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NSA प्रमुख अजीत डोभाल के बेटे की 'फ़र्ज़ी' कंपनियों की दास्तान, जो नहीं बना मीडिया की सुर्खियाँ!
कारवां को ब्रिटेन, अमेरिका, सिंगापुर और केमैन आइलैंड से प्राप्त व्यापार दस्तावेजों से पता चला है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल केमैन आइलैंड में हेज फंड (निवेश निधि) चलाते हैं. केमैन आइलैंड टैक्स हेवन के रूप में जाना जाता है. यह हेज फंड 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के महज 13 दिन बाद पंजीकृत किया गया था. विवेक का यह व्यवसाय उनके भाई शौर्य डोभाल के व्यवसाय से जुड़ा है. शौर्य भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं और मोदी सरकार के करीब माने जाने वाले थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन के प्रमुख हैं. विवेक डोभाल की यह कंपनी उनके पिता अजीत डोभाल की उस सार्वजनिक अभिव्यक्ति के खिलाफ जाती है जिसे उन्होंने 2011 में प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में व्यक्त किया था. रिपोर्ट में अजीत डोभाल ने टैक्स हेवन और विदेशी कंपनियों पर कड़ाई से रोक लगाने की वकालत की थी.
विवेक डोभाल चार्टर्ड वित्तीय विश्लेषक हैं. वे अमेरिकी नागरिक हैं और सिंगापुर में रहते हैं. विवेक जीएनवाई एशिया फंड नाम की हेज फंड के निदेशक हैं. 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार डॉन डब्लू. ईबैंक्स और मोहम्मद अल्ताफ मुस्लिअम वीतिल भी इसके निदेशक हैं. ईबैंक्स का नाम पेराडाइस पेपर्स में भी आया था. वो केमैन आइलैंड में रजिस्टर्ड दो कंपनियों के निदेशक हैं. ईबैंक्स पहले केमैन सरकार के साथ काम किया करते थे और उसके वित्त मंत्री और अन्य मंत्रियों को सलाह देते थे. मोहम्मद अल्ताफ लूलू ग्रुप इंटरनेशनल के क्षेत्रीय निदेशक हैं. यह कंपनी पश्चिम एशिया में तेजी के साथ विस्तार कर रही हाइपरमार्किट चेन है. जीएनवाई एशिया फंड के कानूनी पते के अनुसार, यह वॉर्क्स कारपोरेट लिमिटेड से संबंधित कंपनी है जिसका नाम पनामा पेपर्स में आया था.
कारवां को विवेक और बडे़ भाई शौर्य की कंपनियों के बीच प्रशासनिक संबंध का पता चला है. शौर्य के भारतीय व्यवसायों से संबंधित बहुत से कर्मचारी जीएनवाई एशिया और उसकी कंपनियों के साथ करीब से जुड़े हैं. दोनों भाइयों के कारोबार के तार सऊदी अरब के सत्तारूढ़ परिवार सऊद घराने से जुड़े हैं.
2011 में गुप्तचर विभाग के पूर्व निदेशक अजीत डोभाल ने भारतीय जनता पार्टी को विदेश में भारतीय काला धनः गुप्त बैंकों और टैक्स हेवन नाम की रिपोर्ट दी थी. यह रिपोर्ट डोभाल ने एस गुरुमूर्ति के साथ तैयार की थी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक गुरुमूर्ति फिलहाल भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक हैं. इस रिपोर्ट में टैक्स हेवनों पर कड़े कदम उठाने की बात है.
केमैन आइलैंड में कारपोरेट कर नहीं लगाया जाता है, इस वजह से यह बिना किसी जांच के कंपनियों को पंजीकृत करने का आदर्श स्थान है. जटिल और बहुस्तरीय ढांचा तैयार कर यहां पंजीकृत कंपनियां अपनी कर योग्य कमाई का कुछ हिस्सा या पूरी की पूरी कमाई को बचा लेती हैं.
जीएनवाई एशिया को 21 नवंबर 2016 को पंजीकृत किया गया था. चार्टर्ड वित्तीय विश्लेषक अमित शर्मा इस कंपनी के हेज फंड शोध विभाग के प्रमुख और पोर्टफोलियो प्रबंधक हैं. कारवां को प्राप्त रिपोर्ट से पता चलता है कि एसेट मैनेजमेंट कंपनी गोर्डियन कैपिटल सिंगापुर प्राइवेट लिमिटेड, हेज फंड को व्यवस्थित करने वाली कंपनी है जिसे जीएनवाई की कमाई का 3 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त होता है. गोर्डियन कैपिटल की वेबसाइट से पता चला है कि जीएनवाई एशिया की "वित्तीय सलाहकार" लंदन स्थित जीएनवाई कैपिटल लिमिटेड है.
