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योगी सरकार खत्म करेगी अल्पसंख्यकों का 20% का कोटा

Arun Mishra
22 May 2017 12:17 PM GMT
योगी सरकार खत्म करेगी अल्पसंख्यकों का 20% का कोटा
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
85 योजनाओं में अल्पसंख्यकों को 20 प्रतिशत कोटे का लाभ दिया जा रहा है..?
लखनऊ : अखिलेश यादव की सरकार में अल्पसंख्यकों के लिए शुरू की गई 85 विभागों में 20 फीसदी को कोटे को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार खत्म कर सकती है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आगामी कैबिनेट की बैठक में अल्पसंख्यक कोटे को खत्म किया जा सकता है। समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने इस कोटे को खत्म करने की सहमति दे दी है। उन्होंने कहा, 'योजनाओं में कोटा देना उचित नहीं है। हम इसे समाप्त करने के पक्षधर हैं। योजनाओं से बिना भेदभाव के सभी का विकास होना चाहिए।'

विशेष अल्पसंख्यक कोटे के प्रस्ताव को कैबिनेट के सामने ले जाया जाएगा, जहां इसे स्वीकृति मिलने के पूरे आसार हैं। इसके पहले अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी भी इस कोटे को खत्म करने की सहमति दे चुके हैं। दरअसल, नई सरकार के गठन के साथ ही अल्पसंख्यकों को दिए जा रहे इस कोटे को खत्म किए जाने की बात शुरू हो गई थी।

फिलहाल उत्तर प्रदेश में कुल 85 योजनाओं में अल्पसंख्यकों को 20 प्रतिशत कोटे का लाभ दिया जा रहा है। इनमें सबसे ज्यादा समाज कल्याण और ग्राम विकास विभाग की है।

अब तक तमाम शासनादेशों में लिखा जाता था कि योजना में कम-से-कम 20 प्रतिशत अल्पसंख्यकों को कवर किया जाए। साथ ही जिन क्षेत्रों में कम-से-कम 25 प्रतिशत आबादी अल्पसंख्यकों की होती थी, वहां योजनाओं को सख्ती से लागू किए जाने के निर्देश होते थे।

इस संबंध में पहला शासनादेश मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की तरफ से जारी हुआ था। इसके बाद समय-समय पर इसे सख्ती से लागू करने के निर्देश जारी किए जाते रहे हैं। सभी जिला अधिकारियों के अधीन एक कमिटी बनाई गई थी, जो इसकी निगरानी करती थी।

अखिलेश सरकार ने ये फैसला नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्ट्स के बाद लिया था। रिपोर्ट्स में धार्मिक समूहों में रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति को आधार बनाया गया था। इसमें कहा गया था कि मुसलमानों का औसत प्रति व्यक्ति खर्च रोजाना सिर्फ 32.66 रुपए है। ग्रामीण इलाकों में मुसलमान परिवारों का औसत मासिक खर्च 833 रुपए, जबकि हिंदुओं का 888, ईसाइयों का 1296 और सिखों का 1498 रुपए बताया गया था। शहरी इलाकों में मुसलमानों का प्रति परिवार खर्च 1272 रुपए था, जबकि हिंदुओं का 1797, ईसाइयों का 2053 और सिखों का 2180 रुपए था।
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