राष्ट्रीय

पिछले 30 महीनों में विलफुल डिफॉल्टर्स पर कुल बकाया राशि दोगुना हो चुकी, जबकि RBI क्यों कह रही है ये बात!

Special Coverage News
9 Jan 2019 4:31 AM GMT
पिछले 30 महीनों में विलफुल डिफॉल्टर्स पर कुल बकाया राशि दोगुना हो चुकी, जबकि RBI क्यों कह रही है ये बात!
x

गिरीश मालवीय

आपको याद होगा कि कुछ दिन पहले उर्जित पटेल की जगह नए गवर्नर बने शक्तिकांत दास बोल रहे थे कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों में एनपीए मे कमी आ गयी है. लेकिन कल उनका यह झूठ भी पकड़ा गया है कल वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्‍ला ने लोकसभा में दिए एक लिखित बयान में बताया कि सिर्फ विलफुल डिफॉल्‍टर्स पर ही बकाया राशि 30 सितंबर, 2018 तक तकरीबन 1.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है. पिछले 30 महीनों में विलफुल डिफॉल्टर्स पर कुल बकाया राशि तकरीबन दोगुना हो चुकी है. 30 सितंबर, 2018 तक ऐसे बकाएदारों पर 1.47 लाख करोड़ रुपया बकाया था। यहां यह गौर करने वाली बात है कि इनमें सिर्फ सरकारी बैंकों का ही हवाला दिया गया है। ढाई साल पहले के मुकाबले यह 92 फीसद ज्‍यादा है.

कुछ दिनों पहले वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने यह भी बताया था कि पिछले पांच साल में आर्थिक अपराध मामलों से जुड़े 27 आर्थिक अपराधी देश छोड़ कर भागे हैं ओर सिर्फ सात के खिलाफ ही भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.

पिछले दिनों केंद्रीय सूचना आयोग ने रिजर्व बैंक RBI और PMO से फंसे कर्ज के बारे में रघुराम राजन की चिट्ठी और जानबूझकर कर्ज अदा नहीं करने वालों (विलफुल डिफॉल्‍टर्स) के नाम का खुलासा करने को कहा था. सूचना आयोग के अध्यक्ष कहते हैं कि 'प्रधानमंत्री कार्यालय का यह नैतिक, संवैधानिक और राजनीतिक दायित्व बनता है कि वह देश के नागरिकों को जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों का नाम बताए और यह भी जानकारी दी जानी चाहिए कि देश के करदाताओं के धन से उन्हें जो कर्ज दिया गया उसकी वसूली के लिए बैंकों ने क्या कदम उठाए हैं. लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नही रेंगी ओर CIC का यह आदेश उठाकर रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया.

देश के सरकारी बैंक आम आदमी को लोन देने में तगड़ी जांच करता है लेकिन बड़ी बड़ी कंपनियों को लोन देने में गच्चा खा जाता है. सुप्रीम कोर्ट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से पूछता हैं किआरबीआई इन बड़े डिफाल्टरों के नाम उजागर क्यों नहीं करती, इन बड़े-बड़े चोरों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जाती और किसानों पर ही दबाव क्यों डाला जाता है? तो आरबीआई कहती है कि अगर इन डिफाल्टरों के नाम घोषित किए गए, तो अर्थव्यवस्था संकट में पड़ जाएगी.

मोदी सरकार पूरी तरह से इन जानबूझकर कर कर्ज नही चुकाने वाले विलफुल डिफॉल्टर के साथ खड़ी नजर आती है और मोदीजी के भक्त कांग्रेस सरकारों द्वारा की गई किसानों की कर्ज़ माफी को अर्थव्यवस्था पर बोझ बताते है लेकिन उन्हें भी यह खुली हुई लूट नजर नहीं आती.

(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार है)

Next Story