Archived

आज है नवरात्र का चौथा दिन, मां कुष्मांडा को ऐसे करें प्रसन्न

Arun Mishra
31 March 2017 1:26 AM GMT
आज है नवरात्र का चौथा दिन, मां कुष्मांडा को ऐसे करें प्रसन्न
x
नवरात्र के चौथें दिन दुर्गा जी के चौथें रूप मां कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इन्होने ब्रह्मांण की रचना की। जब सृष्चि में चारों ओर अंधकार था और कोई भी जीव-जंतु नही था। तब मां ने सृष्टि का रचना की। इसी कारण इन्हें कुष्मांडा देनी के नाम से जाना जाता है। आदिशक्ति दुर्गा के कुष्मांडा रूप में चौथा स्वरूप भक्तों को संतति सुख प्रदान करने वाला है।

आज के दिन पहले मां का ध्यान मंत्र पढ़कर उनका आहवान किया जाता है और फिर मंत्र पढ़कर उनकी आराधना की जाती है।

या देवी सर्वभू‍तेषु कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

कूष्मांडा का मतलब है कि अपनी मंद (फूलों) सी मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड को अपने गर्भ में उत्पन्न किया है वही है मां कूष्मांडा है। मां कूष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। मां कूष्मांडा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। इनकी आराधना करने से भक्तों को तेज, ज्ञान, प्रेम, उर्जा, वर्चस्व, आयु, यश, बल, आरोग्य और संतान का सुख प्राप्त होता है।

कहा जाता है कि मां की उपासना भवसागर से पार उतारने के लिए सर्वाधिक सुगम और श्रेयष्कर मार्ग है। जैसा कि दुर्गा सप्तशती के कवच में लिखा गया है -

कुत्सित: कूष्मा कूष्मा-त्रिविधतापयुत: संसार: ।
स अण्डे मांसपेश्यामुदररूपायां यस्या: सा कूष्मांडा ।।

अर्थ : "वह देवी जिनके उदर में त्रिविध तापयुक्त संसार स्थित है वह कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा इस चराचार जगत की अधिष्ठात्री हैं। जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी। उस समय अंधकार का साम्राज्य था।"

मां कूष्मांडा की उपासना करने से सारे कष्ट और बीमारियां दूर हो जाती है। उनकी पूजा से हमारे शरीर का अनाहत चक्र जागृत होता है। इनकी उपासना से जीवन के सारे शोक खत्म हो जाते हैं। इससे भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है। देवी मां के आशीर्वाद से सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी हासिल होते हैं।
Next Story