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काश ये कोई और पीएम करता तब?

Special News Coverage
25 Dec 2015 2:10 PM GMT
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लेखक नरेंद्र नाथ वरिष्ठ पत्रकार

एक मिनट के लिए सोचें,अगर ऐसा कारनामा मनमोहन सिंह ने किया होता-किसी दूसरे देश से लौट रहे होते और अचानक पाकिस्तान उतर जाते। नवाज शरीफ को बर्थ डे गिफ्त देते। उनके यहां दावत में लजीज व्यंजन खाते। गप-शप करते। खुलकर हाथ मिलाते। दोनों का हंसता हुआ चेहरा सामने आता।
तमाम राष्ट्रवादी ताकत उनका मरन कर देती। क्या-क्या कहती वह जानना है तो पूराने फाइलों को देख लें। मिल जाएगी।

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याद है कि 2013 में अमेरिका में जब मनमोहन सिंह ने इसी नवाज शरीफ से एक प्रोटोकॉल के तहत मुलाकात की तब अपने मोदी जी ने ही उन्हें देहाती औरत,बिरयानी पॉलिटिक्स और क्या से क्या नहीं कहा था। डरपोक,कायर सब कुछ कह दिया थ। उनकी बात का सार यह था कि जब वह पीएम बनेंगे तब दिल्ली में तोप में बैठेंगे और पाकिस्तान जाकर ही रुकेंगे। पाकिस्तान का पी शब्द आते ही उसका जिक्र करने वाला देश में पापी बन जाता था।पाकिस्तान ऐसा प्रतीक बन गया था कि राष्ट्रवादी ताकत अपने दुश्मनों को सबसे बददुआ के रूप में उन्हें पाकिस्तान जाने का आदेश देने लगे थे।

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लेकिन मैं तब भी कहता था कि अगर हर चीज का उत्तर युद्ध है तो आप सवाल गलत कर रहे हैं। न मनमोहन गलत हैं,न अब मोदी। पीएम मोदी का कदम सही है। ऐसे ही दो कदम आगे-पीछे चलकर ही डिप्लामैसी चलती है। सरकार चलाना गदर के सन्नी देओल की तरह एक्शन फिल्म नहीं है जो मात्र डायलॉग से सबकुछ हल कर सके। इसमें खून का घूंट पीकर कई फैसले लेने होते हैं। कदम उठाने पड़ते हैं। परिवार के मुखिया की तरह।

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पीएम मोदी ने सही किया। यह उनके मेच्योर होने का संकेत है। युद्ध जैसी चीज भुजाएं फड़काने के लिए ठीक हो सकती है। देश-समाज के लिए।
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