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लोकसभा चुनाव से पहले हो सकती है योगी की छुट्टी, बेहद नाराज हैं पीएम मोदी और अमित शाह

Yusuf Ansari
5 Oct 2018 7:57 AM IST
लोकसभा चुनाव से पहले हो सकती है योगी की छुट्टी, बेहद नाराज हैं पीएम मोदी और अमित शाह
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यूपी में लगातार बिगड़ती कनून व्यवस्था और फर्जी एनकाउंटरों से लोगों में बढ़ती दहशत को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बेहद नाराज बताए जाते हैं. लोकसभा चुनाव से पहले योगी को हटा नए मुख्यमंत्री को सूबे की कमान दी जा सकती है.

यूसुफ़ अंसारी

दिल्ली में सत्ता के गलियारों और बीजेपी के हलकों में खबर गर्म है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बेहद नाराज हैं. नाराजगी की वजह है उत्तर प्रदेश में लगातार बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति. लखनऊ में पुलिस के हाथों हुई विवेक तिवारी की हत्या और उसके बाद पुलिस के बागी तेवरों से उत्तर प्रदेश पुलिस का बेहद क्रूर चेहरा सामने आया है. इस सब के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एनकाउंटर नीति को ज़िम्मेदार माना जा रहा है. इस वजह से बीजेपी आलाकमान से लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय तक योगी आदित्यनाथ से खफा बताया जा रहा है.




योगी आदित्यनाथ से बीजेपी आलाकमान और केंद्र सरकार की नाराजगी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि लखनऊ शूटआउट के बाद गृह मंत्री ने खुद योगी आदित्यनाथ को फोन करके इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे. बताया जा रहा है की राजनाथ सिंह से इस बारे में पीएम मोदी ने भी बात की थी. वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके दोनों उप मुख्यमंत्रियों को दिल्ली तलब कर के उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे. अमित शाह के इन तीनों को तलब किए जाने से बीजेपी हलकों में इस चर्चा को बल मिला है कि आलाकमान प्रदेश सरकार से खुश नहीं है और मुख्यमंत्री समेत उप मुख्यमंत्रियों पर कभी भी गाज गिर सकती है.

बीजेपी में पिछले काफी दिनों से आगामी लोकसभा चुनाव से पहले कभी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बदले जाने की चर्चा है. उनकी जगह किसी ब्राह्मण चेहरे को लाया जा सकता है. इसमें मौजूदा उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा का नाम सबसे ऊपर है. उनकी जगह किसी दलित को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. इस तरह की चर्चाएं उत्तर प्रदेश में हुए तीन लोकसभा और एक विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी की हार के बाद से लगातार चल रही हैं. लखनऊ शूटआउट के बाद इन चर्चाओं ने और जोर पकड़ा है. मुख्यमंत्री पद के लिए महिला नेता की नाम भी सामने आ रहा है.

यूपी में लगातार हो रहे फर्जी एनकाउंटरों की वजह से प्रदेश सरकार की छवि देशभर में खराब हो रही है. इससे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की व्यक्तिगत छवि पर भी असर पड़ा है. उनके बारे में यह धारणा लगातार मजबूत होती जा रही है कि पुलिस प्रशासन पर उनकी वैसी पकड़ नहीं है जैसी कि एक मुख्यमंत्री की होनी चाहिए. कुल मिलाकर बतौर मुख्यमंत्री उनकी क्षमता इस वक्त सवालों के घेरे में है. सवाल बाहर वाले कम और पार्टी के अंदर वाले लोग ज्यादा उठा रहे हैं. पार्टी में ही कई लोग कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ की उपयोगिता बीजेपी के को कोर वोटर्स को एकजुट रखने तक तो ठीक है लेकिन उनके हाथों प्रदेश की कमान सौंपकर बीजेपी और संघ परिवार ने गलती कर दी है.

योगी आदित्यनाथ पर यह भी आरोप है कि वह राज्य में अपने सहयोगी दलों को साथ लेकर नहीं चल रहे हैं. सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर लगातार योगी आदित्यनाथ पर अपनी अनदेखी का आरोप लगाते रहे हैं. इस बारे में अमित शाह कई बार योगी आदित्यनाथ से बात कर चुके हैं लेकिन सहयोगीयों के साथ तालमेल नहीं बैठ रहा. वहीं योगी आदित्यनाथ पर 2019 के लोकसभा चुनाव में 2014 का प्रदर्शन दोहराने का दबाव है. फिलहाल प्रदेश के राजनीतिक समीकरण इसके अनुकूल नहीं दिखते. राज्य में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन होने की स्थिति में बीजेपी को बीजेपी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसकी तोड़ योगी आदित्यनाथ नहीं ढूंढ पा रहे. राज्य के खुफिया विभाग से मिल रही जानकारी के मुताबिक बीजेपी को कम से कम आधी सीटों का नुकसान होगा अगर किसी वजह से सपा बसपा गठबंधन नहीं हो पाता तो भी बीजेपी इसी सूरत 50 सीटों से ऊपर नहीं पहुंच पाएगी प्रदेश में बीजेपी की लगातार गिरती साख के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदार माना जा रहा है.




इन सब वजहों से राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा लगातार जोर पकड़ रही है कि प्रदेश में पार्टी की हालत सुधारने और लोकसभा चुनाव में 2014 का प्रदर्शन दोहराने के लिए मुख्यमंत्री का बदला जाना जरूरी हो गया है. लोकसभा चुनाव से पहले यह बदलाव कभी भी किया जा सकता है. पार्टी में यह भी चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मनोज सिन्हा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के हक में थे लेकिन आखरी वक्त पर संघ परिवार की तरफ से आए दबाव के चलते योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा. लिहाजा उन्हें बदलने से पहले भी संघ परिवार की मंजूरी जरूरी होगी. बीजेपी नेताओं का कहना है परिवार भी योगी की कार्यशैली और प्रदेश की लगातार बिगड़ती कानून व्यवस्था से खुश नहीं है. उसकी तरफ से योगी को बदले जाने की हरी झंडी कभी भी मिल सकती है. तो इंतजार कीजिए नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में इसी मुख्यमंत्री के बदले जाने की पहली घटना का.

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