राष्ट्रीय

मांसाहारियों और शराबियों को नहीं देती थी ये पार्टी कभी टिकिट, कभी नहीं जीता एक भी कैंडिडेट

Shiv Kumar Mishra
3 Feb 2020 12:06 PM IST
मांसाहारियों और शराबियों को नहीं देती थी ये पार्टी कभी टिकिट, कभी नहीं जीता एक भी कैंडिडेट
x
जय गुरुदेव द्वारा शुरू की गई दूरदर्शी पार्टी का कोई भी प्रत्याशी कभी भी चुनाव नहीं जीत पाया. आखिरकार 1997 में इस पार्टी को बंद कर दिया गया.

आजादी के बाद भारत में अलग-अलग समय पर कई राजनीतिक पार्टियां (Political Parties) लॉन्च हुईं. हर पार्टी लॉन्चिंग के साथ ही कई वादे भी करती थी. कई बार ये वादे अजीबोगरीब भी होते थे. दिलचस्प वादों और शर्तों वाली ऐसी ही एक पार्टी थी दूरदर्शी पार्टी. इस पार्टी की शुरुआत बाबा जयगुरुदेव ने की थी. बाबा जय गुरुदेव को यकीन था कि अपने अनुयायियों के जरिए वो बड़ा राजनीतिक करिश्मा करेंगे. इस पार्टी का कैंडिडेट बनने के लिए पहली शर्त थी कि आप शाकाहारी हों और शराब या कोई दूसरा नशा न करते हों.

बाबा के अनुयायियों की थी बड़ी संख्या

बाबा जयगुरुदेव की उत्तर और पश्चिमी भारत में अच्छी-खासी फॉलोइंग थी और इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई थी. साल 1980 में उन्होंने ये राजनीतिक पार्टी बनाई थी. माना जाता है कि इमरजेंसी के दौरान उन्हें जेल जाना पड़ा था और इसी वजह से उन्होंने राजनीतिक सुधार करने की ठानी थी.

दिलचस्प बात ये थी कि जिस वक्त भारत के घर-घर में दूरदर्शन अपनी पहचान बना रहा था ठीक उसी वक्त मिलते-जुलते नाम वाली राजनीतिक पार्टी भी लॉन्च हो चुकी थी. राजनीतिक सुधारों के वादे की वजह से इस पार्टी की चर्चा भी होती थी. लेकिन पार्टी ने कुछ ऐसे वादे भी किए थे जिन्हें लेकर मजाक उड़ता था. उनमें से पहले नंबर पर था पार्टी ज्वाइन करने या कैंडिडेट बनने के लिए शराब और मांसाहार से परहेज. इस शर्त ने बड़ी संख्या में लोगों को पार्टी से एक झटके में दूर कर दिया.

बाबा जय गुरुदेव का लोगों के बीच जबरदस्त प्रभाव था लेकिन वो चुनाव में अपना करिश्मा नहीं दिखा सके.

पार्टी ने एक और वादा लोगों के बीच हंसी का पात्र बन गया था. दरअसल पार्टी ने वादा किया था कि नए तरह का दहेज सिस्टम बनाएंगे जो देश में हर व्यक्ति पर लागू होगा. हालांकि इसमें उन्होंने दहेज के रूप में एलपीजी सिलेंडर जैसी जरूरी चीजें देने जैसी बातें कही थीं. लेकिन दहेज जैसी रूढ़िवादी प्रथा को बल देने को लेकर पार्टी की बहुत आलोचना हुई थी.

हर बार मिली बुरी असफलतापार्टी ने 1984 के लोकसभा चुनाव में 97 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. पार्टी सभी सीटें हार गई थीं. उसे कुल 0.20 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. इसके बाद 1989 के चुनाव में भी 288 कैंडिडेट उतारे गए जिनमें से एक भी जीत हासिल नहीं कर सका. इसके बाद सबसे ज्यादा कैंडिडेट पार्टी 1991 के चुनाव में उतारे थे. इस चुनाव में पार्टी को महज 0.17 वोट हासिल हुए और पूरे देश में एक भी उम्मीदवार नहीं जीत सका. कहा जाता है कि पार्टी ने जमानत जब्त करवाने का रिकॉर्ड कायम किया था.

अगर सभी सीटों के लिहाज से देखा जाए तो दूरदर्शी पार्टी ने कुल 716 सीटों प्रत्याशी खड़े किए जिनमें से एक भी कैंडिडेट नहीं जीता. कहा जाता है भारत के राजनीतिक इतिहास में दूरदर्शी पार्टी सबसे असफल प्रयोग है. 1997 में इस पार्टी को खत्म कर दिया गया था.

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

Next Story