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मनीष की बात : जानिए- क्या है सहकारिता मंत्रालय: क्या काम करेगा सरकार का यह नया मंत्रालय..
जैसा की हम जानते है हाल ही में मोदी सरकार ने नया एक मंत्रालय बनाया है जिसका नाम है सहकारिता मंत्रालय यानि मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉरपरेशन अब ये कॉरपरेशन की मिनिस्ट्री क्या काम करेगी ये हमारे देश में फैली हुई कॉपरेटिव सोइटिस को कंट्रोल करेंगी रेगुलेट करेंगी. इनके लिए कानून पे काम करेंगी. इनके लिए एडमिनिस्ट्रेटिव स्ट्रक्चर तैयार करेंगी और सहकर से समृद्धि की इस भावना को बढ़ावा देते हुए जन-जन तक गांव-गांव तक इस योजना तक पहुंचाया जायेगा ताकि सहकार की भावना जाग्रत हो और हम मिलकर कॉपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से अपने व्यापार को आगे बढ़ाये और जिसे ये कहते है कि व्यापारियों के हिस्से में जाने की जगह किसान अपना काम खुद करे.
एक्साम्प्ले के तोर से समझते है जैसे दस या पंद्रह ऐसे किसान जिनके पास अपनी जमीन है और वो मिलकर कॉपरेटिव सोसाइटी बना लेते है और अपना प्रोडूयस उस सोसाइटी के माध्यम से बेचते है. इफ्को भी कॉपरेटिव सोसाइटी है अमूल भी कॉपरेटिव सोसाइटी है तो सोसाइटी के माध्यम से क्या होता है जो सोसाइटी के सदस्य है वही उसके मेंबर है वही उसके मालिक है और जो लाभ होगा उन्हीं में बाटा जायेगा यानि हम सरकार से मिल झूलकर अपने लिए लाभ कमाए ऐसा सहकार है लेकिन हमारे देश में क्या हो रहा था.
हमारे देश में सोसाइटी की आड़ में बहुत सारे लोगों ने अपना बेनामी धन जमा कर लिया बड़ी इन्वेस्टमेंट प्रॉपर्टीज सहकारिता के नाम पर नेताओं ने अपनी जमा कर ली थी. मोदी सरकार ने ऐसे लोगों पर अपना निशान लगा दिया है कि भाईसाहब आपको यहाँ पर रिपोर्ट देनी पड़ेगी. सहकारिता मंत्रालय सब उन सबकी चर्चा करेगा उनके कॉपरेटिव सोइटिस के रिपोर्टिंग सिस्टम और बेहतर करने होंगे कंपनीज एक्ट की तरह उनमें KYC आएगी इसके अलावा कौन कौन मेंबर है इनके आपस में क्या सम्बन्ध है आने वाले समय में ये होगा रेलेटेड पार्टी के डिस्क्लोजर होंगे और तब पता लगेगा कि इस सोसाइटी में किस व्यक्ति के कितने शेयर है बैंक में है.
अपने देखा होगा हर बड़े सरकार बैंक का चेयरमैन कोई न कोई नेता ही होता है . क्यों होता है कही ऐसा तो नहीं उस सहकारी बैंक के अंदर मेंबर नामी या बेनामी है. हम देखते है पश्चिमी में महाराष्ट्र और गुजरात में कई शुगर मील उनके चेयरमैन एक नेता ही होता है कही ऐसा तो नहीं है किसी नेता की बेनामी सम्पति उनके भाई नौकर के नाम से लगी हो तो ऐसे लोगों पर अब मोदी सरकार की नज़र पड़ चुकी है. आने वालों दो सालों में ये सहकारिता मंत्रालय मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्परट अफेयर्स की तरह एक नए आयाम स्थापित करेगा ट्रांसपेरेंसी के मामले में कंपनीज एक्ट के बराबर खड़ा होगा और जिन लोगों ने अपना पैसा कॉपरेटिव सोइटिस के माध्यम से लगा रखा है पकडे जाएंगे.