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दानिश सिद्दीक़ी की मौत पर खुशी क्यों हैं नफ़रत के सौदागर?

Yusuf Ansari
18 July 2021 3:05 PM IST
दानिश सिद्दीक़ी की मौत पर खुशी क्यों हैं नफ़रत के सौदागर?
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अफ़ग़ानिस्तानी सेना और तालिबान के बीच चल रही जंग को कवर करने अफग़ानिस्तान गए न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीक़ी की मौत जहां में मातम है वहीं हमारे देश में कुछ लोग ख़ुश हो रहे हैं। अमेरिकी सरकार और वहां के सांसदों ने दानिश की मौत पर दुख जताया है। भारत ने दानिश की मौत का मुद्दा संयुक्तराष्ट्र संघ में तो उठाया है लेकिन प्रधानमंत्री, गृहमंत्री या विदेशमंत्री का तरफ़ से दानिश की मौत पर अफ़सोस का एक ट्वीट तक नहीं आया। सूचना प्रसारण मंत्री ने ट्वीट किया है लेकिन इस पर उन्हें नफ़रती चिंटुओं ने जमकर ट्रोल कर दिया।

अमेरिका ने जताया दुख

दानिश की मौत पर अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन और वहां के सांसदों ने दुख जताया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जलीना पोर्टर ने कहा, हमें यह सुनकर काफी दुख हुआ कि रॉयटर्स के पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत अफगानिस्तान में लड़ाई को कवर करते हुए हुई। उन्होंने कहा, ''सिद्दीकी को उनके काम के लिए जाना जाता था, खासकर दुनिया के लिए सबसे ज़रूरी और चुनौतीपूर्ण समाचारों में उनकी खींची फोटो हेडलाइंस के पीछे की भावनाओं और मानवीय चेहरों को सबके सामने रखती थीं। रोहिंग्या संकट कवरेज के लिए पुलित्जर अवार्ड मिला।''

अमेरिका सांसदों ने भी जतया अफ़सोस

सीनेटर और अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति के रैंकिंग सदस्य जिम रिस्च ने सिद्दीकी की मौत पर दुख जताया। उन्होंने कहा, अफगानिस्तान में तालिबान की कवरेज के दौरान रॉयटर्स के पत्रकार दानिश सिद्दीकी की दुखद मौत हमें उन जोखिमों की याद दिलाती है, जो समाचार शेयर करते वक्त पत्रकार उठाते हैं। किसी भी पत्रकार को अपना काम करते हुए नहीं मारा जाना चाहिए। सीपीजे एशिया प्रोग्राम के कोऑर्डिनेटर स्टीव बटलर ने कहा, रॉयटर्स के फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत एक दुखद सूचना है। भले ही अमेरिका और उसके सहयोगी अफगानिस्तान से सेना वापस बुला लें, लेकिन पत्रकार अपना काम जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, लड़ाकों को पत्रकारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

मोदी-शाह ने नहीं जताया दुख

कोरोना की पहली और दूसरी लहर को दौरान दानिश की खिंची हुई तस्वीरों से मोदी सरकार की दनिया भर में फजीहत हुई थी। शायद यही वजह है कि पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जय शंकर ने पुलित्ज़र अवार्ड जीतने वाले देश के एक मात्र फोटो जर्नलिस्ट दानिश की मौत पर अफसोस तक ज़ाहिर नहीं किया। इनकी ट्वीटर टाइमलाइन इस, बात की गवाह है। पीएम मोदी एक क्रिकेटर की उंगली में फ्रैक्चर होने पर दुख जता सकते हैं लेकिन फोटो जर्नलिस्ट की मौत पर अफसोस जताने के नाम पर उन्हें सांप सूंघ गया है। रस्म अदायगी के तौर पर मोदी सरकार की तरफ़ से सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने दानिश की मौत पर दुख जताया है।