विवेक और शर्मा जीएनवाई कैपिटल के निदेशक हैं. कंपनियों के पंजीकरण के लिए ब्रिटिश सरकार की संस्था कंपनीस हाउस में जमा दस्तावेज के अनुसार जीएनवाई कैपिटल की अक्टूबर 2016 में शुद्ध संपत्ति 5400 पाउंड थी. उस वक्त की विनिमय दर के अनुसार भारतीय मुद्रा में यह 4 लाख 40 हजार रुपए होती है.
हेज फंड संचालन के लिए आरंभ में पूंजी की अवश्यकता होती है जिसे बाद में अन्य क्षेत्रों में निवेश किया जाता है. जीएनवाई की आरंभिक पूंजी की कोई जानकारी नहीं है. व्यापार समाचार प्रकाशन ब्लूमबर्ग से अपनी बातचीत में शर्मा ने कहा था कि यह कंपनी "आरंभिक पूंजी का अधिकांश हिस्सा मध्यपूर्व के रणनीतिक निवशकों से हासिल करेगी." उस लेख में कहा गया था कि उस वर्ष दिसंबर से जीएनवाई ट्रेडिंग आरंभ करेगी और यह औसत 30 स्टॉक में केंद्रित रह कर कारोबार करेगी. "इसका लक्ष्य अपने निवेश पर 15 प्रतिशत वार्षिक रिटर्न हासिल करना है."शर्मा ने उस वक्त जीएनवाई एशिया द्वारा प्रबंधित संपत्ति का खुलासा नहीं किया था. अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग में जमा दस्तावेज के अनुसार जुलाई 2018 तक कुल हेज फंड 11.19 मिलियन डॉलर अथवा 77 करोड़ रुपए था.
जीएनवाई एशिया की आधिकारिक कस्टोडियन (संरक्षक) एडेलविस कस्टोडियल सर्विस लिमिटेड है. यह कंपनी हेज फंड की ओर से बाजार में लेनदेन करती है. एडेलविस समूह ने फरवरी 2017 में इंडिया कॉन्फ्रेन्स नाम से निवेशकों का सम्मेलन आयोजित किया. ऐसे सम्मेलन बड़ी कंपनियों को एक स्थान पर लाने और भविष्य के निवेशकों को आकर्षित करने के लिए होते हैं.
कारवां को प्राप्त दस्तावेजो से पता चलता है कि जीएनवाई एशिया ने इस सम्मेलन में भाग लिया था. कैमेन आइलैंड में पंजीकृत होने के दो माह से भी कम समय में जीएनवाई एशिया, भारतीय बाजार के बड़ी कारपोरेट कंपनियों और बैंकिंग संस्थाओं की बैठकों में शामिल हुई. निजी क्षेत्र के एक बैंक के साथ बैठक में अकुल झाझरिया ने हेज फंड का प्रतिनिधित्व किया. जून 2017 में जीएनवाई एशिया ने कम से कम दो निवेश बैठकों में हिस्सा लिया. झाझरिया के अलावा अन्य किसी जीएनवाई एशिया प्रतिनिधि के नाम का पता हमें नहीं चला है.
अपेक्षाकृत नई और छोटे फंड वाली विवेक की इस कंपनी जीएनवाई एशिया ने इन बैठकों में भाग लिया. इस कंपनी ने 2008 में स्थापित गोल्डमैन साक्स एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, 1993 में स्थापित आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, 1994 में स्थापित कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, 2000 में बनी एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड जैसी कंपनियों के साथ इन बैठकों में हिस्सा लिया.
हालांकि यह पता नहीं चल पाया है कि इन बैठकों में भाग लेते वक्त इस कंपनी की कुल संपत्ति कितनी थी, लेकिन अमेरिकी सरकार को 2018 के मध्य में जमा की गई अपनी रिपोर्ट में जीएनवाई एशिया ने अपनी कुल सम्पत्ति 11.19 मिलियन डॉलर बताई है. फरवरी 2017 में ऐसी ही एक मीटिंग में भाग लेने वाली मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी उस समय 2.5 अरब डॉलर यानी 17 हजार करोड़ रुपए की इक्विटी परिसंपत्तियों का प्रबंधन देख रही थी. ऐसी दो बैठकों में एचडीएफसी भी शामिल हुई थी. उस वक्त यह कंपनी 92 हजार करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों का प्रबंधन देख रही थी. इसी प्रकार कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी 88 हजार करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों का प्रबंधन कर रही थी.
