

मनोज मिश्र
नये राज्य के रूप में झारखंड प्रदेश 14 वर्षो में ही नौ मुख्यमंत्री और तीन बार राष्ट्रपति शासन-एक शासनकाल औसतन 13 महीने का, दंस झेल चुका है। राज्य मानव विकास सूचकांक में 24वें पायदान पर झारखंड अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। भ्रष्टाचार में कई मुख्यमंत्री जेल गए तो कई पर गंभीर आरोप लगा। 14 वर्षो में सारे के सारे आदिवासी मुख्यमंत्री बने और अधिकांश समय भाजपा का ही शासन रहा। राज्य में कई आदिवासी नेता उभरे और सत्ता में आये, लेकिन ज्यादातर ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। आदिवासियों की रोजमर्रा की जिंदगी में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं आया। लेकिन प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के लिए देश के हर कोने का शोषक यहां पर डेरा डालने लगा। नतीजतन आदिवासियों का प्रतिशत कम होता रहा और राज्य में गरीबी बढ़ती रही। साल 2014 विस के पूरे चुनाव के दौरान यह संकेत मिलते रहे कि भाजपा अबकी बार किसी आदिवासी को मुख्यमंत्री के रूप में पेश नहीं करेगी। झारखंड प्रदेश के मतदाताओं ने पीएम मोदी पर विश्वास किया और झारखंड में पहली बार गैर आदिवासी सीएम रघुवर दास के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी। इसलिए, सीएम रघुवर दास के ढ़ाई साल के कामकाज को समाजशास्त्र और चुनाव शास्त्र के नये पैमाने पर देखना जरूरी होगा।
