
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक

नई दिल्ली : देश के वरिष्ठ और जाने-माने पत्रकार कुलदीप नैयर का कल देर रात निधन हो गया। 94 वर्षीय नैयर के निधन से न सिर्फ भारत में बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप में पत्रकारिता के एक युग का अंत हो गया। उनका निधन दक्षिण एशिया में मानवाधिकार आंदोलन के लिए भी एक बडी क्षति है। नैयर साहब का अंतिम संस्कार आज दोपहर 1 बजे लोधीरोड स्थित विद्युत शवदाह गृह में होगा। उम्र के आखिरी पड़ाव तक लेखन और पत्रकारिता के कार्य से जुड़े रहे।
पीएम मोदी ने जताया शोक
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ' वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर हमारे समय के एक विशाल बुद्धिजीवी थे। उन्होंने कई वर्षों तक अपने क्षेत्र में साहस और निडरता के साथ काम किया था। देश उन्हें हमेशा अपातकाल के दौरान मजबूती से खड़े होने और बेहतर भारत की प्रतिबद्दता के लिए सामाजिक कार्यों के लिए याद रखेगा। उनकी मृत्यु पर मेरी संवेदनाएं परिवार के साथ हैं।'
Kuldip Nayar was an intellectual giant of our times. Frank and fearless in his views, his work spanned across many decades. His strong stand against the Emergency, public service and commitment to a better India will always be remembered. Saddened by his demise. My condolences.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 23, 2018
गौरतलब है कि आपातकाल के दौरान नैयर को सरकार के खिलाफ लेख लिखने के कारण जेल भी जाना पड़ा था।
नैयर ने कई किताबें भी लिखीं और उनकी आत्मकथा भी काफी चर्चित रही थी। उनकी आत्मकथा 'बियांड द लाइंस' अंग्रेजी में छपी थी। बाद में उसका हिंदी में अनुवाद, एक जिंदगी काफी नहीं नाम से प्रकाशित हुआ। उन्होंने इसके अतिरिक्त कई किताबें 'बिटवीन द लाइं,', 'डिस्टेंट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कान्टिनेंट', 'इंडिया आफ्टर नेहरू', 'वाल एट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप', 'इण्डिया हाउस' जैसी कई किताबें भी लिखीं।
नैयर 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे। 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था। पत्रकारिता और लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के कारण 1997 में उन्हें राज्यसभा के लिए भी मनोनीत किया गया था। नैयर ने देश-विदेश के मशहूर अखबारों के लिए संपादकीय और लेख लिखे।