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पूर्व IAS ने कहा, मज़हबी 'अक्रांताओं' की फ़ौज कश्मीर पर क़ब्ज़े की फ़िराक़ में, बचा लो कश्मीर को कहीं देर न हो जाए!

पूर्व IAS ने कहा, मज़हबी अक्रांताओं की फ़ौज कश्मीर पर क़ब्ज़े की फ़िराक़ में, बचा लो कश्मीर को कहीं देर न हो जाए!
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उत्तर प्रदेश के पूर्व प्रमुख सचिव सूर्यप्रताप अपनी बाबक टिप्पणी को लेकर जाने जाते है. चाहे अखिलेश यादव की सरकार हो या फिर नइ नवेली योगी सरकार हो सूर्यप्रताप कभी भी किसी बात पर समझौता करने वाला चेहरा नहीं बने. बात नकल माफिया को लेकर ठनी लड़ाई हो या सत्ता के मठाधीस बने ब्यूरोक्रेसी हो सबको खरा खरा सुनाया. इस जाबांज अधिकारी ने सत्ता के नशे में चूर लोंगों से परेशान होकर बीआरएस ले लिया. मेरी जानकारी के अनुसार तो शायद इस अधिकारी को दो वर्ष से ना ही वेतन मिला है ना ही पेंशन मिल रही है. इन सरकारों की धुरी बने अधिकारीयों का ये हाल है तो सरकार जनता का क्या हश्र कर रही है कुछ कहने को अब बचा नहीं है.


इस अधिकारी की कलम ने आज फिर कश्मीर मसले पर जहर उगला है. जहर इसलिए कहा कि कलम ने सच्चाई लिखी है. और सच्ची बात हमेशा जहर अर्थात कडवी होती है.


उन्हीं की कलम से

मज़हबी 'अक्रांताओं' की फ़ौज कश्मीर पर क़ब्ज़े की फ़िराक़ में..... बचा लो कश्मीर को..... कहीं देर न हो जाए .... समस्या के निदान का क्या कोई 'Road Map' है ?कश्मीर में 'नवयुग का आतंकवाद' (New Age Militancy) का आग़ाज़ हो गया है.....युवा, शिक्षित, टेक्नालोजी savy आतंकवादियों की निडर ज़ुनूनी फ़ौज.....न केवल पत्थर मारती है अपितु सड़कों पर मरने मारने को तैयार ......है ....कश्मीर में या तो सैनिकों को 'फ़्री हैंड' मिले या फिर कश्मीर पर समस्या के हल के लिए यदि कोई 'रोड मैप' है, तो उसे 'देश व सेना' के समक्ष प्रस्तुत किया जाए .... सैनिकों को पत्थरबाज़ों से पिटवाना, कश्मीर समस्या के हल की किस 'रणनीति' का हिस्सा है ......कश्मीर में ६ लाख फ़ौज है।


प्रतिवर्ष ३५०-५०० सैनिक मारे जा रहे हैं। (Sumantra Boss's book-'Kashmir: Roots of Conflict') प्रति दिन १-२ सैनिक मारे जा रहे हैं। लगभग १००० आतंकवादी और इतने ही आतंकवादियों को प्रश्रय देने वाले civilians प्रति वर्ष मारे जा रहे हैं अर्थात ३ आतंकवादी प्रति दिन मारे जाते हैं।


श्रीनगर लोकसभा सीट के हाल के चुनाव में १० लाख वोटर में से केवल ७% ने वोट दिया .....फ़ारूख अब्दुल्ला को 48,554 वोट मिले और 10,000 मतों से जीते ....'farse democracy' में फ़ारूख अब्दुल्ला जैसे भ्रष्ट टट्टुओं की चाँदी है। कश्मीर एक 'war zone' है जहाँ हमारी सेना पाकिस्तान से आए/ समर्थित आतंकवादियों से युद्ध लड़ रही है .... युद्ध में सेना के हाथ बाँधना और उसे 'soft target' बनने देना युद्ध नहीं......राजनीति बंद होनी चाहिए ....


सेना के हर सैनिक को युद्ध में 'युद्ध की रणनीति' का पता होना उसका हक़ है...... लात घूँसों से सैनिकों को पिटवाने से उनका आत्मसम्मान गिरता है.... समस्या को linger on करना समस्या का समाधान नहीं....बड़ी-२ morality की बात बंद कर subtle strategic action होना चाहिए.....Diplomacy has Failed ..No more politics now !!!जय हिंद-जय भारत !!!

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