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स्वराज अभियान के पहले लोकपाल कामिनी जयसवाल और पवन गुप्ता

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14 April 2016 7:19 PM GMT
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वैकल्पिक राजनीति के आन्दोलन के रूप में ‘स्वराज अभियान’ की स्थापना के आज एक साल पूरे हुए। आज से एक साल पहले दिल्ली और गुडगाँव में एक साथ हुए स्वराज संवाद के बाद स्वराज अभियान अस्तित्व में आया था।

स्वराज संवाद
सबसे पहला काम देश के सभी हिस्सों में स्वराज संवाद के जरिए वालंटियर, शुभचिंतकों और समर्थकों से सीधा संवाद स्थापित करने का किया गया। स्वराज संवाद की शुरुआत 14 अप्रैल को गुडगाँव से हुई जहाँ भारी संख्या में कार्यकर्त्ता और समर्थक जुटे। फिर स्वराज संवाद का सिलसिला गुडगाँव से बंगलरु, गुवाहाटी, इस्लामपुर, कोलकाता, लुधियाना, करनाल, गाज़ियाबाद, देहरादून, जम्मू और कश्मीर, अहमदाबाद, हैदराबाद, भुबनेश्वर, इलाहबाद, पटना, वाराणसी, पुणे, उज्जैन, मेरठ और जयपुर जैसे देश के लगभग सभी हिस्सों में पहुंचा।

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ट्रैक्टर मार्च एवं किसान रैली
किसानों की उनकी जमीन पर अधिकार की लड़ाई को स्वराज अभियान ने अपना पहला आन्दोलन बनाया। ऐसे समय में जब कि मोदी सरकार अपना किसान-विरोधी भूमि अधिग्रहण बिल लाने पर आमादा थी, स्वराज अभियान ने ‘जय किसान आन्दोलन’ का मंच बना कर कई किसान संगठनों को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट किया। जय किसान आन्दोलन ने 10 दिनों का एक ट्रैक्टर मार्च निकाला जो पंजाब के बरनाला जिले के ठीकरीवाल गाँव से चल कर दिल्ली पंहुचा और 10 अगस्त को जंतर मंतर पर किसानों की एक विशाल रैली हुई। देश भर से रैली में भाग लेने आए किसानों के हुजूम से सरकार हिल गयी और शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे योगेंद्र यादव और लगभग 100 अन्य वालंटियरों को गिरफ़्तार कर लिया। सभी पार्टीयों ने सरकार के इस क़दम की कड़ी निंदा की। न्यायपालिका ने भी दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई। जनदबाव के आगे मोदी सरकार को झुकना पड़ा और भूमि अधिग्रहण बिल में अन्यायपूर्ण संशोधनों को वापस लेना पड़ा।

संवेदना यात्रा
जब देश का 40% हिस्सा भारी सूखे की चपेट में था और खेती-किसानी का संकट गहराता जा रहा था, जय किसान आन्दोलन किसान भाइयों के साथ खड़ा हुआ। 3500 किलोमीटर से ज़्यादा की देश के सभी सूखा प्रभावित क्षेत्रों में ‘संवेदना यात्रा’ निकाली गई। 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती के दिन उत्तरी कर्णाटक के यादगिर से संवेदना यात्रा की शुरुआत हुई, जिसका तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान होते हुए हरियाणा में समापन हुआ। संवेदना यात्रा के जरिये स्वराज अभियान ने देश का ध्यान ग्रामीण भारत के संकट की ओर किया।

सूखे के गंभीर संकट को देखते हुए स्वराज अभियान ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जान द्राज़ के साथ मिलकर बुंदेलखंड में एक सर्वे किया जिसके परिणाम अत्यंत चिंताजनक निकले। संवेदना यात्रा के दौरान योगेंद्र यादव ने सूखा पीड़ित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आने वाले संकट से उबरने के सुझाव भी दिए। महाराष्ट्र में अभी चल रहे जल संकट से निपटने के सुझाव योगेन्द्र यादव ने छः महीने पहले ही मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में दिए थे, जिसपर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने जवाब तक नहीं दिया।

