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Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता: उत्तराखंड में यूसीसी मसौदा क्या है, इससे राज्य में क्या बदलेगा, देखें सब कुछ

Special Coverage Desk Editor
6 Feb 2024 11:02 AM IST
Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता: उत्तराखंड में यूसीसी मसौदा क्या है, इससे राज्य में क्या बदलेगा, देखें सब कुछ
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Uniform Civil Code: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट ने रविवार को समान नागरिक संहिता के मसौदा विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी थी। अब इस मसौदा विधेयक को आज उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया जाएगा।

Uniform Civil Code: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट ने रविवार को समान नागरिक संहिता के मसौदा विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी थी। अब इस मसौदा विधेयक को आज उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया जाएगा। यहां से पास होने के बाद विधेयक को अंतिम मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। हालांकि, यह मसौदा केंद्रीय विषयों से मिलता-जुलता है, ऐसे में राज्यपाल इसे राष्ट्रपति के पास भी भेज सकते हैं। वहां से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून पूरे उत्तराखंड में लागू कर दिया जाएगा।

माना जा रहा है कि उत्तराखंड सरकार इस कानून को लोकसभा चुनाव से पूर्व ही राज्य में लागू कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री धामी की कैबिनेट ने विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट को को हूबहू अपनी मंजूरी दे दी। यानी रिपोर्ट में की गई सभी सिफारिशों को बिना संशोधन स्वीकर कर लिया गया है। इसमें रिपोर्ट की पृष्ठभूमि, प्रमुख सिफारिशें और इसके असर को विस्तार से समझाया गया है। एक रिपोर्ट में इस मसौदा विधेयकों में की गई कुछ सिफारिशों को विस्तार से समझाया गया है। आइए जानते हैं उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता ड्राफ्ट क्या है? इसमें क्या-क्या सिफारिशें की गई हैं। इसके लागू होते ही राज्य में क्या-क्या बदल जाएगा...

बेटा और बेटी को समान संपत्ति का अधिकार

उत्तराखंड सरकार द्वारा तैयार किए गए समान नागरिक संहिता विधेयक में बेटे और बेटी दोनों के लिए समान संपत्ति का अधिकारी सुनिश्चित किया गया है, चाहे उनकी श्रेणी कुछ भी हो।

वैध और नाजायज बच्चों के बीच अंतर को खत्म करना

यूसीसी विधेयक का उद्देश्य संपत्ति के अधिकार के संबंध में वैध और नाजायज बच्चों के बीच के अंतर को खत्म करना है। सभी बच्चों को दंपति की जैविक संतान के रूप में पहचाना जाएगा।

गोद लिए और बॉयोलॉजिकल बच्चों की समावेशिता

उत्तराखंड का समान नागरिक संहिता विधेयक गोद लिए गए, सरोगेसी के माध्यम या सहायक प्रजनन तकनीक के माध्यम से पैदा हुए बच्चों को अन्य जैविक बच्चों के साथ समान स्तर पर मानता है।

मृत्यु के बाद समान संपत्ति का अधिकार

किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद पति या पत्नी और बच्चों को समान संपत्ति का अधिकार देता है। इसके अतिरिक्त, मृत व्यक्ति के माता-पिता को भी समान अधिकार मिलते हैं।

विवाह, तलाक में समान कानून

समान नागरिक संहिता विधेयक में राज्य के निवासियों के लिए समान कानूनी संरचना की पेशकश की गई है। विधेयक राज्य के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों में स्थिरता सुनिश्चित करता है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

सभी धर्म की लड़कियों की एक समान विवाह योग्य आयु

रिपोर्टों के अनुसार, विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली समिति की अन्य प्रमुख सिफारिशों में बहुविवाह और बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना है। इसके अलावा सभी धर्मों में लड़कियों के लिए एक समान विवाह योग्य आयु और तलाक के लिए समान आधार और प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करना शामिल है।

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