हैरान करने वाली बात ये है कि जब ये बैठकें हो रही थीं तब जीएनवाई एशिया के पास लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर कोड नहीं था. 20 अक्षरों वाला यह कोड उन कंपनियों के लिए जरूरी होता है जो वित्तीय लेनदेन में प्रवेश करना चाहती हैं. 2000 के अंतिम सालों में जब अमेरिका और यूरोप के बाजारों को वित्तीय संकट का समाना करना पड़ा था तब विश्व भर के बाजार वित्तीय कारोबार में स्पष्टता और जवाबदेही की समस्या का सामना कर रहे थे. इस समस्या के समाधान के लिए सभी वित्तीय लेनदेनों की पहचान के लिए उपरोक्त कोड तय किया गया था. आज विश्व भर में इस कोड को रिस्क मैनेजमेंट अथवा जोखिम बंधन के उपाय के तौर पर देखा जाता है. जीएनवाई एशिया को सितंबर 2017 में यह कोड प्राप्त हुआ.
यह रहस्य है कि किन प्रक्रियाओं के चलते एडेलविस ने जीएनवाई एशिया का संरक्षण स्वीकार किया जबकि यह कम परिचित और अपेक्षाकृत छोटी कंपनी है जो ऐसे स्थान में पंजीकृत है जिसे वैश्विक बैंक बेहद जोखिम वाला न्यायाधिकार क्षेत्र मानते हैं. साथ ही इस कंपनी के पास लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर कोड भी नहीं था. कारवां ने एडेलविस को इस संबंध में ईमेल से सवाल किए थे, जिसमें पूछा था कि उसने जीएनवाई एशिया को अपना क्लाइंट किस आधार पर स्वीकार किया. हमारे सवालों का कंपनी ने कोई जवाब नहीं दिया.
2014 में सेबी ने विदेशी निवेशकों के लिए श्रेणियां बनाई. इसे विदेशी निवेशक पोर्टफोलियो (एफपीआई) कहा गया. यह वैश्विक वर्गीकरण पर आधारित है. इन एफपीआई को निवेशकों पर संभावित खतरे के मद्देनजर सेबी ने तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया. एफपीआई के रूप में पंजीकरण होने से नो योर कस्टमर यानी केवाईसी के जरिए सेबी नियामन और निगरानी करती है. इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक जीएनवाई एफपीआई में पंजीकृत नहीं है.
नवंबर 2018 के शुरू में जीएनवाई कैपिटल ने अपना पता लंदन के हैम्पस्टीड से बदल कर उसी शहर के बाउंड ग्रीन्स में कर लिया. ब्रिटेन के कंपनी पंजीकरण विभाग से प्राप्त दस्तावेजों से खुलासा होता है कि जीएनवाई के नए पते पर 120 कंपनियों का भी रजिस्ट्रेशन है.
मीडिया रिपोर्ट से पता चलता है कि जनवरी 2017 के मध्य में विवेक डोभाल नोएडा आए थे. वे ग्रेटर नोएडा के यूनीटेक होराइजन में खरीदे एक परिसर की रजिस्ट्री करवाने अपने पिता अजीत डोभाल के साथ आए थे.
कारवां ने जीएनवाई एशिया से संबंधित सवाल विवेक डोभाल को मेल किए. इन सवालों में जीएनवाई की संपत्ति, उसकी आरंभिक पूंजी, व्यापार इतिहास और अन्य सवाल शामिल थे. हमने विवेक से यह भी पूछा था कि क्या उन्होंने इस दौरे में उन कंपनियों के अधिकारियों से मुलाकात की जिनकी निवेश बैठकों में जीएनवाई एशिया ने आगे चलकर भाग लिया था. हमें इसका जबाव भी नहीं मिला.
