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'परिचर्चा' : गोरखपुर कांड में कहीं योगी को फंसाने की चाल तो नहीं?
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में पांच दिन के भीतर साठ से ज्यादा बच्चों की मौत हुई। ये मौतें तब भी हो रही थीं जब 9 अगस्त को सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अस्पताल के निरीक्षण दौरे पर थे। उस वक्त भी प्रशासन के पास ढेरों चिट्ठियां पहुंची हुई थीं कि अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई खत्म होने वाली है क्योंकि कंपनी का 70 लाख का बकाया है।
क्या मान लिया जाए कि ये सब मुख्यमंत्री को पता नहीं था? क्या हकीकत उनसे छुपायी गयी? वो भी ठीक अपनी नाक के नीचे उस शहर में, जहां उनकी पहचान नेता से कहीं बड़ी एक मठ के महन्त की है। आज जिस तरीके से योगी अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बेबस दिखे, उनकी आंखों में पानी उतर आया, इससे हम क्या निष्कर्ष निकालें? क्या योगी पांच दर्जन बच्चों की हत्या के दोषी हैं या फिर वे बेबस हैं?
एक तरफ़ नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी से लेकर राष्ट्रवादी पत्रकारों तक ने योगीराज को हत्यारा कह डाला है, ऐसे में योगी के आंसुओं को हम किस रूप में लें? कहीं कोई गहरी सियासी साजि़श तो नहीं हो रही है योगी के खिलाफ़?
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