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जानिये एक ऐसा विचित्र मंदिर जहाँ की रखवाली करता है शाकाहारी मगरमच्छ
Special Coverage News
20 July 2016 7:38 PM IST
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भारत एक विशाल देश है, यहां ऐसे कई स्थान हैं जहां की मान्यताओं के बारे में स्थानीय लोगों के अलावा और कोई नहीं जानता। इन मान्यताओं के पीछे बहुत सारे दावे होते हैं। कुछ मान्यताएं इतनी दिलचस्प होती है जिनके बारे में आप भी जानकर चौंक जाएंगे। आज हम आपको ऐसी ही एक मान्यता की जानकारी दे रहे हैं…
भारत में हर धर्म और संस्कृति को मानने वाले लोग रहते हैं। यहाँ के मंदिरों में लोग भगवान से प्रार्थना करने के लिए जाते हैं और अपनी मनोकामना पुरी करते हैं। ठीक इसी तरह है 'केरल का अनंतपुर मंदिर' जहां लोग अपनी मनोकमाना पुर्ण करने के लिए जाते हैं। लेकिन यह अनोखा मंदिर है और रहस्य से भरा हुआ है यहां पर एक मान्यता है जो बहुत विचित्र हैं जिनके बारे में जानकर आप चौंक जाएंगे।
अनंतपुर मंदिर की विचित्र मान्यता
अनंतपुर मंदिर जो केरल के कासरगोड में स्थित है, यह केरल का एकमात्र झील मंदिर है। दो एकड़ की झील के बीचों-बीच बना यह मंदिर भगवान विष्णु (भगवान अनंत-पद्मनाभस्वामी) का है। इस मंदिर की यह मान्यता है कि यहां की रखवाली एक मगरमच्छ करता है। इस मगरमच्छ का नाम 'बबिआ' है। ये मंदिर 'बबिआ' नाम के मगरमच्छ से भी प्रसिद्ध है इस मंदिर में यह भी मान्यता है कि जब इस झील में एक मगरमच्छ की मृत्यु होती है तो रहस्यमयी ढंग से दूसरा मगरमच्छ प्रकट हो जाता है। हालांकि, ये आते कहां से हैं यह आज भी एक रहस्य है। मान्यता यह भी है कि मंदिर की झील में रहने वाला यह मगरमच्छ पूरी तरह शाकाहारी है और पुजारी इसके मुंह में प्रसाद डालकर इसका पेट भरते हैं।
पुजारियों के हाथ से प्रसाद खाता है यह 'शाकाहारी मगरमच्छ'
स्थानीय लोगों का कहना है कि कितनी भी ज्यादा या कम बारिश होने पर झील के पानी का स्तर हमेशा एक-सा रहता है। यह मगरमच्छ अनंतपुर मंदिर की झील में करीब 60 सालों से रह रहा है। भगवान की पूजा के बाद भक्तों द्वारा चढ़ाया गया प्रसाद बबिआ को खिलाया जाता है। प्रसाद खिलाने की अनुमति सिर्फ मंदिर प्रबंधन के लोगों को है। मान्यता है कि यह मगरमच्छ पूरी तरह शाकाहारी है और प्रसाद इसके मुंह में डालकर खिलाया जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मगरमच्छ शाकाहारी है और वह झील के अन्य जीवों को नुकसान नहीं पहुंचाता।
अंग्रेज सिपाही ने गोली मार दिया, लेकिन अगले दिन पानी में फिर तैरता मिला वही मगरमच्छ
लोगों का कहना है कि 1945 में एक अंग्रेज सिपाही ने तालाब में मगरमच्छ को गोली से मार डाला और अविश्वसनीय रूप से अगले ही दिन वही मगरमच्छ झील में तैरता मिला। कुछ ही दिनों के बाद जिस अंग्रेज सिपाही ने गोली मारी उसकी सांप के काट लेने से मौत हो गई। लोग इसे सांपों के देवता अनंत का बदला मानते हैं। माना जाता है कि अगर आप भाग्यशाली हैं तो आज भी आपको इस मगरमच्छ के दर्शन हो जाते हैं। मंदिर के ट्रस्टी श्री रामचन्द्र भट्ट जी कहते हैं, "हमारा दृढ़ विश्वास है कि ये मगरमच्छ ईश्वर का दूत है और जब भी मंदिर प्रांगण में या उसके आसपास कुछ भी अनुचित होने जा रहा होता है तो यह मगरमच्छ हमें सूचित कर देता है"।
अनंतपुर मंदिर की मूर्तियां 70 से ज्यादा औषधियों से बनी है
बता दें अनंतपुर मंदिर की मूर्तियां धातु या पत्थर की नहीं है बल्कि 70 से ज्यादा औषधियों की सामग्री से बनी हुई हैं। इस प्रकार की मूर्तियों को 'कादु शर्करा योगं' के नाम से जाना जाता है। हालांकि, 1972 में इन मूर्तियों को पंचलौह धातु की मूर्तियों से बदल दिया गया था, लेकिन अब इन्हें दोबारा 'कादु शर्करा योगं' के रूप में बनाने का प्रयास किया जा रहा है। यह मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनंत-पद्मनाभस्वामी का मूल स्थान है। स्थानीय लोगों का विश्वास है की भगवान यहीं आकर स्थापित हुए थे।
अनंतपुर मंदिर की प्रचलित कहानी
इस मंदिर की एक प्रचलित कहानी के मुताबिक़ एक बार श्री विलवमंगलथु स्वामी (भगवान विष्णु के भक्त) अपने भगवान की तपस्या कर रहे थे। तपस्या के दौरान भगवान कृष्ण एक छोटे बालक के रूप में उनके सामने आते हैं और उन्हें परेशान करने लगते हैं। बच्चे के व्यवहार से दुखी और परेशान होकर वे उसे हाथ से धक्का दे देते हैं। इसके बाद बच्चा पास की गुफा में गायब हो गया। बाद में संत को सच्चाई का पता चला। कहते हैं कि जिस दरार में श्रीकृष्ण गायब हुए थे वह आज भी है। उसी समय से मगरमच्छ यहां गुफा के प्रवेश और मंदिर की निगरानी करता है।
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