एडेलविस कस्टोडियल सर्विस लिमिटेड का व्यापार हाल के वर्षों में बहुत बढ़ा है. वित्त वर्ष 2015-16 में इसने 5 करोड़ 64 लाख रुपए का व्यापार किया था जो अगले वित्त वर्ष में बढ़ कर 34 करोड़ 97 लाख रुपए का हो गया. वित्त वर्ष 2017-18 में कारोबार बढ़ कर 166 करोड़ 80 लाख का हो गया. यानी क्रमशः 520 और 380 प्रतिशत की वृद्धि. यह किसी जादू से कम नहीं है. कुल लाभ के हिसाब से 2015-16 का वित्त वर्ष एडेलविस कस्टोडियल सर्विस लिमिटेड के लिए निराशाजनक था क्योंकि 80 लाख रुपए का घाटा दिखाया गया. लेकिन अगले साल कंपनी ने अच्छा प्रदर्शन किया. इस वित्त वर्ष में कंपनी ने 11 करोड़ 40 लाख रुपए का कुल लाभ हासिल किया. फिर वित्त वर्ष 2017-18 में कंपनी का लाभ 330 प्रतिशत बढ़ कर 49 करोड़ 35 लाख रुपए पहुंच गया.
2017 में केमैन आइलैंड से भारत में होने वाला प्रत्यक्ष पूंजी निवेश यकायक बढ़ गया. भारतीय रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि उस वित्त वर्ष की केमैन आइलैंड से होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 2226 प्रतिशत वृद्धि आई. पिछले वित्त वर्ष में हुए 49 मिलियन डॉलर के निवेश के मुकाबले 2017 में 1140 मिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत आया. दिसंबर 2017 और मार्च 2018 की दो तिमाही में ही केमैन आइलैंड से होने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 1.08 अरब डॉलर था. इस सदी के पहले 16 सालों में केमैन आइलैंड से भारत में होने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 2017-18 में हुए ऐसे ही निवेश के बराबर है.
कारवां के पास उपलब्ध दस्तावेजों से पता चलता है कि विवेक डोभाल का विदेशी कारोबार एशिया में जारी उनके बड़े भाई शौर्य डोभाल के कारोबार से बहुत करीब से जुड़ा है. विदेश में निवेश बैंकर रहने के बाद शौर्य 2009 में भारत लौट आए. आने के तुरंत बाद वे, आरएसएस नेता राम माधव जो फिलहाल बीजेपी के महासचिव है के साथ शौर्य इंडिया फाउंडेशन के निदेशक बन गए.
कुछ वर्षों तक दिल्ली में पर्दे के पीछे काम करने वाली यह संस्था नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद चमक गई. तब से आज तक इस संस्था ने विदेशी राजदूतों और गणमान्य अतिथियों के साथ बैठकों का आयोजन किया है और प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं में होने वाले कार्यक्रमों को आयोजन किया है. न्यू यॉर्क के मेडिसन स्क्वायर में आयोजित प्रधानमंत्री की हाईप्रोफाइल रैली का आयोजन भी इसी संस्था ने किया था. बीजेपी के कई मंत्री इंडिया फाउंडेशन के निदेशक हैं और संस्था के सरकार की करीबी सलाहकार होने की बात किसी से छिपी नहीं है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शौर्य अपने लिए राजनीतिक भूमिका भी तलाश रहे हैं. दिसंबर 2017 में उत्तराखंड में आयोजित बीजेपी राज्य कार्यकारणी समिति की बैठक में शौर्य ने भाग लिया था और अब आधिकारिक रूप से वहीं रहते हैं. डोभाल परिवार राज्य के पौड़ी गढ़वाल से आता है. और यही वह सीट है जहां से शौर्य के 2019 का चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है. इस जिले में 2018 के मध्य में शौर्य ने रोजगार, स्वास्थ और शिक्षा में सुधार के लिए सामाजिक कार्यक्रम शुरू किए.
शौर्य के सामाजिक कामों ने उनके व्यवसायिक कार्यों को वाधित नहीं किया. अपने भाई की ब्रिटेन और केमैन आइलैंड स्थित कंपनियों से जुड़ी एशिया की कंपनियों के तानेबाने में उनकी अहम भूमिका है. वर्तमान में शौर्य सिंगापुर की एसेट मैनेजमेंट कंपनी टॉर्च इंवेस्टमेंट मैनेजमेंट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं. यह कंपनी टॉर्च फाइनेशियल सर्विसेस का हिस्सा है. इससे पहले वह भारत स्थित एसेट मैनेजमेंट कंपनी जीयस कैप के प्रमुख थे. 2017 में जीयस कैप का विलय टॉर्च इंवेस्टमेंट मैनेजमेंट में हो गया और टॉर्च फाइनेशियल सर्विसेस अस्तित्व में आई. जनवरी 2019 में टॉर्च इंवेस्टमेंट के प्रमुख की हैसियत से शौर्य ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित किए जाने वाले बहुचर्चित आयोजन रायसेना डायलॉग में भाषण दिया.
