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BJP को वोट की राजनीती व स्वार्थ के लिए आजकल बाबा साहेब की याद आने लगी है: मायावती
Ashwin Pratap Singh
9 May 2017 5:55 PM IST

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लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश मायावती जी ने दक्षिण भारत के राज्यकर्नाटक, तमिलनाडु व केरल में बीएसपी के वरिष्ठ व जिम्मेदार पदाधिकारियों के साथ आज यहाँ लम्बी बैठक करके उन राज्यों में पार्टी के कार्य-कलापों, सगठन की तैयारियों के साथ-साथ सर्वसमाज में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने सम्बन्धी गतिविधियों तथा वहाँ के राजनीतिक हालात के बारे में गहन विचार-विमर्श व समीक्षा की.इस बैठक में इन राज्यों के पदाधिकारियों ने बताया कि इलेक्ट्रानिक वोटिंगमशीन (ईवीएम) को लेकर दक्षिण भारत के राज्यों के लोगों में भी काफी आशंकायें हैं.
लोकतन्त्र की सुरक्षा के प्रति काफी चिन्तायें हैं जिनका समाधान आवश्यक है तथा लोगों को उम्मीद है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट में यह मामला आ जाने से इस समस्याका कोई उचित व संतोषजनक समाधान निकलेगा. उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में अगले वर्ष ही विधानसभा का आमचुनाव होना है.
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मायावती जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व इनकी राज्य सरकारें राजनीतिक विद्वेष व संकीर्ण जातिगत भावना के साथ काम करके विरोधी पार्टियों को लगातार अपना निशाना बना रही है और इस क्रममें सरकारी मशीनरी का खुले तौर पर दुरुपयोग किया जा रहा है.
साथ ही, नरेंद्र मोदी सरकार व बीजेपी निरंकुशता व मनमानेपन की सीमाको पार करती जा रही है जिसके प्रति विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ आमजनता मेंभी चिन्तायें बढ़ती जा रही है. बीजेपी व इनकी सरकारों की जनहित व देशहित केमामले में कथनी व करनी में व्यापक अन्तर का भेद देश में नई-नई समस्याएं पैदा कररहा है और इससे जनकल्याण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. समाज के गरीब,शोषित व पिछडे वर्ग की तो सही मायने में सरकार ने सुध लेना ही छोड़ दिया है.
उन्होंने कहा कि र्नइ परिस्थितियों का सामना करने के लिये पूरे तन, मन, धन से कामकरने की जरूरत है. इस समीक्षा बैठक में अन्य बातों के अलावा दक्षिण भारत के राज्यों के दलितों वअन्य उपेक्षित वर्गों में सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करके अपना उद्धार स्वयं करने के परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के आह्वान के प्रति और भी ज्यादाजागरूकता की पैदा करने की आवश्यकता महसूस की गई.
देश के ग़रीबों, मजदूरों, दलितों, पिछड़ों आदि के मसीहा परमपूज्य बाबा साहेब डा. अम्बेडकर का नाम वोट की राजनीति व स्वार्थ के कारण बीजेपी व उनके घोरविरोधी भी आजकल लेने लगे हैं
परन्तु वास्तविकता यह है कि इनकी भारी जनसंख्याहोने के बावजूद इनके अनुयाइयों, गरीबों, मज़दूरों, किसानों, दलितों, पिछड़ों व धार्मिकअल्पसंख्यक वर्ग के करोड़ों लोगों को संवैधानिक व कानूनी संरक्षण प्राप्त होने केबावजूद आज भी पहले की तरह ही उन्हें सरकारी संरक्षण में विभिन्न प्रकार के शोषण,उपेक्षा, तिरस्कार तथा हर स्तर पर जुल्म-ज्यादती व अन्याय का शिकार बनाया जारहा है.
लोकतन्त्र की सुरक्षा के प्रति काफी चिन्तायें हैं जिनका समाधान आवश्यक है तथा लोगों को उम्मीद है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट में यह मामला आ जाने से इस समस्याका कोई उचित व संतोषजनक समाधान निकलेगा. उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में अगले वर्ष ही विधानसभा का आमचुनाव होना है.
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मायावती जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व इनकी राज्य सरकारें राजनीतिक विद्वेष व संकीर्ण जातिगत भावना के साथ काम करके विरोधी पार्टियों को लगातार अपना निशाना बना रही है और इस क्रममें सरकारी मशीनरी का खुले तौर पर दुरुपयोग किया जा रहा है.
साथ ही, नरेंद्र मोदी सरकार व बीजेपी निरंकुशता व मनमानेपन की सीमाको पार करती जा रही है जिसके प्रति विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ आमजनता मेंभी चिन्तायें बढ़ती जा रही है. बीजेपी व इनकी सरकारों की जनहित व देशहित केमामले में कथनी व करनी में व्यापक अन्तर का भेद देश में नई-नई समस्याएं पैदा कररहा है और इससे जनकल्याण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. समाज के गरीब,शोषित व पिछडे वर्ग की तो सही मायने में सरकार ने सुध लेना ही छोड़ दिया है.
उन्होंने कहा कि र्नइ परिस्थितियों का सामना करने के लिये पूरे तन, मन, धन से कामकरने की जरूरत है. इस समीक्षा बैठक में अन्य बातों के अलावा दक्षिण भारत के राज्यों के दलितों वअन्य उपेक्षित वर्गों में सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करके अपना उद्धार स्वयं करने के परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के आह्वान के प्रति और भी ज्यादाजागरूकता की पैदा करने की आवश्यकता महसूस की गई.
देश के ग़रीबों, मजदूरों, दलितों, पिछड़ों आदि के मसीहा परमपूज्य बाबा साहेब डा. अम्बेडकर का नाम वोट की राजनीति व स्वार्थ के कारण बीजेपी व उनके घोरविरोधी भी आजकल लेने लगे हैं
परन्तु वास्तविकता यह है कि इनकी भारी जनसंख्याहोने के बावजूद इनके अनुयाइयों, गरीबों, मज़दूरों, किसानों, दलितों, पिछड़ों व धार्मिकअल्पसंख्यक वर्ग के करोड़ों लोगों को संवैधानिक व कानूनी संरक्षण प्राप्त होने केबावजूद आज भी पहले की तरह ही उन्हें सरकारी संरक्षण में विभिन्न प्रकार के शोषण,उपेक्षा, तिरस्कार तथा हर स्तर पर जुल्म-ज्यादती व अन्याय का शिकार बनाया जारहा है.
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