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FILM REVIEW: पढ़ें कैसी है, लिपिस्टिक अंडर माई बुर्का

Special Coverage News
21 July 2017 3:41 PM IST
FILM REVIEW: पढ़ें कैसी है, लिपिस्टिक अंडर माई बुर्का
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18 से 55 साल तक की चार महिलाओं की समानांतर कहानी दिखाई है. उम्र के अपने-अपने पड़ाव पर जिन्दगी जी रही ये चारों महिलाएं प्यार और स्वछन्दता की भूखी हैं
फ़िल्म: लिपस्टिक अंडर माय बुर्का
निर्माता: बालाजी टेलीफिल्म्स और प्रकाश झा
निर्देशक: अलंकृता श्रीवास्तव
कलाकार: कोंकणा सेनशर्मा,रत्ना पाठक शाह, आहना कुमरा, प्लाबिता, विक्रांत मेस्सी, सुशांत सिंह, शशांक अरोरा और अन्य
18 से 55 साल तक की चार महिलाओं की समानांतर कहानी दिखाई है. उम्र के अपने-अपने पड़ाव पर जिन्दगी जी रही ये चारों महिलाएं प्यार और स्वछन्दता की भूखी हैं. निर्देशक ने शायद यह बताने की कोशिश की है कि ये सिर्फ इन चार महिलाओं की ही नहीं बल्कि हर महिला की कहानी है.
मुख्य किरदार में 55 साल की विधवा की भूमिका में रत्ना पाठक ने अपनी अतृप्त सेक्स की भावनाओं को इस कदर जीया है कि फिल्म में जान आ गई है. रत्ना पाठक जब फोन पर अपने से आधी उम्र के लड़के के साथ सेक्स की बातें करते हुए कपड़े तक खोल देती हैं तो वह न सिर्फ अपनी भूख मिटाती हैं बल्कि सुनने वाले की भी प्यास जगा देतीं हैं.
तीन बच्चों की मां कोंकणा सेन का पति उसे सिर्फ सेक्स का सामान मानता है और घर आते ही उस पर वहशी भेड़िये की तरह सेक्स के लिए टूट पड़ता है. पर हकीकत यह है कि उसके पति ने उसे आज तक प्यार से चूमा तक नहीं है. उसका प्यार सिर्फ कमर से नीचे की हरकते हैं.
लीला यानी आहाना कुमरा अपनी शर्तों पर जीने वाली लड़की है. एक फोटोग्राफर से उसका अफेयर है. लेकिन उसकी मां चाहती है कि वो अरेंज मैरेज करके सेटल हो जाए. इसी उहापोह में फंसी आहना कभी अपने प्रेमी फोटोग्राफर तो कभी अपने होने वाले शौहर के साथ सुपर बोल्ड सीन में नजर आती हैं.
रिहाना यानी प्लाबिता बोर्थाकुर हमेशा बुर्के में ही कैद रहती है. लेकिन उसके सपने उस बुर्के की घुटन को चीरकर बाहर निकलने की फिराक में रहते हैं. एक दोहरी जिंदगी जीते हुए वो जींस, शराब और माइली साइरस जैसे रॉकस्टार बनने के सपने देखती है और साथ ही अपने दोस्तों के साथ रात गुजारने से भी परहेज नहीं करती.
सेंसर बोर्ड की जुबान में हो या फिर समाज के नजरिए से, महिलाओं के लिपस्टिक वाले सपने कथित तौर पर असंस्कारी हैं लेकिन ऐसे ही लिपस्टिक वाले सपने देखने की हिम्मत कर रही भोपाल की ये चार महिलाएं अपने ही जैसी दूसरी महिलाओं के सपने को जगाने का काम ज़रूर कर लेंगी, यही इस फिल्म का संदेश है.
कुछ लोगों को फिल्म परिवार के साथ देखने में दिक्कत हो सकती है, फिर भी इसकी बोल्ड कहानी और ट्रीटमेंट को देखने के बाद इसे साढ़े तीन स्टार मिलते हैं.

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