कारवां को पता चला है कि बड़े भाई के व्यवसायों से जुडे़ कई लोग छोटे भाई के व्यवसाय से भी जुड़े हैं. जीएनवाई एशिया और जीएनवाई कैपिटल से जुड़े अमित शर्मा दिल्ली की कंपनी वाईफिन एडवाइजर के निदेशक भी हैं. इस कंपनी के एकमात्र शेयरधारक शौर्य डोभाल हैं. फरवरी 2017 में निवेशकों के सम्मेलन में जीएनवाई के प्रतिनिधि के रूप में भाग लेने वाले झाझरिया पूर्व में जीयस कैप के कर्मचारी रह चुके हैं. शौर्य जीयस कैप के सहसंस्थापक हैं. झाझरिया का दावा है कि वह जेडएडी सपोर्ट सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड से पूर्व में जुडे़ थे. यह टोरसिआ एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड का पुराना नाम है. टॉर्च इंवेस्टमेंट की एक अन्य कर्मचारी प्रियंका दुबे की लिंकडिन प्रोफाइल बताती है कि वो जीएनवाई कैपिटल के साथ काम कर रही हैं.
टॉर्च फाइनेशियल सर्विसेस के पर्यवेक्षक बोर्ड में साउद घराने के मिशाल बिन अब्दुल्लाह बिन तुर्की बिन अब्दुल्लाजीज अल साउद हैं. टोरसिआ का पंजीकरण एनएसए अजीत डोभाल के द्वारका स्थित आवास में हैं. अक्टूबर 2015 में अजीत डोभाल ने कंपनी रजिस्ट्रार को एक पत्र में घोषणा की थी कि जेडएडी (टोरसिआ का पूर्व का नाम) का उनके आवास को अपने पंजीकृत पते के रूप में इस्तेमाल करने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.
भारतीय जॉब पोर्टल विसडमजॉब डॉट कॉम ने हाल में जीयस स्ट्रेटिजिक मैनेजमेंट एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड पर एक पोस्ट प्रकाशित की थी. जीयस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शौर्य और उनकी मां शामिल हैं और साथ ही टोरसिआ एडवाइजर्स के निदेशक पुनीत कामरा भी जीयस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में हैं. इस पोस्ट में विवेक डोभाल की ब्रिटेन स्थित कंपनी जीएनवाई कैपिटल के लिए विजनेस एनिलिस्ट पद के लिए आवेदन मांगे गए थे.
कारवां ने शौर्य डोभाल को भाई की कंपनियों से उनके संबंधित व्यावसायिक रिश्तों पर सवाल भेजे थे लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. हमने एनएसए अजीत डोभाल से भी इस संबंध में टिप्पणी मांगी थी लेकिन उनका भी जवाब नहीं आया. यदि हमें आगे कोई जवाब मिलता है तो हम इस रिपोर्ट में उसे शामिल करेंगे.
2011 की अपनी विदेशी कंपनियों के संबंध में जारी रिपोर्ट में अजीत डोभाल ने लिखा था, "वैश्विक वित्त बाजार में बिना रुकावट और पड़ताल के परिचालित और प्रभुत्व रखने वाले करमुक्त काले धन पर नजर डालने की आवश्कता है." बीजेपी द्वारा प्रायोजित इस रिपोर्ट में आगे लिखा है, "यह एक ऐसा धन है जिसके स्वामी या स्रोत का पता नहीं होता. इस धन को टैक्स हेवन के माध्यम से आधिकारिक वित्त बाजार में प्रवेश कराया जाता है. ये टैक्स हेवन ऐसे देश होते हैं जो पूंजी को आकर्षित करने के लिए कर या लेवी नहीं लगाते. विश्व मानचित्र में ये छोटे आकार के हैं लेकिन संपूर्ण विश्व पर पकड़ रखते हैं….यह धन कर चोरी तो होता ही है साथ में इस पर किसी का पर्यवेक्षण नहीं होता. "
उस रिपोर्ट में मांग की गई है कि चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों से शपथपत्र जमा कराया जाए कि उन्होंने विदेशों में कोई अवैध धन नहीं रखा है. उस रिपोर्ट के अनुसार, "यह बताने की जरूरत नहीं है कि करमुक्त, जांच रहित और अनियंत्रित धन का वैश्विक वित्तीय प्रणाली में कितना बुरा असर पड़ता है.
कारवाँ से साभार।