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File Photo
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नई दिल्ली : भारत ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में अपनी एंट्री पर पुराने साथी रूस को भी चेतावनी दे दी है। भारत ने अपने इस पुराने रणनीतिक साझीदार को साफ कर दिया है कि अगर उसे अगले एक दो वर्षों के अंदर एनएसजी की पूरी सदस्यता नहीं मिली तो फिर वह सभी विदेशी साझीदारों के लिए उनके सिविल न्यूक्लियर प्रोग्राम को रोक दिया जाएगा।
भारत ने साफ कह दिया है कि ऐसी स्थिति में वह रूस के साथ कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना की 5वीं और 6वीं रिऐक्टर यूनिट्स को विकसित करने से जुड़े MoU को ठंडे बस्ते में डाल सकता है।
भारत चाहता है कि रूस अपने दोस्त चीन को भारत को एनएसजी सदस्यता के लिए समर्थन देने के लिए मनाए। भारत को लग रहा है कि रूस इस मामले में अपनी क्षमताओं का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर रहा है। लेकिन चीन को मनाना भारत के लिए आसान काम नहीं है। एक तो तिब्बती धर्मगुरू को भारत बुलाने से चीन चिढ़ा हुआ है इसके अलावा चीन के ओबीओआर सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेना भी एसएसजी सदस्य के लिए भारत का समर्थन न करने की बड़ी वजह बन सकता है।
भारत की ओर से यह चेतावनी उस समय आई है जब अगले माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की मुलाकात होनी है। इस मुलाकात से पहले पीएम मोदी ने रूस के उप-प्रधानमंत्री दीमित्री रोजोगिन से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में ही पीएम मोदी की ओर से रूस को यह चेतावनी दी है। रूस कुडानकुलम में छह रिएक्टर्स डेवलप कर रहा है और इन्हीं रिएक्टर्स पर एमओयू साइन करने के मकसद से रोजोगिन ने पीएम मोदी से मुलाकात की है।
पिछले 6 महीने से रूस भारत को एमओयू साइन करने के लिए मनाने की कोशिशों में जुटा है, पर उसे कामयाबी नहीं मिल सकी है। यह एमओयू पिछले साल गोवा में ब्रिक्स समिट में ही साइन होना था। बाद में कहा गया कि इसे 2016 के अंत तक साइन कर लिया जाएगा, लेकिन 2017 भी लगभग आधा बीत चुका है और भारत अपने रुख पर अड़ा हुआ है।
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