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17वीं लोकसभा का पहला सत्र संपन्न तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कही ये बड़ी बात, जानिए

Sujeet Kumar Gupta
7 Aug 2019 11:37 AM IST
17वीं लोकसभा का पहला सत्र संपन्न तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कही ये बड़ी बात, जानिए
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1952 से अब तक के इतिहास में 17वीं लोकसभा में उल्लेखनीय कामकाज हुआः ओम बिरला, लोक सभा अध्यक्ष

नई दिल्ली। मोदी सरकार के दूसरी बार पीएम बनने के बाद सत्रहवीं लोकसभा का पहला सत्र 6 अगस्त को संपन्न हो गया है। जिसमें कुल 37 बैठकें हुईं और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को हटाने एवं राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के संकल्प और विधेयक तथा तीन तलाक विरोधी विधेयक मोटरयान संशोधन सहित कुल 36 विधेयक पारित किए गए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा करते हुए कहा कि यह 1952 से लेकर अब तक का सबसे स्वर्णिम सत्र रहा है।

बतादें कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सत्र सात अगस्त तक प्रस्तावित था, लेकिन सरकार के आग्रह पर बिरला ने इसे एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। उन्होंने कहा कि 17 जून से छह अगस्त तक चले इस सत्र में कुल 37 बैठकें हुईं और करीब 280 घंटे तक कार्यवाही चली। इस सत्र में एक सत्र में अब तक सबसे ज्यादा, 36 विधेयक पारित किए गए, एक हजार से ज्यादा लोक हित के मुद्दे शून्यकाल में उठाए गए।

बिरला ने कहा कि इस सत्र में कोई व्यवधान नहीं हुआ। सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री और सदन के नेता नरेंद्र मोदी, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और विभिन्न दलों के नेताओं को धन्यवाद दिया। बिरला ने कहा कि इस सत्र में जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को हटाने संबंधित दो संकल्पों, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, तीन तलाक विरोधी 'मुस्लिम महिला अधिकार (संरक्षण) विधेयक-2019', मोटरयान संशोधन विधेयक-2019, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2019 और मजदूरी संहिता विधेयक प्रमुख हैं।

बिरला ने कहा कि कुल 265 नवनिर्वाचित सदस्यों में से 229 को अपनी बात कहने का मौका मिला। अधिकतर सदस्यों को शून्य काल अथवा किसी न किसी विधेयक पर चर्चा में बोलने या प्रश्नकाल में पूरक प्रश्न पूछने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि 46 नवनिर्वाचित महिला सदस्यों में से 42 को सदन में अपनी बात रखने का अवसर मिला। बिरला ने कहा कि 183 प्रश्न पूछे गए, लेकिन 1086 लोकहित से जुड़े मुद्दे शून्यकाल के दौरान उठाए गए। उन्होंने कहा कि 1952 से यह अब तक का सबसे उपयोगी सत्र रहा है और इसमें 125 फीसदी कामकाज हुआ।


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