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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वच्छ भारत मिशन, शहरी को 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दी
पीआईबी, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) के परिणामों पर जोर, सभी शहरों में ठोस कचरे का वैज्ञानिक प्रसंस्करण शुरू करने और जनगणना 2011 में 1 लाख से कम आबादी वाले शहरों (ऐसे शहर जिन्हें अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) में शामिल नहीं किया गया था) में अपशिष्ट जल के प्रबंधन पर जोर के साथ, स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) को 2025-26 तक जारी रखने को मंजूरी दे दी है।
2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए, 36,465 करोड़ रुपये की केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ एसबीएम-यू 2.0 के लिए कुल 1,41,600 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय तय किया गया है, जो मिशन के पिछले चरण के 62,009 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय से 2.5 गुना ज्यादा है।
• केन्द्र और राज्यों के बीच फंड की साझेदारी इस प्रकार है:
o 10 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों में : 25:75
o 1-10 लाख तक जनसंख्या वाले शहरों में : 33:67
o एक लाख से कम जनसंख्या वाले शहरों में : 50:50
o बिना विधानसभा वाले केन्द्र शासित प्रदेशों में : 100:0
o विधानसभा वाले केन्द्र शासित प्रदेशों में : 80:20
स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत अपेक्षित परिणाम
स्वच्छता :
1. सभी सांविधिक शहरों को कम से कम ओडीएफ प्लस बनाना।
2. 1 लाख से कम जनसंख्या वाले शहरों को ओडीएफ प्लस प्लस बनाना।
3. व्यवस्थाओं और प्रक्रियाओं को लागू करना, जिससे हर तरह के अपशिष्ट जल का सुरक्षित तरीके के साथ शोधन हो और अधिकतम उपयोग हो व किसी भी प्रकार के अशोधित अपशिष्ट जल से जल स्रोत प्रदूषित न हों।
ठोस कचरा प्रबंधन
• सभी शहरों को कम से कम 3 स्टार गारबेज मुक्त प्रमाणन हासिल हो।
स्वच्छ भारत मिशन- शहरी 2.0 : मुख्य बिंदु
अगले 5 साल में, प्रधानमंत्री द्वारा 1 अक्टूबर 2021 को लॉन्च किए गए एसबीएम-यू 2.0 का मुख्य जोर हासिल की गई स्वच्छता और ठोस कचरा प्रबंधन के परिणामों को बनाए रखना व उनकी गति बढ़ाने पर होगा, जिससे मिशन के "गारबेज मुक्त" शहरी भारत के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
मिशन के विभिन्न भागों का कार्यान्वयन एक व्यवस्थित और समयबद्ध तरीके से किया जाएगा, जिसमें आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर का विश्लेषण, 5 वर्षीय विस्तृत कार्य योजना और समयसीमा के साथ वार्षिक कार्य-योजनाएं शामिल हैं।
यह मिशन कागज रहित, डिजिटल होगा और जीआईएस चिह्नित कचरा प्रबंधन इन्फ्रास्ट्रक्चर, मजबूत यूजर इंटरफेस, ऑनलाइन शिकायत समाधान व्यवस्था, परियोजना निर्माण से लेकर फंड जारी करने तक परियोजना की ऑनलाइन निगरानी और एकीकृत जीआईएस आधारित प्लेटफॉर्म पर परियोजना की प्रगति की निगरानी के माध्यम से पूर्ण रूप से पारदर्शिता व विश्वसनीयता के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा।
परिणाम आधारित फंड जारी करने, छोटे यूएलबी को ज्यादा वित्तीय सहायता और अतिरिक्त वित्तीय सहायता के लिए 15वें वित्त आयोग से अनुदानों का मिलाना, हर भाग के लिए व्यवस्थित कार्यान्वयन, मजबूत क्षमता निर्माण, व्यवहार में निरंतर बदलाव के लिए संवाद और हिमायत, निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना और ज्यादा उद्योग भागीदारी से निर्धारित समयसीमाओं के भीतर मिशन के लक्ष्यों को हासिल करने में सहायता मिलेगी।