अनुराग ठाकुर हुए ट्रोल

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने 16 जुलाई का रात अपने टवीटर हैंडल पर लिखा, "दानिश सिद्दीकी अपने पीछे असाधारण काम छोड़ गए हैं। उन्होंने फोटोग्राफी के लिए पुलित्ज़र पुरस्कार जीता और कंधार में अफगान सेना साथ थे। नीचे उनकी एक तस्वीर साझा कर रहा हूं। गंभीर सांत्वना। आरआई।" दानिश की मौत पर अनुराद ने दुख क्या जताया, कट्टरपंथियों की जमात ने उन्हें जमकर ट्रोल कर दिया। THE SKIN DOCTOR नाम के ट्विटर हैंडल ने कहा कि उन्होंने बंगाल में मारे गए कार्यकर्ताओं को लेकर एक भी ट्वीट नहीं किया। देवेंद्र कुमार नें 'गुड न्यूज़' लिखकर दानिश की मौत पर ख़ुशी का इज़हार किया तो प्रथम गोयल ने ठाकुर को याद दिलाया कि 'ये वो ही जिसने शमशाम के फोटो खींचे थे।' एलेक्ज़ेंडर नाम ट्वीटर हैंडल ने तंज़ किया,"ये राष्ट्रवादी सरकार है....जयचंद।"

पुलित्ज़र अवार्ड विजेता थे दानिश

दानिश सिद्दीक़ी पत्रकारिता के क्षेत्र में दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुलित्ज़र अवार्ड से सम्मानित थे। लोग उनकी खींची गई तस्वीरों के क़ायल थे।सिद्दीकी ने अपने करियर की शुरुआत एक टीवी पत्रकार के रूप में की थी। 2010 में उन्होंने फोटोजर्नलिज्म में आने का फ़ैसल किया और बतौर इंटर्न अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स से जुड़े गए। सिद्दीक़ी ने तब से मोसुल की लड़ाई (2016-17), अप्रैल 2015 नेपाल भूकंप साथ ही रोहिंग्या नरसंहार से पैदा हुए शरणार्थी संकट को कवर किया। साल 2018 में दानिश ने अपने सहयोगी अदनान आबिदी के साथ रॉयटर्स के लिए खींची गईं रोहिंग्या शरणार्थी संकट की बेहतरीन तस्वीरों के लिए 'फीचर फोटोग्राफी' का पुलित्ज़र पुरस्कार जीता। दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरुस्कार जीतने वाले वो पहले और एक मात्र भारतीय थे।

दिल्ली हिंसा में दिखाया आइना

यूं तो दानिश ने दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप और हांगकांग में अपनी बेहतरीन फोटोग्राफ़ी के ज़रिए बहुत सी कहानियों को दुनिया के सामने रखा। लेकिन साल 2020 में दिल्ली मे हुई हिंसा और उसके बाद कोरोना महामारी के दौरान दानिश की खींची गई कई तस्वीरों ने दुनिया भर में शोहरत बटोरी। दिल्ली हिंसा के दौरान खींची गई उकी एक तस्वीर को रॉयटर्स ने 2020 की बेहतरीन तस्वीरों में से एक के माना। यह वही तस्वीर थी जिसमें नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 का विरोध करने वालों पर एक दक्षिणपंथी जवान पिस्तौल से गोली चलाते हुए दिखाया गया है, जबकि पुलिस मूकदर्शक बनी देख रही है। दानिश का यह फोटो को दुनिया के सामने "हिंदू राष्ट्रवादियों के उत्साह" का सबूत बन गया।

