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डॉ कुमार विश्वास का सवाल सुनकर तिलमिला जायेंगे आप!
देश में जब कोरोना महामारी अपना पूरा जोर दिखा रही थी न श्मशान में जगह थी न अस्पताल में जगह मिल रही थी. मौत सरेआम सडक पर नंगा नाच नाच रही थी. बिना उम्र का पड़ाव देखे हुए लोगों पर हमला बोल रही थी. तब देश के जाने माने हिंदी के प्रख्यात कवि डॉ कुमार विश्वास लोंगों के लिए दवा , अस्पताल , ऑक्सीजन , मुहैया करा रहे थे और देश के राजनेता फ़ो स्विच ऑफ़ करके सो रहे थे. इसके बाद जब आज ये माहौल बन चुका ही तो कौन थे वो लोग?
डॉ कुमार विश्वास ने कहा है कि एक रिकार्डिंग के कारण ढाई महीने बाद केवी कुटीर से घर गया और अरसे बाद 2-3 दिन TV देखा. चैनलों पर चोंच लड़ा रहे नेताओं को देखकर लगा ही नहीं कि 2 महीने पहले ये लोग जनता के दर्द से बेपरवाह घर में छुपे हुए थे. जनता भी इन पर फिर से फ़िदा है,तो वो कौन लोग थे जिनके लिए मैं रातदिन मर रहा था.
डॉ कुमार विश्वास ने बिलकुल सटीक बात लिखी है जब इस देश में कोई नेता सामने नहीं आ रहा था तब डॉ कुमार सरीखे लोग ही मदद को आगे आ रहे थे . डॉ कुमार ने इस नई व्यवस्था के तहत दिल्ली एनसीआर ही नहीं देश के कौने कौने में हेल्थ उपकरण और कोरोना की फर्स्ट एड किट मुहैया कराई है. उत्तर प्रदेश के कई जिलों के कई गाँवों में कुमार कोविड सेंटर आज भी लोंगों की मदद कर रहे है.
ऐसे में कुमार का नराज होना वाजिब है जब देश की जनता रोज हजारों की तादात में अपनी जाने दे रही थी तब कुमार मदद कर रहे थे आज जब देश में माहौल सकरात्मक है तो इसका श्रेय वो नेता ले रहे है जो कोरोना काल में लापता थे जिनके रोज पोस्टर चस्पा होते थे.