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पूर्व विधायक और पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. अयूब रेप केस में गिरफ्तार
शिव कुमार मिश्र
24 May 2017 3:35 AM GMT
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पीस पार्टी के अध्यक्ष गिरफ्तार
लखनऊ: लखनऊ के मडिय़ांव थाने में दर्ज दुष्कर्म व गैर इरादतन हत्या के मुकदमे में वांछित पीस पार्टी अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अय्यूब को आखिरकार पुलिस ने मंगलवार शाम को गिरफ्तार कर लिया। सीओ अलीगंज विवेक त्रिपाठी के मुताबिक डॉ.अय्यूब को बयान दर्ज कराने के बहाने सीओ कार्यालय बुलाया गया था। शाम साढ़े पांच बजे के करीब डॉ.अय्यूब सीओ कार्यालय पहुंचे, जहां गिरफ्तार कर लिया गया। डॉ.अय्यूब को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से जेल भेज दिया गया है। सीओ ने बताया कि डॉ.अय्यूब पर लगे दुष्कर्म के आरोप सही साबित हुए हैं, इसीलिए उसे गिरफ्तार किया गया है। हलांकि ढाई महीने बाद गिरफ्तारी को लेकर पूर्व विवेचकों की लापरवाही भी सामने आ रही है।
गौरतलब है कि 25 फरवरी को युवती के भाई के ओर से मडिय़ांव थाने में डॉ.अय्यूब के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी। युवती के भाई ने तहरीर में कहा था कि वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव में अपने लिए प्रचार करते हुए डॉ.अय्यूब संतकबीरनगर स्थित उसके घर आए थे। वहां से नौकरी लगवाने के बहाने युवती को अपने साथ ले गए। उसे लखनऊ स्थित एक कॉलेज में बीएससी नर्सिंग में दाखिला दिलाया। डॉ.अय्यूब भी लखनऊ आते युवती का जबरन यौन शोषण करते और मुंह खोलने पर जान से मारने की धमकी देते। ट्रॉमा सेंटर में इलाज के दौरान युवती की 24 फरवरी को मौत हो गई थी।
365 दिन में 312 बार बातचीत
लखनऊ पुलिस ने फरवरी 2016 से अयूब की कॉल रिकॉर्ड कर चुकी है। इसमें पता चला 365 दिन में 312 बार अयूब और लड़की के बीच बातचीत हुई थी। अयूब ने 128 बार लड़की को कॉल किया तो वहीं 184 बार लड़की ने अयूब को कॉल किया। अयूब और लड़की की लोकेशन कई बार साथ मिली पुलिसिया जांच में एक साल के अंदर कई बार लड़की और अयूब की लोकेशन साथ मिली है। जिसमें मेट्रो सिटी स्थित घर और विधायक निवास का घर दोनों ही शामिल हैं। आपको बता दें कि लड़की के परिजनों ने अयूब पर यौन शोषण का आरोप लगाया था।
क्या है मामला
बीते दिनों 25 फरवरी को पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधायक डॉक्टर अयूब पर शारीरिक शोषण और उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली युवती की इलाज के दौरान ट्रॉमा सेंटर में मौत हो गई थी। संतकबीरनगर जिले के मृतका के भाई ने डॉक्टर अयूब पर कई अन्य गंभीर आरोप लगाए थे।
आरोप है की पीड़िता को गलत दवा देने से मौत हुई है। पीड़िता संतकबीरनगर के खलीलाबाद के थाना बखिरा के कौड़िया गांव की रहने वाली है। साल 2012 में अयूब से पीड़िता का संपर्क हुआ था। डॉ. अयूब के खिलाफ राजधानी के मड़ियांव थाने में रेप का केस दर्ज हो गया है।
2012 से रख रखा था साथ
भाई संतोष की तहरीर पर मड़ियांव थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। मृतका के भाई के मुताबिक मृतका 2012 से ही डॉ. अयूब के साथ रह रही थी। मड़ियांव थाने में 376, 304, 506 आईपीसी की धारा में रिपोर्ट दर्ज की गई है।
सीबीआइ जांच की मांग
परिवार वाले सीबीआइजी जांच की मांग कर रहे थे। परिवार वालों का आरोप था कि मड़ियांव पुलिस अयूब से मिली है। अतः पुलिस जांच पर भरोसा नहीं है। वह जांच सीबीआइ से कराना चाहते है जबकि पुलिस के मुताबिक परिवार वाले जांच में सहयोग नहीं कर रहे है।
फाइलों से निकले खादी पर दाग के किस्से
सपा सरकार में कद्दावर मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति की गिरफ्तारी के बाद से यह कयास लगने लगे थे कि अय्यूब पर भी शिकंजा कसेगा लेकिन, उनकी गिरफ्तारी में थोड़ी देरी हो गई। चुनाव के दौरान ही गायत्री और अय्यूब के अलग-अलग मामले सुर्खियों में आए थे। गायत्री पर चित्रकूट की एक महिला और अय्यूब पर लखनऊ की एक छात्रा ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। वैसे तो खादी पर माननीयों के दाग लगाने का सिलसिला बड़ा पुराना है। वर्ष 2003 में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या में तत्कालीन मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के दामन पर दाग लगे तो वह आज तक सजा भुगत रहे हैं। बसपा हुकूमत में बांदा के विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी पर दुष्कर्म का आरोप हो या पिछली सपा हुकूमत में सीतापुर के सेवता क्षेत्र के माननीय महेन्द्र सिंह उर्फ झीन बाबू के गोवा में पकड़े जाने का मामला, ऐसे किस्से पुलिस की फाइलों में दर्ज हैं। डॉ.अय्यूब का कारनामा इसका विस्तार है। कई ऐसे भी लोग रहे जिन पर आरोप तो लगे लेकिन अदालत से बरी हो गए। 2007 के शशि अपहरण कांड में ऐसे ही एक माननीय को बरी कर दिया गया लेकिन, पूर्व विधायक भगवान शर्मा उर्फ गुडडू शर्मा, योगेन्द्र शर्मा, अवध पाल यादव, मनोज पारस, अरुण वर्मा, अनूप संडा, मदन गोपाल वर्मा जैसे कई माननीय रहे जिन पर आरोप लगे। कइयों पर मुकदमा दर्ज हुआ। कई आरोपों से बरी भी हुए लेकिन, जब भी कोई नई घटना होती तो पुराने अफसाने भी ताजा हो जाते हैं।
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