
आरोप 15 महिलाओं का तो मानहानि का मुकदमा एक पर क्यों..?

यूसुफ़ अंसारी
मीटू कैंपेन के तहत अपनी 15 पूर्व सहकर्मयों के यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने अपनी सफाई देने के बाद कानूनी रास्ता अपनाया है. उन्होंने उन पर सबसे पहले आरोप लगाने वाली एक पत्रकार प्रिया रमानी पर मानहानि का केस किया है. अकबर ने सोमवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में अपने वकीलों के माध्यम से यह केस किया. अभी यह जानकारी नहीं मिली है कि मानहानि में अकबर ने रमानी से क्या मांग की है.
रविवार को विदेश से लौटन के बाद एमजे ने पहले अपने ऊपर लगे आरोपों को झूठ और निराधार बताया था. साथ ही उन्होंने आरोप लगाने वाली महिलाओं को अदालत में घसीटने के संकेत दिए थे. प्रिया रमानी पर मानहानि का दावा करके अकबर ने इसकी शुरुआत कर दी है. यहां यह सवाल उठ रहा है कि एमजे अकबर पर आरोप लगाने वाली महिलाओं का तादाद 15 हो हो गई है ऐसे में अकबर का सिर्फ एक महिला पत्रकार को अदालत में घसीटना समझ नहीं आ रहा. उन्होंने यह भी खुलासा नहीं किया है कि वो बाकी महिलाओं पर मुकदमा करेंगे या नहीं.
ग़ौरतलब है कि अकबर पर सबसे गंभीर आरोप फोर्स मैग्ज़ीन की कार्यकारी संपादक ग़ज़ाला वहाब ने लगाए हैं. रविवार को अकबर ने ग़ज़ाला के आरोपों को भी बेबुनियाद बताया था लेकिन हैरानी की बात है कि अकबर ने उनपर मानहानि का दावा नहीं किया है. इसी तरह अकबर पर आरोप लगाने वाली दो महिला पत्रकार विदेशी हैं. एक अमेरिका से हैं और दूसरी जर्मनी से. इन दोनो ने भी अकबर पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सवाल यह है कि क्या अकबर उन पर भी मानहानि का दावा करेंगे. इसे लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है.
हैरानी की बात यह है कि अकबर ने प्रिया रमानी को कानूनी शिकंजे में लिया है. प्रिया ने अपनी कहानी में कहा है कि अकबर ने उनके साथ कुछ नहीं किया. इस लिए उन्होंने उनका नाम नहीं लिखा. अकबर ने रविवार को जारी किए अपने बयान में भी इसका ज़िक्र क्या था. ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िमी है कि जिस महिला ने अकबर का नाम तक नहीं लिया उर पर तो अकबर ने मुकदमा ठोक दिया है. जिन महिलाओं ने अकबर पर उनका नाम लेकर आरोप लगाए हैं उन पर अकबर ने मुकदमा क्यों नहीं ठोका.
अकबर ने रविवार को सफाई देते हुए कहा था, 'कुछ हिस्सों को सबूत के बिना आरोप लगाने का संक्रामक बुखार हो गया है. मामला जो भी हो, अब मैं लौट (विदेश दौरे से) आया हूं और आगे की कार्रवाई के लिए मेरे वकील इन बेसिरपैर के बेबुनियाद आरोपों का पता लगाएंगे और आगे की कानूनी कार्रवाई पर फैसला लेंगे.'
'मिंट लाउंज' की पूर्व संपादक प्रिया रमानी ने सबसे पहले अकबर पर इल्जाम लगाया था. फिर अकबर ने अपने बयान में रमानी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था, 'प्रिया रमानी ने अपना अभियान एक साल पहले एक पत्रिका के आलेख के साथ शुरू किया था. हालांकि उन्होंने मेरा नाम नहीं लिया था, क्योंकि वह जानती थीं कि वह झूठी कहानी है. जब हाल ही में उनसे पूछा गया कि उन्होंने मेरा नाम क्यों नहीं लिया तो उन्होंने एक ट्वीट में जवाब दिया, 'उनका नाम कभी नहीं लिया, क्योंकि उन्होंने कुछ नहीं किया' अगर मैंने कुछ नहीं किया तो फिर कहां और कौन सी कहानी है?'
प्रिया रमानी ने एक साल पहले आलेख लिखा था और अब उन्होंने मीटू कैंपेन में अकबर का नाम लिया है. अकबर ने कहा, 'कोई कहानी नहीं है, बल्कि संकेत, कल्पना और अपमानजनक आक्षेप उस बात को लेकर लगाए जा रहे हैं जो कभी हुई ही नहीं है. कुछ तो बिल्कुल सुनी सुनाई अफवाहें हैं, जबकि अन्य खुले आम इस बात की पुष्टि कर रहीं हैं कि मैंने कुछ नहीं किया.'
67 वर्षीय अकबर अंग्रेजी अखबार 'एशियन एज' के संस्थापक संपादक रहे हैं. रमानी के बाद धीरे-धीरे और 14 महिला पत्रकार भी अपनी शिकायतों के साथ खुलकर सामने आ गई थीं. इन महिला पत्रकारों ने उनके साथ काम किया था. अकबर के खिलाफ खुलकर सामने आनेवाली पत्रकारों में फोर्स पत्रिका की कार्यकारी संपादक गजाला वहाब, अमेरिकी पत्रकार मजली डे पय कैंप और इंग्लैंड की पत्रकार रूथ डेविड शामिल हैं.