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केरल में हिन्दुओ पर हो रहे हमलो को लेकर सामजिक संगठनो ने किया प्रदर्शन लगाये ये आरोप

केरल में हिन्दुओ पर हो रहे हमलो को लेकर सामजिक संगठनो ने किया प्रदर्शन लगाये ये आरोप
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केरल तथा पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों को लेकर अम्बेडकर पार्क सिविल लाइंस राष्ट्रीय शक्ति ने विरोध दर्ज कराया। वक्ताओं ने केरल तथा पश्चिम बंगाल सरकारों के हिन्दू विरोधी रवैये की कड़े शब्दों में निन्दा की, जिसके बाद जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया। जिसमें राष्ट्र विरोधी हिंसक शक्तियों की सरकारों को अविलम्ब हटाने की मांग की गयी।

माकपा सरकार पर फोड़ा ठीकरा

इस अवसर पर जन चेतना मंच के प्रमुख कमल कान्त राय ने कहा कि प्राकृतिक संपदा से सम्पन्न प्रदेश केरल लाल आतंक की चपेट में है। प्रदेश में लगातार हिन्दू समाज एवं राष्ट्रीय हित चिन्तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है। केरल वामपंथी हिंसा के लिए बदनाम है, लेकिन पिछले कुछ समय में हिंसक घटनाओं में चिंतित करने वाली वृद्धि हुई है। खासकर जब से केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सरकार आई है, तब से राष्ट्रीय विचार से जुड़े निर्दोष लोगों और उनके परिवारों को सुनियोजित ढंग से निशाना बनाया जा रहा है।

सरकारी की संलिप्तता से अत्याचार

हिन्दू जागरण मंच के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हितेश बंसल ने कहा कि कि प्रदेश में मार्क्सवादी हिंसा को मुख्यमंत्री पी.विजयन का संरक्षण प्राप्त है। अब तक की घटनाओं में स्पष्ट तौर पर माकपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं की संलिप्तता उजागर हुई है। लेकिन, राज्य सरकार ने हिंसा को रोकने के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाए हैं, बल्कि घटनाओं की लीपापोती करने का प्रयास जरूर किया है। इसलिए मुख्यमंत्री पी. विजयन सहित समूची माकपा सरकार संदेह के घेरे में है। केरल के वर्तमान मुख्यमंत्री पिनराई विजयन स्वयं भी संघ के कार्यकर्ता की हत्या के आरोपी हैं। विजयन और कोडियरी बालकृष्णन के नेतृत्व में पोलित ब्यूरों के सदस्यों ने संघ के स्वयंसेवक वडिक्कल रामकृष्णन की हत्या 28 अप्रैल 1969 की थी। कन्नूर जिला केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन का गृह जिला है। पुलिस अधीक्षक के मुताबिक, 1 मई, 2016 से 16 सितंबर के बीच केवल कन्नूर जिले में राजनीतिक हिंसा की कुल 301 वारदातें घटित हुईं ।

वामपंथी विचार में हिंसा

विश्व हिन्दू परिषद के मनोज व्यास, स्वदेशी जागरण मंच के डॉ़. राजीव बग्गा, हिन्दू जागरण मंच के दीपक गोयल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के जोगेन्द्र सिंह, सेवा भारती के श्याम बिहारी शर्मा, भारत विकास परिषद् के हरिगोपाल शर्मा, विश्व आयुर्वेद परिषद के डॉ. सतवीर सिंह, भाजपा के महेन्द्र गुप्ता, संत रामदास जी, ओम प्रकाश सिंह, सतीश अरोड़ा एवं सुरेन्द्र सिंह एडवोकेट, विभाग प्रचार प्रमुख पवन जैन ने आदि अनेक वक्ताओं ने विशाल सभा को सम्वोधित किया और कहा कि विश्व इतिहास में ज्ञात तथ्य है कि जहां भी कम्युनिस्ट शासन रहा है, वहां विरोधी विचार को खत्म करने के लिए मार्क्सवादी कार्यकर्ताओं ने सड़कों को खून से रंग दिया है। वामपंथी विचार के मूल में तानाशाही और हिंसा है।

केरल में जंगलराज

वामपंथी नृशंसता का एक और उदाहरण है, जनवरी, 2017 के पहले सप्ताह में मल्लपुरम जिले की घटना। भाजपा कार्यकर्ता सुरेश अपने परिवार के साथ कार से जा रहे थे, उसी दौरान मल्लपुरम जिले में तिरूर के नजदीक माकपा गुंडों ने उन्हें घेर लिया। हथियार के बल पर जबरन कार का दरवाजा खुलवाया और उनके गोद से दस माह के बेटे को छीन लिया और उसके पैर पकड़कर सड़क पर फेंक दिया। सुरेश पर भी जानलेवा हमला किया। यह उदाहरण इस बात के सबूत हैं केरल में सर्वहारा का शासन नहीं, बल्कि जंगल राज आ गया है। इस जंगलराज में महिला और मासूम बच्चे भी सुरक्षित नहीं हैं। चिंता की बात यह भी है कि इन घटनाओं पर राष्ट्रीय मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीवी जगत में अजीब-सी खामोशी पसरी हुई है।



रेड कॉरिडोर में कन्नूर

केरल का कन्नूर लाल आतंक के लिए सबसे अधिक कुख्यात है। ऐसा माना जाता है कि अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने का प्रशिक्षण देने के लिए वामपंथी खेमे में गर्व के साथ कन्नूर मॉडल को प्रस्तुत किया जाता है। अब जब प्रदेश में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है, तब इस कन्नूर मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। हाल में, कन्नूर में 18 जनवरी को भाजपा के कार्यकर्ता मुल्लाप्रम एजुथान संतोष की हत्या की गई। संतोष की हत्या माकपा के गुंडों ने उस वक्त कर दी, जब वह रात में अपने घर में अकेले थे। इस तरह घेराबंदी करके हो रहीं संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या से स्थानीय जनता में आक्रोश देखा जा रहा है। संतोष की हत्या के बाद केरल में बढ़ रहे जंगलराज और लाल आतंक के खिलाफ आवाज बुलंद करने का संकल्प संघ और भाजपा ने किया है। इस संदर्भ में 24 जनवरी को दिल्ली में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया गया। जंतर-मंतर पर हुए धरने में आरएसएस के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और मौजूद थे।


मुरादाबाद से सागर रस्तोगी की रिपोर्ट

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