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राम रहीम के बाद आज संत रामपाल के खिलाफ आएगा फैसला, हिसार में धारा 144 लागू

Arun Mishra
29 Aug 2017 5:19 AM GMT
राम रहीम के बाद आज संत रामपाल के खिलाफ आएगा फैसला, हिसार में धारा 144 लागू
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बीते बुधवार को संत रामपाल के खिलाफ दर्ज FIR नंबर 201, 426, 427 और 443 के तहत पेशी हुई थी, कोर्ट ने FIR नंबर 426 और 427 का फैसला सुरक्षित रख लिया था..
नई दिल्ली : कबीर पंथी संत रामपाल दास देशद्रोह के मामले में हिसार जेल में बंद है। दो केसों में इन पर आज कोर्ट का फैसला आने वाला है। इसके मद्देनजर हिसार में धारा 144 लागू कर दी गई है।Who is Sant Rampal: Another Baba up for judgment today हिसार के बरवाला में तीन साल पहले हुए विवाद के बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। उस वक्त आश्रम से प्रेग्नेंसी टेस्ट किट सहित भारी मात्रा में हथियार मिले थे। 2006 में भी उस पर हत्या का केस भी दर्ज हुआ था।
बीते बुधवार को संत रामपाल के खिलाफ दर्ज एफआईआर नंबर 201, 426, 427 और 443 के तहत पेशी हुई थी। कोर्ट ने एफआईआर नंबर 426 और 427 का फैसला सुरक्षित रख लिया था। संत रामपाल पर एफआईआर नंबर 426 में सरकारी कार्य में बाधा डालने और 427 में आश्रम में जबरन लोगों को बंधक बनाने का केस दर्ज है। इन दोनों केसों में संत रामपाल के अलावा प्रीतम सिंह, राजेंद्र, रामफल, विरेंद्र, पुरुषोत्तम, बलजीत, राजकपूर ढाका, राजकपूर और राजेंद्र को आरोपी बनाया गया है।
गौरतलब है कि बरवाला में हिसार-चंडीगढ़ रोड स्थित सतलोक आश्रम में नवंबर 2014 में सरकार के आदेश के बाद पुलिस ने आश्रम संचालक रामपाल के खिलाफ कार्रवाई की थी। पुलिस ने रामपाल को 20 नवंबर 2014 को गिरफ्तार किया था।
जानिए- कौन है संत रामपाल?
संत रामपाल दास का जन्म हरियाणा के सोनीपत के गोहाना तहसील के धनाना गांव में हुआ था। पढ़ाई पूरी करने के बाद रामपाल को हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी मिल गई। इसी दौरान इनकी मुलाकात स्वामी रामदेवानंद महाराज से हुई। रामपाल उनके शिष्य बन गए और कबीर पंथ को मानने लगे।
21 मई, 1995 को रामपाल ने 18 साल की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और सत्संग करने लगे। उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ती चली गई। कमला देवी नाम की एक महिला ने करोंथा गांव में बाबा रामपाल दास महाराज को आश्रम के लिए जमीन दे दी। 1999 में बंदी छोड़ ट्रस्ट की मदद से संत रामपाल ने सतलोक आश्रम की नींव रखी।
2006 में स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर संत रामपाल ने एक टिप्पणी की।आर्यसमाज को ये टिप्पणी बेहद नागवार गुजरी और दोनों के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई। घटना में एक शख्स की मौत भी हो गई। इसके बाद एसडीएम ने 13 जुलाई, 2006 को आश्रम को कब्जे में ले लिया। रामपाल और उनके 24 समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया।
2009 में संत रामपाल को आश्रम वापस मिल गया। उनके खिलाफ आर्य समाज के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। 12 मई, 2013 को नाराज आर्य समाजियों और संत रामपाल के समर्थकों में एक बार फिर झड़प हुई। इस हिंसक झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई और करीब 100 लोग घायल हो गए।
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