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जनजातीय लोगों की आजीविका को बढ़ावा देने में वन धन योजना एक गेम चेंजर हो सकती हैः अर्जुन मुंडा
Image : PIB
पीआईबी, नई दिल्ली : जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने 12 सितंबर, 2021 को गुवाहाटी में राज्य अतिथि गृह में कहा कि "वन धन योजना असम में जनजातीय लोगों की आजीविका और उद्यमों को बढ़ावा देने में एक गेम चेंजर हो सकती है, वहीं एकलव्य विद्यालय जनजातीय बच्चों को अन्य समुदायों के बच्चों के समरूप तथा उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करेंगे।"
मुंडा ने राज्य के दो दिवसीय दौरे के दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से भी मुलाकात की। मुख्यमंत्री के साथ इस लंबी बैठक का उद्देश्य राज्य में लघु वनोपज, वन धन स्वयं सहायता समूह और ट्राइफूड परियोजनाओं जैसे जनजातीय विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा करना और उनके बारे में जानकारी हासिल करना था। इस बैठक में असम सरकार के कई मंत्री व प्रमुख सचिव, और ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्ण तथा अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य में जनजातीय समुदाय की आबादी 3,308,570 है, जो कुल आबादी का 12.4% है। पिछले दो वर्ष के दौरान, 'न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वनोपजों (एमएफपी) के विपणन के लिए तंत्र और लघु वनोपजों (एमएफपी) के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास' योजना इस राज्य में पिछले दो वर्षों में बदलाव का प्रतीक बनकर उभरी है। ट्राइफेड द्वारा संकल्पित और देश के 21 राज्यों में राज्य सरकार की एजेंसियों के सहयोग से कार्यान्वित, यह योजना जनजातीय अर्थव्यवस्था में सीधे करोड़ों रुपये से अधिक का अंतरण कर जनजातीय संग्रहकर्ताओं के लिए बड़ी राहत के स्रोत के रूप में उभरी है।
असम राज्य ने लघु वनोपजों की न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना का भरपूर उपयोग किया है जिसमें भारत सरकार की निधियों का उपयोग कर 37.39 लाख रुपए मूल्य के कुल 58.56 मीट्रिक टन लघु वनोपजों की खरीद की गई है। वन धन योजना के तहत कुल 1,920 वन धन स्वयं सहायता समूह स्वीकृत किए गए हैं जिन्हें 128 वन धन विकास केंद्र समूहों में सम्मिलित किया गया है। जिससे 37,786 जनजातीय वनोपज संग्रहकर्ताओं को सीधा लाभ हो रहा है। इन वन धन विकास केंद्र समूहों के संचालन के लिए कुल 19.20 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।
इस दौरे के दूसरे दिन के कार्यक्रम में असम के राज्यपाल श्री जगदीश मुखी के साथ एक बैठक और भारतीय उद्यमिता संस्थान (आईआईई) द्वारा आयोजित वन धन कार्यशाला का दौरा शामिल हैं, जहां वह योजना के लाभार्थियों के साथ बातचीत भी करेंगे।
जमीनी स्तर पर कार्यक्रमों की इस तरह की समीक्षा, निगरानी और कार्यान्वयन की योजना सभी राज्यों के लिए बनाई जा रही है ताकि जनजातीय लोगों के लिए आय सृजन और उन्हें सशक्त बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।