कोरोना काल में बेहतरीन काम

कोरोना काल में दानिश की खींची तस्वीरों से के ज़रिए ही दुनिया को पता चला कि भारत में कोरोना से कितने लोगों का मौत हो रही है। शमशान में लोग अपने परिजनों को अंतिन संस्कार के लिए लाइन लगाए खड़े हैं। शमशान औकर क़ब्रिस्तानों में किस तरह जगह कम पड़ गई है। श्मशान घाटों और कब्रिस्तान से आने वाली तस्वीरों ने लोगों को रुला दिया था। कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों की जलती चिताओं की तस्वीर दानिश सिद्दीकी ने ही अपने कैमरे में कैद थी। दानिश की खींची हुई तस्वीरों को दुनिया के कई प्रतिष्ठित अख़बारों ने भी छापा था।

गौरी लंकेश से दानिश तक हुए नफ़रत का शिकार

इससे पहले भी ऐसा कई बार देखा गया है कि किसी हस्ती की मौत पर उसके चाहने वाले जहां मातम में डूब जाते हैं वहीं उसके विरोधी दिल खोलकर खुशी का इज़हार करते हैं। पत्रकार-लेखक गौरी लंकेश से लेकर हाल ही में अभिनय सम्राट दिलीप कुमार तक मौत के बाद नफ़रती चिंटुओं की 'शाब्दिक' और 'मौखिक' हिंसा का शिकार हुए हैं। दानिश सिद्दीक़ी की मौत के बाद ऐसे नफ़रती लोग फिर सामने आए और उन्होंने ट्विटर पर अपनी सोच को जाहिर किया। प्राउड इंडियन ने अनुराग ठाकुर के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा है, 'ठाकुर साहेब..!! Priority ढंग से सेट कर लीजिए … यह वो नहीं जिस पर आपको condolences जतानी चाहिये …शमशान घाट की फ़ोटो खींच कर पूरी दुनिया में फैला रहा था यह बंदा भारत के संकटकाल में।'

नफरत ही चिंटुआ के निशाने पर

दरअसल दानिश कोरोना के काल में भी ने बेहतरीन काम किया था। लोगों के दर्द को दुनिया तक पहुंचाया था। इसके बावजूद वह उन लोगों को रास नहीं आते थे, जिन्हें हुक़ूमत के ख़िलाफ़ सच सुनना पसंद नहीं है। नफ़रती लोगों ने ट्विटर पर उनकी मौत को उनके कर्मों यानी किए गए का नतीजा तक बता दिया है। नो कन्वर्जन नाम के ट्विटर हैंडल ने लिखा कि दानिश ने कोरोना से मरने वाले लोगों की तस्वीरों को बिना किसी से पूछे बेच दिया। प्रदीप साहा के नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा कि दानिश ने हिंदुओं के अंतिम संस्कार की फ़ोटो को न्यूयॉर्क टाइम्स को भेजकर भारत, नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ को बदनाम किया। वहीं कुछ लोग नफ़रत फैलाने वालों को जवाब भी दे रहे हैं। ऋतिक नाम ने ट्विटर यूजर ने लिखा है कि दानिश की मौत को कर्मों का नतीजा बताने लोग नर्क की आग में जलाए जाएंगे।

पता नहीं यह कौन सी घटिया मानसिकता है जो किसी के इस दुनिया से जाने पर कुछ लोगों को सुकून देती है। उससे भी ज़्यादा अफसोस की बात तो यह है कि वो बड़ी ही बेशर्मी से अपने इस सुकून का खुलेआम इज़हार भी करते हैं। दानिश की मौत के बाद सोशल मीडिया ख़ासकर ट्वीटर पर ऐसे बेशर्म लोगों के सुकून का सैलाब उमड़ पड़ा है। ये तमाम वो लोग हैं जो देश की सरकार के ख़िलाफ़ एक शब्द भी सुनना पसंद नहीं करते। क्योंकि दानिश की खींची गई तस्वीरों से कोरोना काल में मोदी सरकार की बदइंतेज़ामी की पोल खुली थी। लिहाज़ा सरकार समर्थक दानिश की मौत पर जश्न मा रहे रहैं। इस सोच और मोजूदा हालात पर सिर्फ़ अफ़सोस ही किया जा सकता है।

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