सुप्रीम कोर्ट में सूखा राहत याचिका
जय किसान आन्दोलन के तहत सूखा प्रभावित क्षेत्रों में गहन अभियान के बाद स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वराज अभियान ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी गयी कि न्यायालय केंद्र एवं 12 राज्य सरकारों को यह निर्देश दे कि सूखे से प्रभावित लोगों को त्वरित राहत सुनिश्चित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को प्राथमिकता देते हुए गंभीरता के साथ सुनवाई की है। प्रशांत भूषण याचिका की दलील रख रहे हैं जिसकी अंतिम सुनवाई मंगलवार, 19 अप्रैल को है। इस याचिका की वजह से केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों को सूखा राहत के लिए अतिरिक्त उपाय घोषित करने पड़े हैं।

एंटी करप्शन टीम और सिटिजेन्स व्हिसिल ब्लोअर फोरम
स्वराज अभियान अपने भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन के प्रति समर्पित है और पिछले एक साल में कई मामलों को प्रशांत भूषण के नेतृत्व में उठाया गया। काला धन को लेकर कई अहम् खुलासे, सरकार में संस्थानिक भ्रष्टाचार या कॉरपोरेट लोन के नाम पर भ्रष्टाचार जैसे हर मामले में स्वराज अभियान ने सबसे आगे आकर संघर्ष किया। 27 एवं 28 फ़रवरी को दिल्ली में दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन (एक्ट नाउ) का आयोजन किया गया जिसमे देश भर से भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन के सिपाही और आरटीआई कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। स्वराज अभियान की पहल पर न्यायाधीश ए पी शाह के नेतृत्व में एक स्वतंत्र सिटिजेन्स व्हिसिल ब्लोअर फोरम का गठन हुआ। इस फोरम के संस्थापक सदस्य न्यायाधीश संतोष हेगड़े, इएएस शर्मा, वजाहत हबीबुल्लाह, एडमिरल एल रामदास, अरुणा रॉय, प्रो. जगदीप चोकर और प्रशांत भूषण सबने यह संकल्प लिया है कि भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन को गहन तरीके से धार दी जाएगी।

युवा और शिक्षा स्वराज
स्वराज अभियान के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर आनंद कुमार के दिशा-निर्देश में 3 नवम्बर 2015 को मावलंकर हॉल (दिल्ली) में शिक्षा स्वराज युवा सम्मलेन का आयोजन किया गया। इलाहबाद हाई कोर्ट का एक आदेश आया कि जनप्रतिनिधि और सरकारी अफ़सर अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में करायें। इस आदेश की भावना को ध्यान में रखते हुए स्वराज अभियान ने कई राज्यों में शिक्षा के सामान अधिकार का अभियान चलाया। नॉन-नेट फ़ेलोशिप के लिए चलाए जा रहे आन्दोलन को भी स्वराज अभियान ने मजबूती से समर्थन किया। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला के निधन के बाद स्वराज अभियान ने आर टी आई दायर किया और विश्वविद्यालयों में जातिगत भेदभाव के खिलाफ़ यूजीसी के दिशानिर्देशों के पालन के लिए अभियान चलाया।

अमन कमिटी
पिछले एक साल में स्वराज अभियान ने सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ़ लगातार आवाज़ उठाया और समाज के विभिन्न वर्गों में फैलाये जा रहे घृणा, भेदभाव एवं असौहार्द्य की राजनीति का प्रभावी तरीके से सामना करने में सहयोग किया। स्वराज अभियान का यह मानना है कि राष्ट्र के सामने कई चुनौतियों में से साम्प्रदायिकता एक बड़ी चुनौती है। इसलिए स्वराज अभियान देश के हर जिले में एक अमन कमिटी बना रहा है जिसमें वहां के सभी समुदाय और वर्ग के सम्मानित नेता और व्यक्ति होंगे। अमन कमिटी का उद्देश्य सभी समुदायों के बीच संयोजन, समन्वय और संवाद के जरिए शांति और सौहार्द्य का निर्माण करना है। अमन कमिटी के तहत स्वराज अभियान ने वाराणसी, इलाहबाद और महाराष्ट्र में कार्यक्रम किये हैं। स्वराज अभियान की पहल पर शांति और सौहार्द्य के लिए काम करने वाले कई संगठन एक साथ आए और निर्भय मुंबई का गठन किया। स्वराज अभियान की अमन कमिटी ने उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, असम, बंगाल, तेलंगाना, गुजरात और महाराष्ट्र में ऐसे कई क्षेत्रों को चिह्नित किया है जो सांप्रदायिक सौहार्द्य के लिए संवेदनशील हैं। हरियाणा में जातिगत हिंसा के बाद शांति और सौहार्द्य के लिए स्वराज अभियान ने कई और लोगों के साथ मिलकर सद्भावना मंच का गठन किया।

