वाली सिर्फ एक फिल्म है चौकीदार चोर है हालांकि फिल्मकार का दावा है कि वह महीने भर बाद वो इस फिल्म को रिलीज करने की स्थिति में होंगे। फिल्म के पोस्टर रिलीज के कार्यक्रम में जिस तरह हंगामा हुआ उसे देखते हुए लगता है कि इस फिल्म का आगे चलकर बीजेपी की तरफ से कड़ा विरोध हो सकता है। हो सकता है कि इस फिल्म को सेंसर बोर्ड की मंजूरी ही ना मिले। आगे क्या होगा इस पर अभी कुछ कहना मुनासिब नहीं होगा। लेकिन यह जरूर है कि राजनीति में लगातार चर्चित होते जा रहे हैं फिल्म बनाकर फिल्मकार ने राजनीति में दखल देकर से प्रभावित करने की की कोशिश जरूर की है।

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