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होश उड़ा देगी, दिग्‍विजय सिंह की ये सच्‍चाई

Special Coverage News
8 July 2016 6:15 AM GMT
होश उड़ा देगी, दिग्‍विजय सिंह की ये सच्‍चाई
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नई दिल्ली: कट्टरपंथी और विवादित भाषणों के लिए चर्चित इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक डॉक्टर जाकिर नाइक पर जांच एजेंसियां भड़काऊ भाषणों के उन अंशों पर नजर दौड़ा रही हैं, जहां tv पर प्रसारित एक लेक्‍चर में उन्होंने 'सभी मुस्लिमों से आतंकवादी बनने की अपील' की थी।

इस बीच डॉ. जाकिर के साथ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का वो वीडियो फिर सामने आया, जब दोनों एक परिचर्चा में साथ-साथ थे। दिग्विजय डॉ. जाकिर की तारीफों के पुल बांध रहे थे। ये 2012 में हुए एक कार्यक्रम का वीडियो है, जहां मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाइक और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह एक ही मंच पर उपस्थित हैं।

वीडियो में दिग्विजय मंच पर बैठे हुए हैं और जाकिर की जमकर तारीफ कर रहे थे। दिग्विजय सिंह ने उन्हें 'शांतिदूत' के तौर पर निरूपित किया था। इस शांतिदूत के भाषण का ही करिश्मा रहा कि ढाका में 22 लोगों की हत्या करने वालों में पांच बांग्लादेशी आतंकवादियों में से एक नाइक के 'घृणा फैलाने वाले भाषण' से प्रेरित था।

आश्चर्य ये है कि क्या बांग्लादेश की एजेंसियों की जांच के पहले भारत को नहीं पता था कि उनके पर किस तरह की शांति फैलाई जाती है? जहां तक बात दिग्विजय सिंह की है, ये कोई पहला मौका नहीं है, जब वो आतंक को बढ़ावा देने वाली ताकतों के साथ खड़े हैं।

अजीज बर्नी की किताब तो आपको याद ही होगी इसका शीर्षक था 26/11, RSS की साजिश। इस किताब में लिखा गया था कि मोसाद और सीआईए के साथ मिलकर मुंबई पर हुए दुर्दांत आतंकी हमले को संघ ने अंजाम दिया था। इस पर बाद में लेखक ने माफी मांगी थी, जिसे संघ ने अस्वीकार कर दिया था। आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि इस किताब का विमोचन करने भी दिग्विजय सिंह पहुंचे थे।

डेविड हेडली की गवाही के बाद आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) के सरगना हाफिज मुहम्‍मद सईद ने तंज कसा था और ट्वीट किया- '26/11-आरएसएस की साजिश' नॉवेल पढ़ रहा हूं, जो साबित करता है कि 26/11 हमलों से जेयूडी और आईएसआई का कुछ लेना-देना नहीं है।' एक ऐसी किताब के जो हाफिज सईद को खुश कर रही थी, का विमोचन कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव कर रहे थे।

आश्चर्य इसीलिए भी नहीं होना चाहिए क्‍योंकि वो ओसामा बिन लादेन के लिए भी सम्मान जनक भाषा का इस्तेमाल कर अपनी तहजीब को दिखा चुके हैं। बाटला हाउस एनकाउंटर मामले पर जब उनकी पूरी पार्टी उनसे पल्ला झाड़ रही है, तब भी वो आतंकियों के मानवाधिकार का पक्ष लेते दिखाई पड़ते हैं।

दिग्विजय कई मौकों पर खुद को सीनियर और अनुभवी कहते भी सुनाई पड़ते हैं, ऐसे में उन्हें कम से कम अपने शब्दों और कृत्यों पर भी गौर करना चाहिए कि वो क्या मिसाल पैदा करना चाहते हैं?
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