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पहला अंतर-राष्ट्रीय कृषि पुरुस्कार देश में हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन को, वेंकैया बोले कृषि क्षेत्र में विश्वगुरू हैं स्वामीनाथन
माजिद खान
देश के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भारत में हरित क्रांति के जनक माने जाने वाले डॉ. एमएस स्वामीनाथन को विश्व के पहले अंतर्राष्ट्रीय कृषि पुरस्कार से नवाजा. इस पुरुस्कार के तहत उन्हें एक स्मृति चिन्ह और एक लाख डालर का चेक भेंट किया गया. डॉ एम एस स्वामीनाथन को यह पुरस्कार इंडियन काउंसिल फॉर फूड एंड एग्रीकल्चर (भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद्) की तरफ से दिया गया है. डॉ आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में हुए इस पुरुस्तार समारोह में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु और केरल के राज्यपाल समेत कई जानी मानी हस्तियां मौजूद थी.
इस मौके पर डॉ एम एस स्वामीनाथन को पुरस्कार देते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि स्वामीनाथन ने सिर्फ भारत को ही नहीं पूरी दुनिया को कृषि के क्षेत्र में एक नई दिशा दिखाई है. देश को आज भी स्वामीनाथन की जरूरत है. उन्होंने उम्मीद जताई स्वामीनाथन कृषि के क्षेत्र में इस देश को और आगे ले जायेंगे और भारत को विश्व गुरु बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में किए गए उनके काम से सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के किसानों को फायदा हो रहा है और आगे भी होता रहेगा. केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कृषि क्षेत्र में स्वामीनाथन को विश्वगुरू करार देते हुए कहा कि देश औक दुनिया को उनकी ज़रूरत है और ये जरूरतच उन्हें रिटायर होने की इजाज़त नहीं देती.
गौरतलब है कि नेशनल काउंसिल फॉर फूड एंड एग्रीकल्चर कई साल से कृषि पर ग्लेबल सम्मट आयोजिक कर रही है. इस साल से कृषि के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वालों के लिए अंतर-राष्ट्रीय पुरुस्कार की शुरुआत की है. पहल पुरुस्कार डॉ. एमएस स्वामीनाथन को दिया गया है. एमएस स्वामीनाथन दुनिया भर में जाने-माने कृषि वैज्ञानिकों में अपनी खास जगह रखते हैं. इस मौके पर नेशनल काउंसिल फॉर फूड एंड एग्रीकल्चर के संस्थापक और चेयरमैन डॉक्टर एमजे खान ने कहा कि वो पिछले कई साल से दुनिया भर मे घूम-घूम कर कृषि के क्षेत्र में हो रहे विकास और इसमें इस्तेमाल हो रही नई तकनीक का जायजा ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि कि वो पिछले कई साल के अंचर्राष्ट्रीय स्तर पर कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करन वालों को सम्मानित करने के लिए अंतर-राष्ट्रीय पुरुस्कार शुरू करन के बारे में सोच रहे थे. इस साल इसकी शुरुआत डा. स्वामीनाथन स हुई है ते इसकी अहमियत बढ़ गई है.
उन्होंने कहा कि डॉ एम एस स्वामीनाथन भारत में सिर्फ हरित क्रांति के जनक नहीं है बल्कि उन्होंने पूरी दुनिया को कृषि के क्षेत्र में नई रोशनी दिखाई है कृषि के क्षेत्र में डॉ स्वामीनाथन के किए गए काम से दुनिया भर में कृषि का पैटर्न बदला है और किसानों को इससे बहुत फायदा हुआ है इन्हीं की मेहनत का नतीजा है नतीजा है कि जो भारत कभी रोज़मर्रा की जरूरत गेहूं चावल के लिए भी विदेशों पर निर्भर रहता था आज अपनी जरूरतों की गेहूं चावल और दाल पैदा करने के बाद वह दुनियाभर में भी निर्यात भी करता है.