मथुरा
मथुरा के जवाहरबाग कांड का मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव पुलिस आपरेशन में मारा गया था, करीबियों ने उसके शव की पहचान कर ली और अब उसके परिजनों को इसकी जानकारी दी गयी है. पुलिस महानिदेशक जावीद अहमद ने यह जानकारी ट्वीट के जरिये साझा की है. दो अधिकारियों की शहादत और बड़ी संख्या में कथित सत्याग्रहियों की मौत के बाद मौके पर मथुरा पहुंचे पुलिस महानिदेशक ने कल ही कहा था कि इस खूनी खेल के लिए जिम्मेदार रामवृक्ष अगर जिंदा बचा होगा तो उसे गिरफ्तार किया जाएगा और उसके खिलाफ वारंट जारी करने की कार्रवाई शुरू हो गयी थी. आज डीजीपी ने उसके मारे जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि परिवार के लोगों से अंतिम पहचान करायी जायेगी.
Some of the dead in Mathura operation identified. Rambriksh Yadav's body identified by associates. Family intimated for final confirmation.
— Javeed (@javeeddgpup) June 4, 2016
सूत्र बताते रहे हैं कि जवाहर बाग में कथित सत्याग्रह को हवा देने वाला रामवृक्ष यादव पुलिस कार्रवाई से बचने को टूटी हुई बाउंड्रीवाल से निकलकर भाग रहा था, तभी जेल पुलिस के आवासों में रहने वाली महिलाओं ने उसे दबोच लिया. उसे जमकर धुना. पिटाई के बाद वह चंगुल से निकलकर भागने लगा, लेकिन रात में कहीं मर गया, मगर इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो रही थी. हालांकि डीजीपी जावीद अहमद ने यह जरूर कहकर बहुत कुछ संकेत दे दिया था कि मरने वालों में रामवृक्ष हो सकता है.
कल डीजीपी ने रामवृक्ष और उसके तीन मुख्य साथी चंदन बोस, गिरीश और राकेश गुप्ता के लापता होने की बात कही थी। यह भी कहा था कि यह लोग मरने वालों में शामिल हो सकते हैं
मथुरा कांड में कुख्यात रामवृक्ष यादव के मारे जाने की पुष्टि से पहले जिला प्रशासन ने उसकी लोकतंत्र रक्षक सेनानी पेंशन रोकने की कार्रवाई शुरू कर दी थी. अब उसके सेनानी का दर्जा भी समाप्त करने की कवायद हो रही है. जय गुरुदेव का पूर्व चेला रामवृक्ष गाजीपुर के मरदह थाना क्षेत्र के रायपुर बाघपुर मठिया गांव का रहने वाला था.राजनीतिक महत्वाकांक्षा के तहत वह लगातार सक्रिय रहा. इसी के चक्कर में वह आपातकाल में गिरफ्तार होकर मीसा के तहत जेल में भी बंद रहा. सपा सरकार ने आपातकाल के बंदियों को राजनीतिक बंदी और उत्पीडि़त मानकर लोकतंत्र रक्षक सेनानी पेंशन देनी शुरू की. इसका लाभ रामवृक्ष को भी मिला और वह लोकतंत्र रक्षक सेनानी पेंशन पाने लगा