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'तीन तलाक व हलाला' पर पूर्व मंत्री व इस्लामिक विद्वान आरिफ मोहम्मद खान का बेबाक इंटरव्यू, मौलानाओं को जमकर लताड़ा
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं इस्लामिक विद्वान् आरिफ मुहम्मद खान के अनुसार ट्रिपल तलाक़ का फैसला स्वागत किये जाने योग्य है. इस्लाम एक इन्साफ का दीन है और वह किसी सूरत में किसी के साथ न इंसाफ़ी नहीं होने देना चाहता. शरिया के सदाथ जो खिलवाड़ मसलक के नाम पर हो रहा है उसे बंद किया जाना चाहिए. हमारे उलेमा इकराम को चाहिए की क़ुरआन और इस्लाम के सर्व कल्याण के सन्देश को लोगो में आम करें. आम मुसलमान को चाहिए की दीन को समझें.
आरिफ मुहम्मद खान के अनुसार हलाला का इस्लाम में कोई तसव्वुर ही नहीं है और दुसरे खलीफा हज़रात उमर हलाला करने वाले मर्द को एक जानी की सज़ा देने की बात कहते थे. हलाला की लानत सिर्फ तभी पैदा हुई जब तीन तलाक़ को इस्लाम का हिस्सा मान लिया गया है. एक महफ़िल में दी गयी तीन तलाक़ का तरीक़ा जाहिलियत का तरीक़ा है. इस्लामी तरीक़ा क़ुरआन में बता दिया गया है जिसमे क़ुरआन ने तफ्सील से ये बताया है की एक पति पत्नी को रिश्ता ख़त्म तोड़ने से पहले क्या क्या रास्ते अपनाने चाहिए इस शादी को बचने के लिए.
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