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राष्ट्रीय
2004 में प्रणब मुखर्जी PM बन गए होते तो कांग्रेस 2014 में नहीं हारती: खुर्शीद
Special News Coverage
16 Dec 2015 6:38 AM GMT
नई दिल्ली : पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि अगर प्रणब मुखर्जी 2004 में पीएम बन गए होते तो कांग्रेस 2014 में नहीं हारती।
'द अदर साइड ऑफ द माउनटेन'
खुर्शीद ने अपनी नई किताब द अदर साइड ऑफ द माउंटेन में लिखा है कि प्रणब मुखर्जी की जगह मनमोहन के चयन से न सिर्फ कांग्रेस, बल्कि बाहरी लोगों को भी आश्चर्य हुआ और कई लोगों का कहना है कि अगर उस समय प्रणब पीएम बन जाते तो 2014 में कांग्रेस पार्टी की हार नहीं होती। उन्होंने कहा कि बदतरीन घटने के बाद अक्लमंदी दिखावा हमेशा आसान होता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि समूचे राष्ट्र ने नरसिंह राव सरकार (जून 1991 से मई 1996) के दौरान दिशा बदल देने वाले वित्तमंत्री के रूप में डा. मनमोहन सिंह की तारीफ की थी।
वर्ष 2004 में प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। इसका कारण उनका अनुभव और उनकी वरिष्ठता थी। लेकिन नेतृत्व में 'अविश्वास' के रहते वह प्रधानमंत्री नहीं बन सके। हालांकि मुखर्जी कांग्रेस और यूपीए कैबिनेट के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य रहे हैं। उन्होंने संस्थागत और सरकारी योजनाओं पर जिस तरह का योगदान दिया वह भी सराहनीय रहा है। हालांकि यूपीए 2 के दौर में उन्हें नेतृत्व की ओर से मनोनीत कर राष्ट्रपति चुनाव में धकेला गया था।
उन्होंने कहा, लेकिन जब डा. सिंह ने 1999 का लोकसभा चुनाव उस सीट से, दक्षिण दिल्ली, से चुनाव लड़ा जिसे उनके लिए देश में सबसे सुरक्षित सीट समझी गई थी तो उन्हें एक ऐसे उम्मीदवार ने परास्त कर दिया जिनका नाम बहुत लोग याद नहीं कर पाएंगे (यह भाजपा के प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा थे)।
बहरहाल, पूर्व विदेश मंत्री कहते हैं कि कुछ प्रारंभिक अनिच्छा के बाद, संप्रग-1 का नेतृत्व करने के लिए सिंह को चुनने के सोनिया गांधी के फैसले का न केवल व्यापक स्वागत हुआ बल्कि पांच साल बाद के चुनावी जनादेश से सही भी साबित हुआ जब हम ज्यादा बहुमत से सत्ता में वापस आए। खुर्शीद ने अपनी किताब को एक शख्स का नहीं बल्कि बहुत सारे लोगों की संक्षिप्त जीवनी बताई है जो संप्रग के हिस्सा थे।
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