- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
x
Know why Sitali Pranayam is beneficial
बाबा रामदेव
योग इस एक शब्द में पिण्ड व ब्रह्मांड के सम्पूर्ण सत्यों का समावेश है। बस आवश्यकता है योग के समग्र सत्य को समझने और उसके अनुसार जीने की। किसी भी सत्य को यदि हम समग्र रूप से नहीं समझते तो हम सत्य से आंशिक या पूर्ण रूप से वंचित रह जाते हैं। योग के वैयक्तिक एवं वैश्विक सत्यों की ओर आज विश्व के प्रामाणिक व जिम्मेदार शिखर पुरुषों को गम्भीरता पूर्वक विचार करना ही चाहिए। जब हम योग के वैयक्तिक, पारिवारिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक व आध्यात्मिक लाभों व सत्यों का पूरी ईमानदारी के साथ मूल्याकंन करेंगे, तो हम स्वयं व समष्टि के योगी होने में गौरव, सौभाग्य व लाभ अनुभव करेंगे। योग मानवीय चेतना का मूल स्वभाव''स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते'' 8/3 (गीता) तथा अन्तिम लक्ष्य-ध्येय-गन्तव्य और जीवन की पूर्णता है।
मनुष्य प्रकृति या परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है और मनुष्य के पिण्ड व ब्रह्माण्ड में बीज रूप में जो सम्पूर्ण ज्ञान, संवेदना, सामर्थ्य, पुरुषार्थ,सुख, शान्ति व आनन्द सन्निहित है, उसका पूर्ण प्रकरीकरण व जागरण केवल योगविद्या एवं योगाभ्यास से ही संभव है। आज विश्व समुदाय के सम्मुख सबसे बड़ी चुनौतियां हैं - हिंसा, अपराध, आतंकवाद, युद्ध, नशा, भ्रष्ट आचरण व भ्रष्टाचार, विचारधाराओं का चरम संघर्ष,अन्याय, अमानवीय असमानता, स्वार्थपरता, अहंकार एवं अकर्मण्यता और इन सबका एकमात्र समाधान है, योग विद्या - अध्यात्म विद्या का समग्रबोध, योग का नियमित अभ्यास एवं योगमय दिव्य श्रेष्ठ आचरण।
एकत्व सहअस्तित्व एवं विश्वबन्धुत्व/ शुद्ध ज्ञान, शुद्ध कर्म एवं शुद्ध उपासना। ज्ञानयोग, कर्मयोग एवं भक्तियोग। तप, स्वाध्याय एवं ईश्वर प्रणिधान। व्रत, दीक्षा एवं श्रद्धा। प्रार्थना, पुरुषार्थ एवं परमार्थ ये योग के मूलभूत सिद्धान्त हैं। इसके विपरीत अज्ञान, अश्रद्धा एवं अकर्मण्यता - ये योग के सबसे बड़े बाधक तत्त्व हैं। यम, नियम, आसन, प्राणायाम एवं ध्यान का संतुलित नियमित व सही अभ्यास तथा योगविद्या,अध्यात्वविद्या, तत्त्वज्ञान, अपराविद्या व पराविद्या के द्वारा जब हमारा मस्तिष्क ज्ञान-विज्ञान, कला-कौशल से हृदय श्रद्धा-भक्ति-प्रेम-करुणा व वात्सल्य से तथा पूरा अस्तित्व अखंड-प्रचंड पुरुषार्थ, परमार्थ, साधना, सेवा व निष्काम दिव्य कर्म से प्रकाशित हो जाता है, तब हम सच्चे योगी, पूर्ण निरोगी, कर्मयोगी व पूरी मानवता या समष्टि के लिए पूर्ण उपयोगी बन जाते हैं।
Know why Sitali Pranayam is beneficial. #YogaDay pic.twitter.com/3by68nFtvF
— Narendra Modi (@narendramodi) June 19, 2017
पूरे जीवन को एक शब्द में कहें या परिभाषित करें तो वह है - अभ्यास। जैसे हमारे सोचने, विचारने, खाने-पीने, कमाने, बोलने व जीने के अभ्यास होते हैं, वैसा ही हमारा जीवन हो जाता है। एक योग के प्रतिदिन के अभ्यास से हमारे जीवन के सभी अभ्यास श्रेष्ठ, परिष्कृत व दिव्य हो जाते हैं। अतः नियमित योगाभ्यास ही एक स्वस्थ, समृद्ध, सफल व सुखी आदर्श जीवन का आधार है। जीवन को दो शब्दों में कहें तो यह है - दृष्टि व आचरण। योगी की दृष्टि भी बहुत ऊँची, शुद्ध, सात्विक व श्रेष्ठ होती है तथा योगी का आचरण भी शुद्ध, सात्विक, पवित्र व श्रेष्ठ होता है। दृष्टि व आचरण की शुद्धता, श्रेष्ठता, पवित्रता व दिव्यता ही जीवन का अन्तिम लक्ष्य है।
शिव कुमार मिश्र
Next Story