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जब इस कहानी को सुना रो पड़े सब, मासूम ने चादर खिसका कर कहा पापा उठो और फिर निकल पड़े आंसू!
उस बच्चे ने शवगृह में लाश पर से चादर खिसकाई ,करुण आवाज में कहा पापा और फफक पड़ा और फिर बेसुध होकर गिर पड़ा उसने कहा पापा उठो उसे यह पता ही नही था कि पापा अब कभी नही उठेगें।
बीते शुक्रवार को दिल्ली के एक सीवर को नंगे हाथों बिना मास्क के साफ करते हुए उसका पिता शव में बदल गया। उसे हमेशा के लिए अकेला छोड़कर ! घर मे केवल एकमात्र कमाने वाला था। इन हादसों के बाद एक खबर चलती है और इस पेट की खातिर बच्चों की खातिर फिर से हम अपने जीवन को दाँव पर लगाते है। क्या होगा इन मासूमों का जो लावारिस हो गये। कौन लेगा इनकी परवरिश की जिम्मेदारी। अभी कई संस्थाएं जायेंगी कई एनजीओ जायेंगे कुछ रिश्तेदार आयेंगें और फिर सब कुछ अंधकार मय हो जाएगा। कौन है इसका जिम्मेदार?
अरबो रुपयों का बजट स्वच्छ भारत अभियान में मात्र सड़क पर झाड़ू लगाकर खर्च करने वाला ये देश सीवर सफाई में कुछ लाखो की मशीनों से परहेज़ कर रहा है। स्वच्छ भारत अभियान केवल मंत्रियो, नेताओ, अधिकारियो और सभी के फोटो सेशन के लिये रह गया है। धरातल से कोई मतलब नही है इसका।
हम सभी इस बच्चे के आंसुओं का बोझ कैसे उठाएंगे। कल तक तो हमसभी इस बात को भूल भी जाएगे। दिल को झकझोर देती है यह घटना आवाज आती है काश देश की गद्दी पर बैठे लोग गरीबो की हालत समझ पाते.....काश .....एक आंदोलन हो गरीबो के लिये ?
(HT के संवाददाता का ट्वीट है कि इस परिवार की हालत यह है कि शव की अंतिम क्रिया के लिए भी इनके पास पैसे तक नहीं थे।) डिजिटल बनाने से पहले देश को सुरक्षा देते तो ज्यादा बेहतर होता.....?
The boy walked up to his father's body at a crematorium, moved the sheet from the face, held the cheeks with both hands, just said 'papa' & began sobbing.
— Shiv Sunny (@shivsunny) September 17, 2018
The man was yet another poor labourer who died in a Delhi sewer on Friday. Family did not have money even for cremating him. pic.twitter.com/4nOWD9Aial