- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- तरावीह की नमाज़ कैसे...
उत्तर प्रदेश
तरावीह की नमाज़ कैसे करें अता, पढ़कर दूसरों तक शेयर करें
शिव कुमार मिश्र
6 May 2021 10:15 PM IST
x
माहे रमजान
रमजान का महीना अल्लाह की सच्चे मन से इबादत करने के लिए आता है. इबादत के साथ साथ आपसी भेदभाव को भी खत्म करने के लिए आता है. इस पुरे महीने में अगर आप एक भी नेक काम करते है तो आप अल्लाह के बनाये हुए रास्ते पर चलने को तैयार रहेत है.
क्या है तरावीह की नमाज
रमज़ान के महीने में ईशां के फ़र्ज़ों से फ़ारिग़ होकर, जो सारी दुनिया के मुसलमान मस्जिदों में जमा होकर एक खास नमाज़ बाजमाअत पढ़ते है. उस को तरावीह कहते है. रमज़ान मुबारक तो है ही रोज़े नमाज़ और नेक कामों के लिए इस लिए जाहिर है कि जितनी नमाज़ें हम दूसरे महीनों में पढ़ते है. अगर उतनी ही इस में भी पढ़ते रहे तो हम ने रमज़ान की क्या क़दर की? अल्लाह तआला से हमारी वफादारी और बंदगी का तकाजा तो ये है कि जब उसने ऐलान किया कि " नेकियां करने वाले आगे बढ़े" तो हम फ़ौरन आगे बढ़े और अपने तमाम नेक कामों की मिक़्दार बहुत ज्यादा करें.
हदीस शरीफ में है: "जिसने रमज़ान की रातों में ईमान के साथ अल्लाह के लिए नमाज़ें पढ़े. उसके पहले तमाम गुनाह बख्श दिए गए और एक रिवायत में है कि अगले पिछले तमाम गुनाह बख्श दिए गए."
तरावीह के ज़रूरी मसाइल…
1- तरावीह का वक्त ईशां की नमाज़ पढ़ने के बाद से शुरू होता है और सुबह सादिक़ तक रहता है.
2- वित्र की नमाज़ तरावीह से पहले भी पढ़ सकते यही और बाद में भी, लेकिन बाद में पढ़ना बेहतर है.
3- रमज़ान में वित्र की नमाज़ जमाअत के साथ पढ़नी चाहिए.
4- तरावीह की नमाज़ दो-दो रकअत करके पढ़नी चाहिए और हर चार रकअत के बाद कुछ देर ठहर कर आराम कर लेना मुस्तहब है, उस आराम लेने के दरम्यान इख्तियार है चाहे खामोश बैठे रहें या आहिस्ता आहिस्ता क़ुरान मजीद और तस्वीह पढ़ते रहे लेकिन बेकार बातें करना मकरूह है| इस मौक़ा की एक खास दुआ भी है.,
5- पूरे महीने में एक क़ुरान शरीफ तरावीह के अंदर पढ़कर या सुनकर खत्म करना सुन्नत है और दो मर्तबा अफ़ज़ल है उस से ज्यादा हो तो क्या कहना, लेकिन एक से ज्यादा पढ़ने में मुक़्तदियों की सहूलत का ख्याल रखना ज़रूरी है| अगर मुक़्तदियों को परेशानी हो तो एक ही रहने दिया जाये| लेकिन अगर मुक़्तदी एक क़ुरान शरीफ सुनने से भी हिम्मत हारे तो उस की इजाजत नहीं| कम से कम एक तो ज़रूर खत्म करना चाहिए.
6- बाज लोग रकअत की शुरू में तो बैठे रहते है और रक़ूअ में शरीक हो जाते है, ये मकरूह है| इस तरह तरावीह की नमाज़ की नमाज़ के अंदर पूरे क़ुरान शरीफ सुनने का सवाब नहीं मिलता| इसलिए शुरू रकअत ही से शरीक रहना चाहिए.
7- अगर किसी की तरावीह अभी कुछ बाक़ी थी और इमाम ने वित्र की नियत बांध ली तो उसे पहले इमाम के साथ पढ़कर फिर अपनी तरावीह पूरी करनी चाहिए.
8- बगैर किसी मजबूरी के यूँ ही सुस्ती और कमहिम्म्ति से बैठ कर तरावीह पढ़ना मकरूह है.
9- तीन दिन से कम में क़ुरान मजीद खत्म करना अच्छा नहीं.
10- तरावीह पढ़ना और तरावीह में एक क़ुरान मजीद खत्म करना ये दोनों अलग अलग सुन्नते हैं. बाज लोग क़ुरान मजीद पूरे करके तरावीह से आजाद हो जाते है ये गलत हैं क़ुरान मजीद पूरा होने से तरावीह खत्म नहीं हो जाती.
शिव कुमार मिश्र
Next Story