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क्यों मनाते हैं संविधान दिवस? जानिए भारत के संविधान की खास बातें...
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पूरा देश आज संविधान दिवस (Constitution Day) मना रहा है। प्रत्येक भारतीय नागरिक (Citizen)के लिए इस दिन का बहुत बड़ा महत्व है। इसे दिन भारत सैकड़ों वर्षो की गुलामी के बाद दुनिया के सामने एक प्रभुत्व संपन्न राष्ट्र के रूप में खुद को नामित किया। जैसे भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए 15 अगस्त (15 August) और 26 जनवरी (26 January) का दिन महत्वपूर्ण होता है। उसी तरह प्रत्येक भारतीय के लिए 26 नवंबर का दिन भी उतना ही मायने रखता है। आज ही के दिन हमारे संविधान सभा ने 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन के कड़ी तपस्या के बाद हमारे देश का संविधान देशवासियों व दुनिया के सामने रखा।
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क्या होता है संविधान...? What is Constitution?
आप और हम सब परिवार में रहते हैं। तो हमारे परिवार में जो मुखिया होता है वह कुछ नियम कायदे बना देता हैं। जिसको तोड़ने पर हमें दंडित (Punish) भी किया जाता है। यह आदेश वैसे तो मौखिक होते हैं लेकिन एक परिवार के लिए यही उसके नियम बन जाते हैं। यह तो हो गई है परिवार की बात। लेकिन जब किसी देश (Nation or State) के सभी नागरिकों (Citizen) को इसी तरह के कुछ नियम कायदे में चलाना चाहते हैं। तो उसके लिए नियम कानून तो बनाना ही पड़ेगा। दुनिया के अधिकतर संपन्न देश रूल ऑफ लॉ (Rule Of Law) से चलते हैं। यानी देश के नागरिकों के लिए जो कानून या संविधान देश ने बनाया है। उसी हिसाब से प्रत्येक देश का नागरिक अपने देश में उसका पालन करते हुए रहता है।
संविधान की परिकल्पना हमें फ्रेंच रिवॉल्यूशन(French Revolution) यानी फ्रांस की क्रांति से मिलती है। 14 जुलाई 1789 में फ्रांस के नागरिकों ने सैकड़ों वर्षों से चले आ रहे तानाशाही राजा के राजतंत्र को मशहूर बास्तील (Bastille) जेल को तोड़ डाला था। और इसके बाद से फ्रांस के नागरिकों ने खुद को आजाद घोषित कर दिया। फ्रांसीसी क्रांति के बाद फ्रांस की नेशनल असेंबली ने 'पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणा पत्र" ( Declaration of the Rights of Man And of the Citizen) का ऐलान किया। उस जमाने के मशहूर चित्रकार ले बर्बिये द्वारा बनाया गया इस अधिकार पत्र का चित्र आज तक अमर है। यह घोषणा पत्र उस समय में प्रत्येक नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता (Religious Freedom), अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech व विधानसभा की स्वतंत्रता (Freedom of Election Process) देना सुनिश्चित करता है। पूरे विश्व के अधिकतर रूल ऑफ़ लॉ वाले देश के संविधान के प्रारूपों का जन्मदाता फ्रांस की क्रांति ही है। इसी तरह जब अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के नाम पर हमारे यहां व्यापार करने आए और फिर जब वह हम पर राज करने लगे। तो वह भी कई प्रकार के कानून बनाकर हम पर शासन करते थे।
उनका कानून लंदन में स्थित ब्रिटिश पार्लियामेंट में बनता था। जब भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ तो उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि वह अपने देश का संविधान कैसे बनाएं। क्योंकि हमारा देश अनेक भाषाओं, जातियों, कबीलो, धर्मो व संस्कृतियों का देश है। और इसीलिए हमारे संविधान निर्माताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती भी यही थी कि इन सभी को कैसे एक सूत्र में बांधा जाए। हमारे संविधान निर्माताओं में 2 साल 11 महीना 18 दिन की कड़ी तपस्या के बाद देश को विश्व का सबसे बड़ा व सबसे विशाल संविधान दिया।
हमारे संविधान निर्माताओं ने हमारे संविधान से भारत को "अनेकता में एकता" वाले देश के रूप में परिभाषित किया। हमारा देश जन्म से ही अपने नागरिकों को छह प्रकार के मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) देता है. अगर हम वर्तमान वैश्विक परिदृश्य को देखें तो हमें अपने संविधान निर्माताओं पर गर्व होना चाहिए कि उन्होंने हमें आजादी से जीने वाला यह महत्वपूर्ण संविधान दिया है। हमारे देश के संविधान निर्माताओं ने संविधान का संरक्षक के रूप में न्यायपालिका को स्थापित किया गया है। ताकि अगर कोई सरकारें देश में बने कानूनों का तानाशाही के रूप में इस्तेमाल करने लगे। तो न्यायपालिका का यह धर्म है कि वह संविधान के संरक्षक के रूप में अपने नागरिकों की आजादी व व्यक्ति की गरिमा को बनाए रखना सुनिश्चित करें।
भारतीय संविधान की खासियत
प्रत्येक देश के संविधान के साथ अपनी-अपनी खासियत जुड़ी हुई है। लेकिन जितना ऐतिहासिक व खासियत भारतीय संविधान के साथ जुड़ी हुई है। उतना शायद ही किसी और संविधान के साथ जुड़ी हो।
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भारतीय संविधान की विशेषताएं निम्नलिखित हैं...
• भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा व लिखित संविधान है। • इसे बनाने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का वक्त लगा है। • भारत के संविधान निर्माता के तौर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का नाम बड़े ही श्रद्धा से लिया जाता है। • संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी। • इस संविधान सभा में 299 सदस्य थे और इसके अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे। • संविधान लागू होने के समय संविधान के 22 भाग (Part) 395 अनुच्छेद (Article) और 8 अनुसूचियां (Schedule) थी। • वर्तमान समय में भारतीय संविधान में 25 भाग (Part) 448 अनुच्छेद (Article) और 12 अनुसूचियां (Schedule) हैं। • 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के 284 सदस्यों ने संविधान के मूल प्रति पर दस्तखत करते हुए संविधान राष्ट्र को समर्पित किया। • भारत के संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी संविधान के प्रस्तावना से भी सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। • संविधान को भारत के प्रत्येक नागरिक से जुड़ा हुआ समझा जाए इसके लिए प्रस्तावना के शुरुआत ही "हम भारत के लोग" से होती हैं। • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ज्ञानी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) को भारतीय संविधान का संरक्षक बनाया गया है। • भारतीय संविधान में कई देशों के संविधानों के प्रारूपों को अपनाया गया है। हमारे संविधान में यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान सहित अन्य देशों से कई प्रमुख चीजें ली गई हैं। • संविधान की मूल प्रति 16 इंच चौड़ी वह 22 इंच लंबी है। • इसके मूल प्रतिलिपि में 251 पन्ने शामिल है। • भारतीय संविधान को हाथ से लिखा गया है। भारतीय संविधान को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा बेहतरीन कैलीग्राफी के जरिए इटैलिक अक्षरों में लिखा गया है। • भारतीय संविधान के प्रत्येक पन्ने को शांति निकेतन के कलाकारों ने सजाया है। • संविधान की मूल प्रति हिंदी व अंग्रेजी भाषा में लिखी गई है। • इसकी मूल प्रति संसद भवन के लाइब्रेरी में कड़ी सुरक्षा के बीच हीलियम से भरे बक्से में रखी गई है।