सदस्यता अभियान रपट और संगठनात्मक चुनाव की समय सारणी
स्वराज अभियान का सदस्यता अभियान देश के 200 से ज्यादा जिलों में चल रहा है और करीब 100 से ज्यादा जिलों में लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है। अब दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में हमारी अच्छी उपस्थिति है। आज पूरे देश से 20,000 से अधिक लोगों ने स्वराज अभियान की सदस्यता ली है। पारदर्शिता, जवाबदेही और आंतरिक लोकतंत्र के अपने सिद्धांतों के अनुरूप, स्वराज अभियान अपने संगठन के चुनावों की घोषणा कर रहा है, जिसके उपरान्त चुनी हुई समितियों का सबसे प्राथमिक स्तर से शीर्षस्त स्तर तक होगा। यह चुनाव आगामी ३ महीनों में पूरे किये जायेंगे


सदस्यों का पूरा विवरण स्वराज अभियान के वेबसाइट पर : अप्रैल 30
आपत्ति जताने की अंतिम तारीख: मई 07
जिला समितियों के चुनाव: मई 31
प्रदेश समितियों के चुनाव: जून 15
राष्ट्रीय समितियों के चुनाव: जुलाई 14 तक





पारदर्शिता और जवाबदेही

स्वराज अभियान ने अपनी आय-व्यय और स्वैच्छिक दाताओं के नाम अपने वेबसाइट पर डाल दिए हैं।
स्वराज अभियान ने अपनी बैठकों की कार्यवाही, राष्ट्रीय सञ्चालन समिति, राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठकें, और साथ ही इन दोनों समितियों के सदस्यों की सूची भी अपनी वेबसाइट पर डाली है।

श्रीमती कामिनी जायसवाल और पवन गुप्ता स्वराज अभियान के पहले लोकपाल होंगे


श्रीमती कामिनी जायसवाल, जो सुप्रीम कोर्ट की जानी मानी अधिवक्ता और न्यायिक जवाबदेही समिति की सदस्य हैं, मानव अधिकारों के लिए प्रतिबद्धता से लडती रही हैं और साहस से न्यायाधीशों की बेहतर जवाबदेही के लिए लम्बे समय से प्रयासरत हैं। वे बहुत सी जनहित याचिकाओं, जिनमें CPIL द्वारा 2G घोटाले पर दायर याचिका है, का भी हिस्सा रही हैं।

पवन गुप्ता, IIT दिल्ली के स्नातक, अपनी बेहतरीन नौकरी छोड़ कर जीवन के बेहतर सच की तलाश में निकल गये। उन्होंने मसूरी के ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल शुरू किये जिनमें कोई औपचारिक सुविधाएं नहीं थी। उन्होंने सोसाइटी फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ़ हिमालयाज का गठन किया जो ग्रामीण बच्चों की शिक्षा में बेहतरीन काम कर रही है।

स्वराज अभियान जन भागीदारी के एक नए प्रयोग का अनावरण आने वाले दिल्ली के नगरपालिका चुनाव के एक वार्ड से शुरू करेगा

भ्रष्ट तंत्र और चमचागिरी का एक मुख्य कारण है कि उम्मीदवार का चयन हाई कमान के हाथ में रहता है, जो पूर्णतः अलोकतांत्रिक और परदे के पीछे की प्रक्रिया रहती है। लेकिन पारदर्शिता, जवाबदेही और आंतरिक लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध स्वराज अभियान एक प्रयोग कर रही है जिसमें “उम्मीदवार चयन प्रक्रिया” वार्ड के निवासियों के हाथ होगा, जिसके चलते “लोक-उम्मीदवार" का चयन होगा। स्वराज अभियान राजनीतिक दल नहीं है लेकिन आगामी दिल्ली नगर पालिका के उपचुनाव इस मॉडल को परखने का एक अच्छा मौका है, जिसमें मतदाता सीधे चुनावी प्रक्रिया में शामिल होंगे।
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