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दीपनारायण सिंह एवं सुषमा के वर्चस्व की लड़ाई से बुंदेलखंड में होगा सपा को नुकसान

Special Coverage News
22 July 2016 4:26 AM GMT
दीपनारायण सिंह एवं सुषमा के वर्चस्व की लड़ाई से बुंदेलखंड में होगा सपा को नुकसान
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वैसे बुंदेलखंड में समाजवादी पार्टी में अन्दुरुनी वर्चस्व की लड़ाई पहले भी होती रही. जिसमें एक पक्ष दूसरे पक्ष को मात देने के लिए सब कुछ करता था, जिसे वह जरूरी समझता था. पहले बुंदेलखंड में समाजवादी पार्टी के एक ही कद्दावर नेता थे, जिन्हें लोग चंद्रपाल यादव के नाम ने से जानते हैं. धीरे-धीरे इनका कुनबा बड़ा हुआ. इनके साथ काम करने वाले कुछ नेताओं के राजनीतिक लोभ बढ़े, और उन्होंने इनसे दूरियां और अपना अस्तित्व कायम करना चाहा. जब – जब इसकी सूचना डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव को मिलती, सपा मुखिया से अपनी नजदीकियों के चलते तेजी से उभर रहे दीप नारायण सिंह यादव सहित अन्य नेताओं को शिकस्त देने में कामयाब भी हो जाते. लेकिन बुंदेलखंड के दूसरे नेता दीपनारायण सिंह लगातार अपने गुट का आकार बढ़ा रहे थे. तमाम अन्य नेताओं को अपने मिलाकर वे सबल हो गये, और बुंदेलखंड में चंद्रपाल यादव के एकाधिकार को तोड़ दिया. अब बुंदेलखंड में दो नेता हो गये, एक चंद्रपाल सिंह यादव का गुट एवं दूसरा दीपनारायण सिंह यादव का गुट. दोनों की छवि बुंदेलखंड में बाहुबली नेता के रूप में है. दोनों नेता जब घरों से निकलते हैं, तो उनके साथ सुरक्षा के नाम बंदूकधारी रक्षकों का एक विशाल अमला भी होता है. इधर दीपनारायण यादव ने अपनी लड़की की शादी कानपुर के हरमोहन सिंह यादव के घराने में करके अपनी राजनीतिक शक्ति में इजाफा कर लिया. इस कारण सपा नेता चंद्रपाल एवं दीपनारायण ने आपसी सुलह कर ली. उस सुलह करने का एक कारण और था कि बुंदेलखंड में कुछ ऐसे नेता उभर रहे हैं, जिनकी बड़ी तेजी से यादव समाज एवं बुंदेलखंड में स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है.



जब सपा के पर्यवेक्षक एमएलसी रमेश मिश्रा एवं पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष बनवारीलाल यादव झांसी जिले की समीक्षा बैठक ले रहे थे, उसी दौरान राज्य महिला आयोग की सदस्य सुषमा यादव के साथ सर्किट हाउस में मारपीट की गयी. एक बंद कमरे में ले जाकर उनसे छेड़खानी की गयी. इस आशय की रिपोर्ट में सुषमा यादवं ने बताया है कि 12.30बजे जब वे सर्किट हाउस में सपा मुखिया द्वारा भेजे गये पर्यवेक्षकों से बातचीत करने गयी, तभी राज्य सभा सांसद चंद्रपाल सिंह यादव, गरौठा विधायक दीप नारायण सिंह यादव और जिला अध्यक्ष सुदेश पटेल के इशारे पर सिंह बृत्त सिंह, सुनीता कुशवाहा, मीरा रायकवार, पुष्प शिवहरे सहित 10-15 अराजक तत्वों ने उनसे गाली-गलौज की. जब उन्होंने विरोध किया, तो उनसे मारपीट करने लगे. उन्हें जान से मारने की धमकी दी गयी. उनके सर एवं पेट में लात गूस मारे गये. उनकी सोने की जंजीर, पर्स, मोबाइल लूट लिए गये. एक प्लानिंग के साथ उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया गया, उनके साथ अश्लील हरकते भी की गयी. अब उनके पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी जा रही है. उनकी इस तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है.



राज्यसभा सांसद चंद्रपाल सिंह यादव एवं दीपनारायण गुट की सुनीत कुशवाहा ने केस को कमजोर करने के लिए क्रास एफ आई आर दर्ज कराई है. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वे समीक्षा बैठक में भाग लेने गयी, तभी वहां मौजूद पूर्व एमएलसी श्याम सुंदर सिंह, पूर्व जिला अध्यक्ष संत सिंह सेरसा, विशन सिंह यादव, सुषमा यादव और उनके साथियों ने गाली-गलौज करना शुरू कर दिया. उनके साथ सभी छेड़खानी करने लगे. जब उन्होंने मना किया तो उनके गले की सोने की चेन, मंगलसूत्र, पर्स आदि लूट लिया. पुलिस ने इनके द्वारा नामजद सभी आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर लिया.



मैंने अपने सूत्रों से जो वहां के लोगों से बातचीत की है, उससे एक बात साफ़ हो गयी है कि लूट और छेड़खानी की बात पूरी तरह झूठी है. दोनों पक्ष इतनी नीचता भरी हरकत नहीं कर सकते हैं. यह सीधे-सीधे राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई है. जहाँ के ओर राज्य सभा सदस्य चंद्रपाल यादव एवं दीप नारायण सिंह यादव की युति को ऐसा लग रहा है कि बुंदेलखंड में इस दूसरे गुट के उभरने से उनकी पूछ-परख कम होगी. यह गुट लगातार दोनों नेताओं की कारस्तानियों का आडियो-वीडियों बनवा कर शीर्ष पर बैठे नेताओं को दिखाता या बताता रहा है. अभी हालिया जो चंद्रपाल सिंह यादव को जो राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कोषाध्यक्ष पद से हटाया गया, उसे भी वे इन्ही नेताओं की कारस्तानी मान रहे हैं.



लेकिन इन नेताओं के बीच में वर्चस्व को लेकर इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप एवं जो भी लिखा-पढ़ी हो रही है, इससे बुंदेलखंड में सपा के वर्चस्व को धक्का लगेगा. यदि सुलमत नहीं हुई, तो कई जीतने वाली सीटों पर सपा को हार का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए सपा मुखिया मुलायम सिंह एवं प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव इस पूरे प्रकरण की सही जांच करवानी चाहिए, और जो भी दोषी हो, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए. अन्यथा मिशन – 2017 में बुंदेलखंड हाथ से निकल सकता है.



प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव

विश्लेषक, भाषाविद, वरिष्ठ गाँधीवादी-समाजवादी चिंतक, पत्रकार व्

इंटरनेशनल को-ऑर्डिनेटर – महात्मा गाँधी पीस एंड रिसर्च सेंटर घाना, दक्षिण अफ्रीका

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