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सेना में महिलाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, महिला अधिकारियों को मिलेगा सेना में स्थायी कमीशन

Sujeet Kumar Gupta
17 Feb 2020 6:20 AM GMT
सेना में महिलाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, महिला अधिकारियों को मिलेगा सेना में स्थायी कमीशन
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सशस्त्र बलों में लिंग आधारित भेदभाव खत्म करने के लिए सरकार की ओर से मानसिकता में बदलाव जरूरी है।

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने केंद्र से कहा कि 2010 में दिल्ली उच्च न्यायलय के आदेश के बाद इसे लागू किया जाना चाहिए था। अदालत ने कहा कि सामाजिक और मानसिक कारण बताकर महिलाओं को इस अवसर से वंचित करना न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि अस्वीकार्य भी है। अदालत ने केंद्र को अपने नजरिए और मानसिकता में बदलाव लाने को कहा है।

शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालयों के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि महिलाओं के सेना के 10 विभागों में स्थायी कमिशन दिया जाए। अदालत ने सरकार के महिलाओं को कमांड न देने को लेकर दिए तर्क को अतार्किक और समानता के अधिकार के खिलाफ बताया। अदालत ने कहा कि सशस्त्र बलों में लिंग आधारित भेदभाव खत्म करने के लिए सरकार की ओर से मानसिकता में बदलाव जरूरी है।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद केंद्र को महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि 14 साल से ऊपर सेवा दे चुकी महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा और सैनिकों के पास शारीरिक क्षमता होनी चाहिए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि स्थायी कमीशन सेना में सभी महिला अधिकारियों को सेवा में लागू करेगा, चाहे उनकी सेवा को कितने वर्षों हो गए हो। जस्टिस चंद्रचूड़़ ने कहा कि हम इस याचिका को खारिज करते हैं और 3 माह में अदालत के इस फैसले का अनुपालन होना चाहिए।

दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब रोक नहीं लगाई गई, फिर भी केंद्र ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया. हाईकोर्ट के फैसले पर कार्रवाई करने का कोई कारण या औचित्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के 9 साल के फैसले के बाद केंद्र 10 धाराओं के लिए नई नीति लेकर आया.

दृष्टिकोण और मानसिकता बदले केंद्र

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी नागरिकों को अवसर की समानता, लैंगिक न्याय सेना में महिलाओं की भागीदारी का मार्गदर्शन करेगा. महिलाओं की शारीरिक विशेषताओं पर केंद्र के विचारों को कोर्ट ने खारिज किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र दृष्टिकोण और मानसिकता में बदलाव करे. सेना में सच्ची समानता लानी होगी. 30 फीसदी महिलाएं वास्तव में लड़ाकू क्षेत्रों में तैनात हैं।

कैप्टन तान्या शेरगिल का दिया गया उदाहरण

केंद्र सरकार पर नाराजगी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थाई कमीशन देने से इनकार स्टीरियोटाइप्स पूर्वाग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं. महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं. केंद्र की दलीलें परेशान करने वाली हैं. महिला सेना अधिकारियों ने देश का गौरव बढ़ाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कैप्टन तान्या शेरगिल का उदाहरण दिया.

केंद्र की नीति को बताया सही कदम

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये अहसास करने का समय आ गया है कि महिला अफसर पुरुष समकक्षों के लिए सिर्फ सहायक नहीं हैं ,जिनकी उपस्थिति को सहन करना पड़ता है. लिंग के आधार पर महिलाओं पर आकांक्षाएं डालना वास्तव में पूरी सेना के लिए एक संघर्ष है, जहां पुरुष और महिला समान हैं. महिलाओं को 10 शाखाओं में स्थाई कमीशन देने का फैसला केंद्र का सही दिशा में बढ़ाया कदम हैं.

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दिया था यह तर्क

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए कहा था कि सेना में ज्यादातर ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले जवान महिला अधिकारियों से कमांड लेने को लेकर बहुत सहज नजर नहीं आते. महिलाओं की शारीरिक स्थिति, परिवारिक दायित्व जैसी बहुत सी बातें उन्हें कमांडिंग अफसर बनाने में बाधक हैं.

केंद्र ने 10 विभागों के लिए बनाई थी नीति

फरवरी 2019 में सरकार ने सेना के 10 विभागों में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने की नीति बनाई है. इसमें जज एडवोकेट जनरल, आर्मी एजुकेशन कोर, सिग्नल, इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स-मेकेनिकल इंजीनियरिंग, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डिनेंस और इंटेलिजेंस शामिल है. कॉम्बैट विंग यानी सीधी लड़ाई वाली यूनिट शामिल नहीं है.

कमांड अप्वॉइनमेंट को लेकर बवाल

महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की नई नीति में एक और बड़ी कमी है उनको सिर्फ स्टाफ अप्वॉइनमेंट में पद देना. यानी सिर्फ प्रशासनिक और व्यवस्था से जुड़े पद देना. इस तरह स्थायी कमीशन मिलने के बावजूद महिलाएं क्राइटेरिया अप्वॉइनमेंट और कमांड अप्वॉइनमेंट नहीं पा सकेंगी. कमांड अप्वॉइनमेंट का मतलब होता है किसी विभाग का नेतृत्व करने वाला पद. जबकि, क्राइटेरिया अप्वॉइनमेंट वैसे पद होते हैं जहां सीधे कमांड तो नहीं मिलती.

Sujeet Kumar Gupta

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