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पीके की मोदी से क्यों बिगड़ी बात, हुआ इस रिपोर्ट में खुलासा!

Shiv Kumar Mishra
23 Feb 2020 8:01 AM GMT
पीके की मोदी से क्यों बिगड़ी बात, हुआ इस रिपोर्ट में खुलासा!
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. साल 2011 में मोदी की किशोर से मुलाकात हुई और साल 2012 के गुजरात चुनाव में किशोर ने काम किया और फिर मोदी के करीब हो गए.

नई दिल्ली. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बीते दिनों एक प्रेस वार्ता कर बिहार सरकार और मुखिया नीतीश कुमार को चुनौती दी थी. उन्होंने राज्य सरकार और उसके द्वारा किये जा रहे विकास के दावों को भी खारिज किया था. CAA पर जनता दल युनाइटेड से अलग राय देने वाले किशोर को इसी साल जनवरी में पार्टी से निकाल दिया गया था. इसके बाद से ही वह नए सियासी घर की तलाश में हैं. माना जा रहा है कि इस साल होने वाले बिहार चुनाव 2020 में वह नीतीश और बीजेपी के विरोध में गठबंधन बनाना चाह रहे हैं. इसी कड़ी में वह कई नेताओं से मुलाकात भी कर चुके हैं.

बिहार में जन्मे किशोर ने यूपी में पढ़ाई पूरी की. साल 2011 में टीम मोदी में एंट्री पाने वाले किशोर ने संयुक्त राष्ट्र के लिए हेल्थ प्रफेशनल के तौर पर अफ्रीकी देश चाड में काम कर चुके हैं. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर उन पर तब गई जब उन्होंने गुजरात में कुपोषण के मुद्दे पर एक पेपर प्रकाशित किया था. साल 2011 में मोदी की किशोर से मुलाकात हुई और साल 2012 के गुजरात चुनाव में किशोर ने काम किया और फिर मोदी के करीब हो गए.

किशोर चाहते थे PMO में एंट्री

साल 2014 में जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तब किशोर अपनी टीम के साथ दिल्ली आ गए और यहां से बीजेपी के लिए वॉर रूम बना कर प्रचार प्रसार का जिम्मा संभाला. अंग्रेजी अखबार द संडे इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत के बाद किशोर चाहते थे कि उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में एंट्री मिले.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि किशोर की कंपनी I-PAC के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि वह (किशोर) सरकार में लैटरल एंट्री के समर्थक थे. उन्होंने ही इस बारे में प्रधानमंत्री को आइडिया दिया था. सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में दावा किया गया कि पीके अपनी टीम के साथ पीएमओ में एक टीम का नेतृत्व करतना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री ने खुद इस योजना में दिलचस्पी दिखाई थी.

अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई के एक वरिष्ठ नेता ने किशोर को महत्वाकांक्षी बताते हुए अवसरवादी तक कहा. बीजेपी नेता ने बताया - साल 2011 में एक रियल स्टेट कारोबारी ने नरेंद्र मोदी से किशोर की मुलाकात कराई थी, तब उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि किशोर की महत्वाकांक्षा है कि वह राजनीति में आगे बढ़ें. किशोर लंबे समय तक लोगों से चुनावी रणनीतिकार और एक कंपनी चलाने वाले शख्स के तौर पर मुलाकात करते हैं. उनका कोई सिद्धांत नहीं है. वह सिर्फ अवसरवादी हैं.'

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