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जब गांव वाले अड़े, तो प्रशासन हुआ सख्त और रुक गया 15 साल की मासूम का बाल विवाह
कटिहार। बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ न केवल शहरी इलाकों बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी जागरूकता बढ़ रही है और खुद समाज के भीतर से इसके खिलाफ आवाज उठने लगी है। इसकी बानगी उस समय देखने को मिली, जब नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के एक कार्यकर्ता की सूचना पर कटिहार जिले के आजम नगर पुलिस थाना इलाके में एक 15 साल की नाबालिग का विवाह रुकवाया गया। विवाह को रुकवाने में सबसे खास बात यह रही कि खुद गांव वाले इस बात पर अड़ गए कि बाल विवाह नहीं होने देंगे।
बिहार के गांव देश के दूरस्थ इलाकों में से एक है और गरीबी व पिछड़ापन ही इन इलाकों की पहचान है। इसके कारण इन इलाकों में बाल विवाह की समस्या लंबे समय से चली आ रही है। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के एक कार्यकर्ता को यहां 15 साल की लड़की का विवाह 16 साल के लड़के के साथ किए जाने की सूचना मिली थी। लड़का अपने कुछ दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ कुछ दिन पहले ही लड़की वालों के यहां आ चुका था और अगर कार्रवाई करने में थोड़ी भी देर होती तो बाल विवाह हो चुका होता। इस इलाके में यह पहली बार है जब बाल विवाह के खिलाफ गांव वालों ने इस तरह से आवाज उठाई है।
बाल विवाह की सूचना मिलते ही कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के कार्यकर्ता ने सक्रियता दिखाई और एसडीएम बारसोई से संपर्क कर तुरंत कार्रवाई करने का अनुरोध किया। एसडीएम ने आजम नगर पुलिस थाना को इस संबंध में त्वरित कार्रवाई करते हुए बाल विवाह रुकवाने का आदेश दिया। रात करीब 9.45 बजे पुलिस लड़की वालों के घर पहुंची। तब तक वहां काफी गांव वाले और महिला मुखिया भी आ चुकी थीं। माहौल हंगामे में तब्दील हो चुका था। इस बीच, पुलिस को देखकर लड़के के दोस्त और रिश्तेदार वहां से भाग गए।
हालांकि स्थिति उस समय और बिगड़ गई, जब लड़का विवाह करने पर अड़ गया और लड़की की मां भी उसके समर्थन में आ गई। लड़की की मां का कहना था कि वह गरीब लोग हैं और रिश्तेदारी में ही विवाह कर रहे हैं। आप लोग इसे हो जाने दीजिए। इस पर गांव वालों ने लड़की की मां को समझाया कि जब तक लड़की 18 साल की न हो जाए तब तक उसकी शादी न करें। 18 साल की होने पर हम सब चंदा देंगे और पूरा गांव अच्छे से उनकी बेटी की शादी करेगा। महिला मुखिया ने भी मां को समझाने की कोशिश की। लेकिन लड़का विवाह करने को लेकर अड़ा रहा। हंगामा बढ़ता देख पुलिस देर रात लड़के को थाने ले गई।
इसके बाद सुबह एसडीएम के आदेश पर पुलिस ने दोनों पक्षों के परिवारों को भी थाने बुलाया। साथ ही उन्हें समझाया कि बाल विवाह कानूनी अपराध है और ऐसा करवाने वालों को भी जेल हो सकती है। पुलिस ने दोनों पक्षों को हिदायत दी कि वे बच्चों का बाल विवाह नहीं करेंगे और उनसे दस-दस हजार रुपए का बांड भी भरवाया कि वे भविष्य में भी बच्चों के बाल विवाह का प्रयास नहीं करेंगे। इसके बाद सभी को जाने दिया गया। इस तरह एक मासूम बच्ची 'बालिका वधु' बनने से बच गई।
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने पिछले साल 16 अक्टूबर से 'बाल विवाह मुक्त भारत' आंदोलन की शुरुआत की है। आंदोलन में देश के 500 से अधिक जिलों के तहत आने वाले 10,000 गांवों में 75,000 से अधिक महिलाओं और बच्चों ने मशाल जुलूस निकालकर बाल विवाह रोकने की शपथ ली थी। बाल विवाह के खिलाफ जमीनी स्तर पर यह दुनिया का सबसे बड़ा आंदोलन है। इससे दो करोड़ से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े थे।
बाल विवाह जैसी गंभीर समस्या पर चिंता जताते हुए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन(केएससीएफ) के कार्यकारी निदेशक बिधान चंद्र सिंह ने कहा, 'केएससीएफ देश भर में अपने सहयोगी स्वयंसेवी संगठनों और कार्यकर्ताओं के साथ बाल विवाह के खिलाफ लोगों को जागरुक कर इस अपराध को रोकने का प्रयास कर रहा है। साथ ही तमाम सरकारों से आहवान कर रहे हैं कि बाल विवाह के खिलाफ सख्ती बरती जाए। हम बाल विवाह रोकने के लिए असम सरकार द्वारा उठाए गए सख्त कानूनी कदम की सराहना करते हैं और अन्य सरकारों से भी अपील करते हैं कि वे भी असम की तरह ही अपने-अपने राज्यों में बाल विवाह रोकने के लिए सख्त कानून लाएं।'