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समाजवादी पार्टी के नेता ने किया था हमला
2 जून 1995 को लखनऊ के राज्य अतिथि गृह में मायावती को कमरे में बंद करके गुंडों ने मार मारकर कपडे फाड दिए थे. मायावती के सभी साथी और कार्यकर्ता माहौल देख वहां से भाग गए, उस समय किसी ने दलित मायावती को बचाने की हिम्मत नहीं की थी.
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अचानक एक बीजेपी के हीरो की एन्ट्री हुई, गेस्ट हाऊस का दरवाजा तोड़कर वो हीरो अंदर आया और मौजूद सभी गुंडो से अकेले भिड गए, सभी गुंडो को मार मारकर गेस्ट हाऊस के बहार फेंक दिया, मायावती की जान बचा ली.
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वो हीरो कोई और नहीं उस समय के फरुखाबाद नगर के बीजेपी विधायक "ब्रम्हदत्त द्विवेदी" थे.
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बाद में जब सपाई गुंडों ने "ब्रम्हदत्त द्विवेदी" की एक शादी समारोह में गोली मारकर हत्या कर दी थी, तब मायावती उनके घर गयी थी और खूब फुट फुटकर रोई थी
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इस काण्ड को गेस्टहाउस काण्ड कहा जाता है. खुद मायावती ने कई बार कहा है कि "जब मै मुसीबत में थी, तब मेरी ही पार्टी के लोग गुंडों से डरकर भाग गये थे, लेकिन ब्रम्हदत्त द्विवेदी भाई ने अपनी जान की परवाह किये बिना मेरी जान बचाई थी."
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उस घटना के बाद मायावती ने ब्रह्मदत्त द्विवेदी कोअपना बड़ा भाई मान लिया था. मायावती बीजेपी का विरोध करती थी, लेकिन वे फर्रुखाबाद में ब्रम्हदत्त जी के लिए प्रचार भी करती थी.
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जब उनकी विधवा पत्नी प्रभा द्विवेदी चुनाव में खड़ी हुई, तब भी मायावती ने उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नही उतारा था और लोगो से अपील भी की थी कि मेरी जान बचाने के लिए दुश्मनी मोल लेकर शहीद होने वाले, मेरे भाई की विधवा को वोट दे. और वो विजयी हुई, तत्कालीन बीजेपी और बसपा समर्थित सरकार में कैविनेट मन्त्री भी रही.
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